
भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर विवादित टिप्पणी करने वाले कालीचरण महाराज उर्फ अभिजीत धनन्जय सराग को छत्तीसगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। कालीचरण ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हुए धर्म संसद में महात्मा गांधी पर अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमामंडन किया था। जिसके बाद कालीचरण द्वारा महात्मा गांधी को गाली दिए जाने और गोडसे के महिमामंडन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा। वीडियो सामने आने के बाद विवाद शुरु हो गया।
सोशल मीडिया पर यूजर्स कालीचरण की आलोचना करते हुए उसकी गिरफ्तारी की मांग करने लगे। लोगों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से इस मामले की कार्रवाई की अपील की। इस पूरे विवाद के तूल पकड़ने के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने कालीचरण के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कर गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरु दी। पुलिस ने गुरुवार को कालीचरण को मध्य प्रदेश के खजुराहो से गिरफ्तार कर लिया।
छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा कालीचरण की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर सोशल मीडिया पर विवाद शुरु हो गया। दक्षिणपंथी विचारधारा से जुड़े सोशल मीडिया यूजर्स ने कालीचरण की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए, उसकी रिहाई की मांग की। इस दौरान इन यूजर्स ने कई हैशटैग चलाए। सबसे प्रमुख हैशटैग #ReleaseKalicharanMaharaj था, जो ट्वीटर पर टॉप ट्रेंड कर रहा था। इस ट्वीटर को ट्रेंड कराने में कई वेरीफाइड यूजर्स ने लगातार कई पोस्ट किए।
कई यूजर्स ने इस दौरान हेट का सहारा लिया और इस मुद्दे पर भी हिन्दू-मुस्लिम एंगल देने की कोशिश की। इस विश्लेषण में हम कालीचरण को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम एजेंडा, प्रोपेगैंडा और भ्रामक तथ्यों की जांच और उनका विश्लेषण करेंगे।
दावा नंबर-एक
सोशल मीडिया पर कई यूजर्स कालीचरण की गिरफ्तारी की विरोध करते हुए इसे “अभिव्यक्ति की आजादी” (Freedom of Speech) का हनन बता रहे हैं। कई यूजर्स ने लिखा कि भारतीय संविधान सभी नागरिकों को अपनी बात रखने की आजादी देता है। कालीचरण महाराज को भी अपनी बात रखने की आजादी है। इसलिए संवैधानिक और कानूनी अधिकार सेलेक्टिव नहीं बल्कि सभी के लिए एक जैसा होना चाहिए।
The constitution guarantees freedom of speech for all including #KalicharanMaharaj. The law can't be selective. It should be the same for all.#ReleaseKalicharanMaharaj pic.twitter.com/hrKavRssdm
— Ajesh Padmanabhan 🇮🇳 (@ajeshpindia) December 30, 2021
फैक्ट चेकः
सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी की बात करने पर हमने कानून के जानकार कुमार अनिकेत से संपर्क किया। अनिकेत ने बताया कि संविधान में अनुच्छेद- 19-1- (अ) के तहत अभिव्यक्ति की आजादी का प्रावधान है, जो किसी भी नागरिक को लोकतंत्र में अपनी बात रखने की आजादी देता है। इसके अर्थ में विचारों की स्वतंत्रता, जानने का अधिकार और प्रेस की स्वतंत्रता का अधिकार अंतर्निहित होता हैं। लेकिन किसी को गाली देना अभिव्यक्ति की आजादी नहीं बल्कि अपराध की श्रेणी में आता है। क्योंकि गाली देकर आप किसी व्यक्ति की मानहानि या फिर उनका अपमान कर रहे होते हैं। कानून में इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए दंड का प्रावधान किया गया है।
