दो दिन पहले, “हिंदू धर्म” फेसबुक पेज पर ताजमहल के बारे में एक पोस्ट किया गया। इस पेज के लगभग 92,000 फॉलोअर्स हैं, जिस पर नियमित रूप से फर्जी खबरें और इस्लामाफोबिक पोस्ट शेयर की जाती हैं। ताजमहल के बारे में भी ऐसी ही चौंकाने वाली पोस्ट इस पेज पर की गई। पोस्ट को “Shiva Shiva Shiv ” नाम के एक यूजर ने पोस्ट किया।
इस विस्तृत पोस्ट में बताया कि ताजमहल पहले एक हिंदू मंदिर था। साथ यह भी दावा किया गया कि ताजमहल को किस तरह गुंबद से सजाकर उसे मंदिर से इस्लामी वास्तुकला में बदल दिया गया। इस पोस्ट में इतिहास का भी हवाला दिया गया, हालांकि इतिहास में वह दावा कहीं नहीं ठहरता। इस पोस्ट में किए गए दावों के साथ, पी.एन. ओक द्वारा लिखित “ताज महल एक हिंदू भवन था” नामक पुस्तक के कवर फोटो भी प्रकाशित पोस्ट की गई। जिसमें हमने पाया कि पोस्ट में जो लिखा गया है वह पी.एन. ओक की पुस्तक से शब्दशः लिया गया है।
इस पोस्ट को 371 से ज्यादा शेयर हुए हैं, और बड़ी संख्या में टिप्पणियां आईं हैं। अधिकतर टिप्पणी पोस्ट में किये गये दावे का समर्थन करने वाली हैं, जिसमें सरकार से इतिहास बदलने का आह्वान किया गया है।
फैक्ट चेक:
इस दावे की हमने पड़ताल करना शुरु की और पी.एन. ओक के कार्यों के बारे में और जानने की कोशिश की तो पाया कि पी.एन. ओक दक्षिणपंथ से ग्रस्त हैं। उन्होंने तो यहां तक दावा किया है कि मक्का में काबा, रोम में वेटिकन, वेस्टमिंस्टर एब्बे और नोट्रे डेम सभी हिंदू तीर्थस्थल हैं।
पीएन ओक के इसी दावे को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट में ताजमहल को मंदिर बताने याचिका दायर की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। साल 2015 में पहली बार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने पहली बार आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी की जब छह वकीलों के एक समूह ने एक याचिका दायर की कि ताजमहल एक हिंदू मंदिर है। पुरातत्वविद् डॉक्टर भुवन विक्रमा ने वकीलों के इस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया। एएसआई ने कहा कि उन्हें ताजमहल में हिंदू संरचना का कोई सबूत नहीं मिला है। लेकिन इसके बावजूद ताजमहल के बारे में सोशल मीडिया पर अक्सर फर्जी खबरों में उनकी पुस्तकों हवाला देकर ताजमहल को हिंदू मंदिर बताया जाता है।
एएसआई पहले भी अन्य मामलों में भी दावों को खारिज कर चुका है।
ताजमहल दुनिया का एक अजूबा होने की वजह से आकर्षण का केंद्र है। जबकि पीएन ओक को अपने सिद्धांतों के लिए लोकप्रियता और अनुसरण कभी नहीं मिला, लेकिन इन दिनों सोशल मीडिया पर फर्जी ख़बरें औक दावे फैलाने का चलन हो गया है, और अक्सर इस तरह के फर्दी दावों के साथ लोगों को गुमराह किया जाने का चलन बढ़ गया है।