
सोशल मीडिया पर एक बड़ा दावा वायरल हो रहा है। जिसमे कहा जा रहा है कि डेनमार्क में मुसलमानों के वोट देने का अधिकार खत्म कर दिया गया है।
सोशल साईट X पर यूजर मनोज श्रीवास्तव ने एक पोस्टर शेयर किया। इस पोस्टर पर लिखा है कि विश्व शांति के लिए कदम, डेनमार्क में मुस्लिम समुदाय के वोट देने के अधिकार को खत्म करने वाला कानून पास किया गया। इसे कहते है सेकुलरिज्म की नसबंदी

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इसके साथ ही उन्होने पोस्टर को केप्शन देते हुए लिखा – *डेनमार्क* *एक झटके में सारे झंझट खत्म* *ना रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी* *मुस्लिमों को वोट देने का अधिकार खत्म*

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इसके अलावा कई अन्य यूजर ने भी वायरल पोस्टर को शेयर किया है। साथ ही ऐसा ही मिलता-जुलता केपशन दिया है।
फैक्ट चेक:
वायरल दावे की जांच के लिए DFRAC ने सबसे पहले डेनमार्क में मुस्लिमों के मताधिकार को वापस लिए जाने से जुड़ी मीडिया कवरेज की जांच की। लेकिन हमें ऐसी कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली।
इसके बाद जांच को आगे बढ़ाते हुए हमने डेनमार्क की संसदीय वेबसाईट और यूरोपियन पार्लियामेंट की वेबसाइट को चेक किया।

डेनमार्क की संसदीय वेबसाइट के अनुसार, ” आप डेनमार्क में आम चुनावों में मतदान कर सकते हैं यदि आप: डेनमार्क के नागरिक हैं, आप 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के हैं, डेनमार्क में स्थायी निवास रखते हैं, आपके पास पूर्ण कानूनी क्षमता है (यानी, कार्य करने के कानूनी अधिकार को पूरी तरह से हटाने के साथ संरक्षकता के अधीन नहीं हैं), विदेश में रहने वाले मतदाताओं को सिद्धांत रूप से डेनमार्क में आम चुनावों में मतदान करने का अधिकार नहीं है। कुछ डेनिश नागरिक जिन्होंने डेनमार्क के साथ एक विशेष संबंध बनाए रखा है, वे समय-सीमित अवधि में अपने मतदान के अधिकार को बनाए रखने के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह प्रासंगिक है यदि, यानी, आप राज्य के लिए विदेश में काम करते हैं या केवल अस्थायी रूप से विदेश में रहते हैं। “

वहीं यूरोपीय संसद के लिए चुनाव में मतदान का अधिकार – 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति मतदान कर सकता है, बशर्ते वह डेनमार्क का निवासी हो और उसके पास डेनिश नागरिकता या किसी अन्य यूरोपीय संघ देश की नागरिकता हो।
निष्कर्ष:
अत: DFRAC के फैक्ट चेक से स्पष्ट है कि डेनमार्क में मुस्लिमों से वोट देने का अधिकार वापस लेने का दावा फेक है।