15 सितंबर 2021 को, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सीएनएन के बेकी एंडरसन को एक इंटरव्यू दिया। इस इंटरव्यू में उन्होंने अफगानिस्तान संकट से निपटने के दौरान अमेरिकी सरकार की आलोचना जारी रखी । इस इंटरव्यू में उन्होंने अमेरिकी खुफिया एजेंसियों पर भी सवाल उठाए ।
सीएनएन के संवाददाता बेकी एंडरसन ने फिर उनसे अफगानिस्तान में हुई क्रूरता में हक्कानी नेटवर्क की भूमिका और अमेरिकी अधिकारियों द्वारा की गई टिप्पणियों के बारे में पूछा कि हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तान के खुफिया विभाग का एक अभिन्न अंग रहा है। इस पर इमरान ख़ान ने खान हक्कानी नेटवर्क को “अफगानिस्तान में रहने वाली पश्तून जनजाति का संगठन करार दिया।“
हक्कानी नेटवर्क क्या है?
UNSC ने हक्कानी नेटवर्क को तालिबान के वित्तीय और रणनीतिक साझेदारों और अफगानिस्तान की शांति, स्थिरता और सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में ‘88 प्रतिबंध सूची‘ में सूचीबद्ध किया हुआ है। लेकिन अफ़ग़ानिस्तान की मौजूदा अंतरिम सरकार में हक्कानी नेटवर्क के चार सदस्य सरकार का हिस्सा हैं। जानकरी के लिये बता दें कि हक्कानी नाम खैबर पख्तूनख्वा के एक मदरसे दारुल उलूम हक्कानिया के सदस्यों के पूर्व संबद्धता से लिया गया है, जिसे 2018 में सरकार से 227 मिलियन रुपये प्राप्त करने के लिए निर्धारित किया गया था। हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक जलालुद्दीन हक्कानी इस मदरसे के छात्र थे और उन्होंने यहीं से नाम लिया था।
तथ्यों की जांच:
इमरान खान द्वारा दिए गए इस बयान ने बुद्धिजीवी तबके का ध्यान अपनी ओर खींचा, उन्होंने इमरान ख़ान के दावे की जांच की, पाकिस्तान के जाने-माने पत्रकार हामिद मीर ने इमरान खान के दावे की जाँच करते हुए कहा कि मदरसे के सभी छात्रों को हक्कानी कहा जाता था।
न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए काम करने वाले एक अफगान पत्रकार एहसानुल्लाह टीपू महसूद को भी जलालुद्दीन हक्कानी की उत्पत्ति का एक स्रोत मिला और जिससे यह पता चला, वे ज़ादरान जनजाति से थे।
अब जब हमने यह स्थापित कर लिया कि हक्कानी नेटवर्क के नेता ने उस मदरसे से नेटवर्क का नाम लिया था जिसमें उन्होंने पढ़ाई की थी, लेकिन तथ्य यह है कि वह जादरान जनजाति से संबंध रखते थे, और पश्तून जनजाति से नहीं थे। इसलिए हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि इमरान द्वारा इंटरव्यू में हक्कानी नेटवर्क को पश्तून जनजाति का नेटवर्क बताने का दावा झूठा है।