पिछले एक साल में खरीदारों ने ऑनलाइन शॉपिंग को काफी तवज्जो दी है, साथ ही ऑनलाइन भुगतान के प्रयोग में भी इजाफा हुआ है जाहिर सी बात है इसके साथ ही ऑनलाइन फ्रॉड या घोटाले की संख्या भी बढ़ गई है।
पेटीएम और ओ एल एक्स का इस्तेमाल करके हर महीने अकेले गुरुग्राम में 50 से 60 ठगी के मामले दर्ज किए जा रसे हैं। यह ठगी दर्शाती है कि अब भी लोगों में तकनीकी ज्ञान और ऑनलाइन भुगतान प्लेटफार्म के इस्तेमाल के सामान्य ज्ञान में कमी है।
नवंबर 2020 में दिल्ली की विवेक विहार कॉलोनी में एक व्यक्ति से कार खरीदने के नाम पर 70 हज़ार रुपये की ठगी की गई, अब ऐसे मामले सामान्य हो चले हैं कुछ हफ्तों पहले गुजरात की साइबर क्राइम पुलिस ने 27 ऑनलाइन ठगियों को रोका और 19 लाख रुपये वसूल किए।
इस ठगी में ओ एल एक्स और क्यूकर इस्तेमाल किया गया था। जुलाई के पहले सप्ताह में रेलवे विभाग की सीआईडी क्राइम ब्रांच और साइबर क्राइम सेल की सतर्कता टीम ने एक जांच में बैंकों के नोडल एजेंसियों और ई वॉलेट को सूचना देकर कई बैंक खाते बंद करवाएं और गुजरात में यात्रा के नाम पर ठगी गई राशि को पीड़ितों को वापस दिलवाया।
समय-समय पर केंद्र और राज्य सरकारें ऑनलाइन ठगी के बारे में लोगों को जागरूक करती रहती हैं, साथ ही ठगों के अपनाए गए तरीकों के बारे में भी अवगत कराते रहती हैं। लेकिन ठगी के शिकार लोगों की संख्या घटने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। भारत में इसका प्रचलन किस लिए तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि यहां पर भुगतान एप्लीकेशन किसी भी तरह की ठगी के लिए इस्तेमाल प्लेटफार्म की जिम्मेदारी नहीं लेते ऑनलाइन भुगतान से की गई ठगी पर इन वॉलेट प्लेटफार्म की वैधानिक जिम्मेदारी भी नहीं बनती हालांकि पेटीएम आगे आया है और उसने वादा किया है कि ठगो के ऑनलाइन व्यवहार की पहचान करके ठगी रोकने की कोशिश करेगा। ओएलएक्स ने भी ठगों से बचने के लिए तरीकों का एक एडवाइजरी जारी की है। यह सभी कोशिशें सही दिशा में जाती हुई दिख रही हैं, लेकिन जितनी बड़ी समस्या है उसके सामने ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। भारत में जिस तरह ऑनलाइन पेमेंट वॉलेट का प्रचलन बढ़ रहा है उस हिसाब से लोगों को ठगी की जानकारी नहीं है इसीलिए वह घोटालों के शिकार हो रहे हैं।