यह भी पढ़ेंः DFRAC विशेषः कश्मीर पर पाकिस्तान के नफरती एजेंडे का खुलासा, पढ़े- EXCLUSIVE रिपोर्ट
यह भी पढ़ेंः DFRAC विशेषः बांग्लादेश की आजादी के 50 साल पूरे होने पर सोशल मीडिया पर भड़के पाकिस्तानी
दावा नंबर–दो
सोशल मीडिया पर अनिर्बान नियोगी नाम के यूजर ने हैशटैग #ReleaseKalicharanMaharaj का उपयोग करते हुए महात्मा गांधी की हत्या को जायज ठहराते हुए पोस्ट किया। उन्होंने एक पोस्टर शेयर करते हुए दावा किया कि गांधी का वध बहुत जरूरी था। इस पोस्टर में लिखा गया है- “गांधी का वध बहुत जरूरी था। पश्चिमी पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) जाने के लिए 20 किलोमीटर चौड़ा रास्ता का योजना था। इस योजना के कार्य को पूरा करने के लिए 1948 में पाकिस्तान जाने से पहले नाथूराम गांधी जी को हत्या किया। गांधी जी देश को विखंडित करने जा रहे थे। कांग्रेस के नेताओं ने देश की जनता को बहुत कुछ छिपाया है। नाथूराम गोडसे देश को टुकड़े होने से बचाए।”

फैक्ट चेकः
इस दावे की सच्चाई जानने के लिए हमनें गूगल पर कुछ कीवर्ड्स सर्च किए। जिसके बाद हमें DW न्यूज का एक फैक्ट चेक मिला। इस फैक्ट चेक के मुताबिक पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के लिए गलियारा देने की बात मोहम्मद अली जिन्नाह ने 22 मई 1947 न्यूज एजेंसी रायटर्स के एक पत्रकार के सवाल के जवाब में कही थी।
जून 1947 में ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों से आग्रह किया था कि उन्हें बड़ा दिल दिखाते हुए पाकिस्तान को गलियारा दे देना चाहिए। जिसकी कांग्रेस की तरफ से चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने कड़ा विरोध किया गया। वहीं नेहरू ने भी जिन्नाह की इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया था। इसके अलावा महात्मा गांधी इस पूरी बातचीत में कहीं नहीं थे और ना ही उन्होंने कभी भी इस गलियारे के बारे में कोई बयान दिया था।
हैशटैग का इस्तेमाल:
हैशटैग #ReleaseKalicharanMaharaj को 37,000 से ज्यादा बाद ट्वीट किया गया। इसके इलावा इस हैशटैग के साथ कई अन्य हैशटैग भी वायरल हो रहे थे। जिसमें #ArrestMaulanAsaad, #KalicharanMaharaj, #कालीचरण_महाराज_के_साथ_है_हिंदू और #ISupportKalicharanMaharaj शामिल हैं।
वर्डक्लाउडः
यहां पर सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा ट्वीटर पर इस्तेमाल किए गए शब्दों का एक वर्डक्लाउड दिया गया है। जिससे पता चलता है कि वे कौन से शब्द थे, जो ट्वीट्स में सबसे ज्यादा बार इस्तेमाल किए गए थे। ज्यादातर “कालीचरण महाराज”, “मौलाना साद”, “अभिव्यक्ति की आजादी”, “रिलीज़ महाराज”, “गांधी”, “डिमांड रिलीज़” आदि था।
मेंशनः
नीचे दिए गए बार ग्राफ से पता चलता है कि वे यूजर्स कौन थे, जिन्हें ज्यादातर ट्वीट में टैग या मेंशन किया गया था। छत्तीसगढ़ के सीएम @bhupeshbaghel को सबसे ज्यादा 300 से अधिक ट्वीट्स में टैग किया गया था। इसके बाद @TheDeepak2020In और @YogiDevnath2 को लगभग 250 और 225 बार टैग किया गया था।
हैशटैग को शुरु करने वाले यूजर्स
कालीचरण महाराज की गिरफ्तारी के बाद उनको रिलीज किए जाने के लिए सोशल मीडिया पर अभियान चलाया गया। सबसे पहले अभियान छत्तीसगढ़ के बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने शुरु किया था। पत्रकार और स्तंभकार आदेश रावत (@AadeshRawal) ने ट्वीट किया- “छत्तीसगढ़ से बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कालीचरण को छुड़वाने के लिए हाश्टैग चलाया है। ये विधायक वही हैं जो अटल जी की अस्थियों पर हंसे थे। इन्हें भी माफ़ करना मुश्किल हो जाएगा !!”
