
भारत में प्रशासनिक अधिकारियों के चयन के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) का गठन किया गया है। यूपीएससी की परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थी आईएएस, आईपीएस, आईएफएस सहित देश की तमाम प्रशासनिक पदों पर चयनित होते हैं। यूपीएससी परीक्षा को दुनिया के सबसे कड़े प्रतियोगी परीक्षा की संज्ञा भी दी जाती है। इस परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों को अपने मनपसंद के विषय का चुनाव कर परीक्षा देने की सुविधा दी जाती है। सोशल मीडिया पर यूपीएससी परीक्षा के लिए शामिल किए गए विषयों को लेकर एक दावा वायरल हो रहा है। यूजर्स दावा कर रहे हैं कि यूपीएससी परीक्षा में ‘इस्लामिक स्टडीज’ विषय को शामिल किया गया है। इसके अलावा यूजर्स ये भी सवाल कर रहे हैं कि अगर इस्लामिक स्टडीज विषय से यूपीएससी की परीक्षा दी जा सकती है कि तो फिर वैदिक अध्ययन, रामायण और गीता अध्ययन के विषय शामिल क्यों नहीं किए जा सकते हैं?
फेसबुक पर सर्व हिन्दू परिषद नामक पेज से 17 अप्रैल को एक पोस्ट शेयर किया गया। जिसमें लिखा था- “अगर “#इस्लामिक स्टडी से IAS” बना जा सकता है। तो स्टडी ऑफ वेद ,रामायण, गीता, उपनिषद को भी UPSC की परीक्षा में शामिल किया जाए। केवल सनातन धर्म से ही इतनी नफरत क्यों..?? मुझे एक बात तो पता है, कि कोई सनातनी इस विषय को ज्यादा गम्भीरता से नहीं लेगा, परन्तु आप सभी के अंतर्मन में एक चेतना का जागृत होना बहुत ही आवश्यक है। कोई तो होगा जो इस विषय में सोचेगा! इसी मंशा के साथ मैं यह पोस्ट प्रकाशित कर रहा हूँ।”
फैक्ट चेकः
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले हमने गूगल पर सर्च किया। लेकिन हमें वहां इस्लामिक स्टडीज के यूपीएससी में शामिल किए जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। इसके बाद हमनें यूपीएससी की वेबसाइट पर उपलब्ध विषयों की पड़ताल की। जिसमें कहीं भी अलग से इस्लामिक अध्ययन विषय के बारे में जानकारी नहीं मिली। हालांकि ऊर्दू साहित्य विषय जरूर है।
वहीं सोशल मीडिया पर आईएएस सोमेश उपाध्याय ने भी इस इस्लामिक स्टडीज को शामिल किए जाने की खबरों का खंडन किया है। उन्होंने तंज कसते हुए लिखा- “एक समानांतर ब्रह्मांड है, जहां यूपीएससी वैकल्पिक विषय के रूप में इस्लामी स्टडीज प्रदान करता है। इसे व्हाट्सएप यूनिवर्स कहा जाता है।”
निष्कर्षः
इस फैक्ट चेक से साबित होता है कि सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा किया जा रहा दावा झूठा और भ्रामक है। इसका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं है, क्योंकि यूपीएससी द्वारा इस्लामिक स्टडीज विषय को वैकल्पिक के तौर पर शामिल नहीं किया गया है।
दावा- UPSC परीक्षा शामिल किया गया इस्लामिक स्टडीज विषय
दावाकर्ता- सोशल मीडिया यूजर्स
फैक्ट चेक- झूठा और भ्रामक