सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के एटा का एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमे कुछ पुलिसकर्मी को एक बोर्ड पर बाबा भीमराव आंबेडकर की तस्वीर के साथ लिखे संदेश को कपड़े से साफ करते हुए देखा जा सकता है।
बोर्ड पर बाबा साहेब आंबेडकर की तस्वीर के साथ लिखा है कि “तुम्हारे पैरों में जूते भले ही न हों लेकिन हाथों में किताब जरूर होनी चाहिए।” कई यूजर ने इस वीडियो को शेयर कर दावा किया है कि पुलिसकर्मी बोर्ड पर लिखे संदेश को मिटा रहे है।
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सोशल मीडिया साईट X पर जर्नलिस्ट अब्बास रजवी ने लिखा कि #एटा दोदलपुर गांव में लगे बोर्ड में लिखा था “तुम्हारे पैरों में जूते भले ही न हों लेकिन हाथों में किताब जरूर होनी चाहिए” इस लेख को मिटाते पुलिस कर्मी।
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वही एक अन्य यूजर भोगनीपुर न्यूज़ ने लिखा कि #एटा 👉🏾 दोदलपुर गांव में लगे बोर्ड में लिखा था “तुम्हारे पैरों में जूते भले ही न हों लेकिन हाथों में किताब जरूर होनी चाहिए” इस लेख को मिटाते पुलिस कर्मी। #NationalYouthDay
इसके अलावा कई अन्य यूजर ने भी ऐसे ही मिलते-जुलते दावे के साथ इस वीडियो को X पर शेयर किया है। जिसे यहाँ पर देखा जा सकता है।
फैक्ट चेक:
वायरल वीडियो के साथ किए गए दावे की जांच के लिए DFRAC ने गूगल पर कुछ कीवर्ड सर्च किये। इस दौरान हमें घटना से जुड़ी हिंदुस्तान और अमर उजाला की रिपोर्ट मिली। जिसमे बताया गया कि कुछ अराजकतत्वों ने बाबा साहेब के चित्र को विकृत करने के उद्देश्य के साथ बोर्ड को क्षतिग्रस्त कर दिया था। जिसके बाद ग्रामीणों ने विरोध-प्रदर्शन किया। फिर पुलिस ने बोर्ड को सही कराया। उसके बाद ग्रामीणों का गुस्सा शांत हुआ।
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इसके अलावा हमें एटा पुलिस का एक ट्वीट भी मिला। जिसमे वायरल वीडियो के साथ किये गए दावे का खंडन करते हुए कहा गया कि “दि०21.12.24 को अज्ञात लोगों द्वारा बोर्ड पर रंग लगा दिया गया था, तत्समय स्थानीय पुलिस द्वारा गांव के संभ्रांत व्यक्तियों से बातचीत कर उनकी मौजूदगी में रंग को हटा कर बोर्ड को साफ किया गया था। जिम्मेदार बने, कृपया अपुष्ट,तथ्यहीन व भ्रामक पोस्ट न करे।“
निष्कर्ष:
अत: DFRAC के फैक्ट चेक से स्पष्ट है कि वायरल वीडियो भ्रामक है। क्योंकि वीडियो में पुलिसकर्मी संदेश को मिटा नहीं रहे है बल्कि बोर्ड पर अराजकतत्वों द्वारा लगाए गए रंग को साफ कर रहे है।