छत्तीसगढ़ से बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल
ने कालीचरण को छुड़वाने के लिए हाश्टैग चलाया है।ये विधायक वही हैं जो अटल जी की अस्थियों पर हंसे थे। इन्हें भी माफ़ करना मुश्किल हो जाएगा !!— Aadesh Rawal (@AadeshRawal) December 30, 2021
आदेश रावत के दावों की सत्यता की जांच के लिए हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स सर्च किए, तो हमें डीएनए की एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की श्रद्धांजलि सभा में बृजमोहन अग्रवाल के हंस रहे थे। रिपोर्ट को नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है।

सबसे ज्यादा ट्वीट और रिप्लाई करने वाले अकाउंट्स की जांचः
@scn_subhash ने इस हैशटैग पर 270 से अधिक बार ट्वीट किया है, उसके बाद @ashishk612 और @waghela_vasant ने क्रमशः 220 से अधिक और 152 बार ट्वीट किए हैं। इसके अलावा सुधाकर सिंह राजपूत (@SudhakarSinghS2) नाम के एक यूजर्स ने #ReleaseKalicharanMaharaj हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए दावा किया कि- उसने 500 से ज्यादा ट्वीट और रिट्वीट किया है। इसके अलावा वह 500 और ट्वीट तथा रिट्वीट करेगा। हालांकि उनके द्वारा दूसरे विषयों पर किए पोस्टों पर भी इसी हैशटैग का इस्तेमाल किया गया था।

सबसे ज्यादा ट्वीट और रिप्लाई करने वाले अकाउंट्स की जांचः
@scn_subhash ने इस हैशटैग पर 270 से अधिक बार ट्वीट किया है, उसके बाद @ashishk612 और @waghela_vasant ने क्रमशः 220 से अधिक और 152 बार ट्वीट किए हैं। इसके अलावा सुधाकर सिंह राजपूत (@SudhakarSinghS2) नाम के एक यूजर्स ने #ReleaseKalicharanMaharaj हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए दावा किया कि- उसने 500 से ज्यादा ट्वीट और रिट्वीट किया है। इसके अलावा वह 500 और ट्वीट तथा रिट्वीट करेगा।
निष्कर्षः
सोशल मीडिया पर कालीचरण महाराज के समर्थन में किए गए हैशटैग और पोस्ट के विश्लेषण से पता चलता है कि दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों ने इस दौरान फेक न्यूज और गलत तथ्यों का प्रचार और प्रचार किया। इस दौरान महात्मा गांधी की हत्या को सही ठहराने के लिए फेक समाचार का सहारा लिया गया और इतिहास को भी तोड़ा-मरोड़ा गया। इस विश्लेषण में एक बात और सामने आ रही है कि इस मामले पर हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर नफरत भी फैलाने की कोशिश की गई।
दक्षिणपंथी समूहों द्वारा आपत्तिजनक पोस्टरों, मीम्स और फोटो का भी इस्तेमाल किया गया। एक कार्टून फोटो खूब शेयर किया गया, जिसमें कालीचरण द्वारा महात्मा गांधी की धोती खींची जा रही है और महात्मा गांधी को इस्लामिक रंग का कच्छा पहने भी दिखाया गया। फोटो शेयर करने वाले दावा कर रहे हैं कि कालीचरण ने महात्मा गांधी के छिपे इस्लामिक एजेंडे को जगजाहिर कर दिया।

वहीं इस मामले पर मौलाना साद, कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी और दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी पर कई भ्रामक दावे करते हुए | इस मामले को हिन्दू-मुस्लिम एंगल देने की पूरी कोशिश की गई।