सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि एक सड़क पर कारें नजर आ रही हैं जबकि बहुत से बाइक सवारों और सड़क पर मौजूद अन्य युवकों के बीच झड़प हो रही है। यूजर्स इस वीडियो को हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह के इजरायली हमले में मारे जाने के बाद लेबनान में शिया- सुन्नी संघर्ष का बताते हुए शेयर कर रहे हैं।
एक यूजर ने लिखा, “लेबनान में शिया सुन्नी दंगा शुरू हो गया। सुन्नी मुसलमान अब शिया मुसलमानो को जो हिज्बबुलाह के समर्थक है, उनको मार मार कर अपने इलाके से भगा रहे हैं। इजरायल के हमलों से बहुत से समीकरण बदल रहे हैं।”
इसके अलावा अन्य यूजर्स ने भी वीडियो शेयर कर ऐसा ही दावा किया है, जिसे यहां, यहां क्लिक करके देखा जा सकता है।
फैक्ट चेक
DFRAC टीम ने वायरल वीडियो की पड़ताल की। हमें यह वीडियो akhbariat tariq aljadida के फेसबुक पेज पर 7 मई 2018 को पोस्ट मिला। जिसमें वीडियो के कैप्शन में बताया गया है, ‘आयशा बक्कर में हिज़्बुल्लाह समर्थकों और अल-मुस्तक़बल समर्थकों के बीच झड़प’(हिन्दी अनुवाद)।
(अरेबिक से इंग्लिश में अनुवादित)
इसके अलावा हमें skynewsarabia की मई 2018 की एक रिपोर्ट मिली। जिसमें यही वीडियो लगा है। इस रिपोर्ट में बताया गया है, “लेबनान के प्रधानमंत्री साद हरीरी के नेतृत्व वाले फ्यूचर मूवमेंट(अल-मुस्तक़बल) के समर्थकों और अमल मूवमेंट और हिज्बुल्लाह के युवाओं के बीच झड़पों के कारण बेरूत के कई इलाकों में तनाव व्याप्त हो गया। लेबनानी सेना की इकाइयों को हस्तक्षेप करना पड़ा(हिन्दी अनुवाद)।”
इसके अलावा हमें aawsat.com की 8 मई 2018 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली, जिसमें बताया गया है, “लेबनानी संसदीय चुनावों के आधिकारिक परिणामों की घोषणा के कुछ घंटों बाद, राजधानी, बेरूत में कल शाम सोमवार को दंगे हुए, जिसके कारण फ्यूचर मूवमेंट के समर्थकों और हिजबुल्लाह का समर्थन करने वाले अन्य लोगों के बीच संघर्ष हुआ। हिजबुल्लाह के सदस्यों ने राजधानी की सड़कों पर मोटरसाइकिल रैली निकाली, सेंट जॉर्ज क्षेत्र में पूर्व राष्ट्रपति रफीक हरीरी की प्रतिमा पर पार्टी के झंडे लहराए, फिर आयशा बक्कर क्षेत्र में चले गए, जहां उन्होंने कई वाहनों पर हमला किया और बिना किसी कारण के गोलीबारी की। हालांकि इसमें कोई भी हताहत नहीं हुआ। स्थिति को शांत करने के लिए सेना ने हस्तक्षेप किया(हिन्दी अनुवाद)”।
निष्कर्ष
DFRAC के फैक्ट चेक से स्पष्ट है कि यूजर्स ने वीडियो को हाल फिल्हाल का बताकर भ्रामक दावा किया है। यह वीडियो साल 2018 का है जब फ्यूचर मूवमेंट समर्थकों और हिज्बुल्लाह समर्थकों के बीच झड़प हुई थी।