DFRAC Exclusive: सिमरनजीत सिंह मान: भारत में रहकर ‘ख़ालिस्तान’ के लिए के लिए प्रयासरत

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सिमरनजीत सिंह मान एक अनुभवी अकाली हैं जिन्होंने पिछले दो दशक, पंजाब की राजनीति में हाशिये पर बिताया है। उनका ट्विटर बायो अपने आप में विवादास्पद है, जैसा कि उन्होंने ज़िक्र किया है, ‘#ख़ालिस्तान के लिए प्रयासरत’ (सिखों के लिए एक संप्रभु राज्य)। ट्विटर पर उनके  27.6K फ़ॉलोअर्स हैं।

पृष्ठभूमि:

सिमरनजीत सिंह मान, एक आईपीएस अधिकारी बने और फिरोज़पुर और फ़रीदकोट के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) और सतर्कता (विजिलेंस) ब्यूरो के डिप्टी डायरेक्टर जैसे वरिष्ठ पदों पर कार्य किया। रिकॉर्ड के अनुसार, अपने पुलिस करियर में, मान ने पाकिस्तान से ड्रग्स ला रहे 7,403 तस्करों को गिरफ्तार किया।

उन्होंने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में 18 जून 1984 को पुलिस विभाग से इस्तीफा दे दिया।

घटनाएं, जिन्होंने सिमरनजीत सिंह मान को विवादास्पद बना दिया:

सिमरनजीत के लिए विवाद कोई नई अवधारणा नहीं है क्योंकि ये उनके करियर की शुरुआत से ही साथ-साथ चलता आ रहा है।

वर्ष 1984 में, उन पर पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की साज़िश का आरोप लगाया गया था।

वर्ष 1990 में, उन्होंने अपने कृपाण जो सिख धर्म का प्रतीक है, के साथ संसद में प्रवेश से वंचित होने के बाद सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था।

सिमरनजीत कैसे सिख और अन्य समुदायों के बीच नफ़रत फैलाने के लिए प्रयासरत हैं:

1. सिमरनजीत ने ख़ालिस्तान और कश्मीर पर बहस के बाद एक सिख अधिकारी की हत्या के लिए भारतीय सेना को क्रूर बताया। उन्होंने ट्वीट किया,“#ख़ालिस्तान पर बहस के बाद क्रूर भारतीय सेना के जवानों ने एक #सिख सैनिक का सिर क़लम कर दिया और #पाकिस्तान को ज़िम्मेदार ठहराया। इससे साबित होता है कि सिख सैनिक ख़ालिस्तान चाहते हैं।”

 

लेकिन ह़क़ीक़त में हमें, किसी भी मेन स्ट्रीम मीडिया पर ऐसी कोई ख़बर नहीं मिली।

2. सिमरनजीत ने अमृतसर में अकाल तख़्त के अंदर लगे “ख़ालिस्तान जिंदाबाद” के नारों को जायज़ ठहराया

और उन्होंने ट्वीट किया,“धर्मशासि‍त #हिंदू भारतीय राज्य का मीडिया #सिखों की छवि ख़राब करने की पूरी कोशिश कर रहा है। लेकिन यहां #पंजाब की ह़क़ीक़त यही है। जो उन्होंने कभी किसी को नहीं बताई। हां, #ख़ालिस्तान की मांग अपने चरम पर है।”

 

लेकिन #रिकॉर्ड के मुताबिक, प्रमुख सिख समुदाय ख़ालिस्तान नहीं चाहता,  एक और बंटवारे का समर्थन नहीं करता है।

3. उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर लोगों से कहा कि वे तिरंगा झंडे के बजाय सिख झंडे उठाएं।मान ने अपने संदेश में लोगों से 14 और 15 अगस्त को अपने घरों पर भगवा झंडा और निशान साहिब फहराने की अपील की।निशान साहिब झंडा सिख धर्म का प्रतीक है।

वहीं दूसरी तरफ़ पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने राज्य में शांतिपूर्ण माहौल को ख़राब करने की कोशिश के लिए कट्टरपंथी नेतृत्व के एक वर्ग की आलोचना की है।

हाल ही में संविधान के तहत शपथ लेने वाले मान सहित इन नेताओं के आह्वान पर वारिंग ने कहा कि इस तरह की कृत स्पष्ट रूप से पंजाब में कड़ी मेहनत से अर्जित शांति को ख़राब करने के लिए है।

इसके अलावा, इस डीएफआरएसी एक्सक्लूसिव ( DFRAC Exclusive) में हम सिमरनजीत सिंह मान के द्वारा ख़ालिस्तान समर्थक एजेंडे को बढ़ाने के लिए फै़ल रही नफ़रत और भ्रामक बातों को सामने लायेंगे।

 

  1. उन्होंने बयान दिया कि उनकी जीत आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाला की शिक्षाओं के कारण है, जो ऑपरेशन ब्लूस्टार के दौरान मारे गए थे। ऑपरेशन ब्लूस्टार, भारतीय सेना ने जून 1984 में स्वर्ण मंदिर परिसर में छिपे आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए चलाया था।

News18 को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने पंजाबी में साफ़ तौर पर कहा कि हम ख़ालिस्तान की मांग इतने लंबे समय से कर रहे थे, लेकिन भिंडरावाला ही वो शख्स थे, जो इस सोच को अमल में लाने में सक्षम हैं।

 

 

1. हाल ही में, उन्होंने भगत सिंह को “आतंकवादी” कहा, उनके इस बयान ने मुख्यधारा के मीडिया में ख़ूब चर्चा बटोरी।

 

सिमरनजीत के इस बयान का सिख समुदाय के कई लोगों ने आगे आकर कड़ा विरोध किया।

 

2. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को “राष्ट्रपति” कहे जाने पर भी आपत्ति जताई।

 

द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रपति का पदभार संभाला, वह न केवल बड़े पैमाने पर औपचारिक पद संभालने वाली दूसरी महिला बन गईं, बल्कि ऐसा करने वाली आदिवासी समुदाय की पहली महिला बन गईं।

यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की बहस सामने आई है, लेकिन भारत में उसी बहस ने ज़ोर पकड़ लिया, जो प्रतिभा पाटिल के 2007 में भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनने के बाद चली थी, श्रीमती पाटिल 2012 तक भारत की राष्ट्रपति थीं। आख़िरकार, पाटिल को केवल राष्ट्रपति के रूप में संबोधित किया गया, क्योंकि उन्हें पारंपरिक टाइटिल के साथ कोई समस्या नहीं थी। जबकि, मुर्मू ने अभी तक सार्वजनिक रूप से वरीयता व्यक्त नहीं की है।

लेकिन शपथ ग्रहण समारोह में, मुर्मू ने स्वेच्छा से खुद को राष्ट्रपति के रूप में दर्शाया, इसलिए बहस और चर्चा के लिए कोई जगह ही नहीं।

 

4. संसद में उन्होंने कानून मंत्री से सवाल किया कि सुप्रीम कोर्ट में कोई सिख जज क्यों नहीं है?

 

लेकिन रिकॉर्ड के अनुसार, जगदीश सिंह खेहर (जन्म 28 अगस्त 1952) एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं जो भारत के 44वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) थे। खेहर सिख समुदाय के पहले CJI हैं। वह 13 सितंबर 2011 से 27 अगस्त 2017 तक भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश रहे हैं।

5. जैसा कि भारत ने 26 जनवरी, 1950 को संविधान को अपनाने के साथ खुद को एक संप्रभु, लोकतांत्रिक और गणतंत्र राज्य घोषित किया है, जहां संप्रभु का अर्थ है कि भारत एक आज़ाद या स्वतंत्र देश है। ये किसी विदेशी शक्ति द्वारा नियंत्रित नहीं है और किसी को भी देश के किसी आंतरिक या बाहरी मामलों में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं है। इसका तात्पर्य यह है कि वह अपनी कोई भी घरेलू और विदेशी नीति तैयार करने के लिए स्वतंत्र है। और डेमोक्रेटिक का अर्थ है एक देश, सरकार, या राजनीतिक व्यवस्था, उन प्रतिनिधियों द्वारा शासित, जो लोगों द्वारा चुने जाते हैं।

सिमरन जीत सिंह मान ने बार-बार अपने ट्वीट्स के जरिए भारत को ‘हिंदू राज्य’ कहा है।

 

लिंक 1:

https://twitter.com/SimranjitSADA/status/1521041198328152064

लिंक 2:https://twitter.com/SimranjitSADA/status/1515995647626792960

 

 

लिंक 3: https://twitter.com/SimranjitSADA/status/1505185605310828549

लिंक 4: https://twitter.com/SimranjitSADA/status/1175667021356228609

  1. वह हमेशा सिखों के लिए एक अलग देश के लिए एक स्पष्ट बिंदु रखते हैं, इसे ख़ालिस्तान कहते हैं।
लिंक 1 :

https://twitter.com/SimranjitSADA/status/1175665460316008448

लिंक 2:

https://twitter.com/SimranjitSADA/status/1545384867537592322

 

लिंक 3:

https://twitter.com/SimranjitSADA/status/607477241862184960

लिंक 4:

https://twitter.com/SimranjitSADA/status/1136443395902136321

 

वर्डक्लाउड:

ये, वे शब्द हैं जो उनके ट्वीट्स में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाते हैं जैसे: ख़ालिस्तान, फ़्रीडम, हिंदू, सिख आदि।

निष्कर्ष:

इस #DFRACExclusive में हमने ख़ालिस्तान समर्थक सिमरनजीत सिंह मान को कवर किया है। DFRAC ने विभिन्न घटनाओं को कवर किया है, जब उन्होंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में खुद को विवादों में बनाया, साथ ही उन उदाहरणों को भी उजागर किया कि वो कैसे विभिन्न समुदायों के बीच मतभेद पैदा करने के लिए प्रयासरत रहते हैं। DFRAC ने यह भी कवर किया है कि कैसे वो अपने ट्विटर अकाउंट के माध्यम से घृणास्पद और पक्षपातपूर्ण नैरेटिव फैला रहे हैं।