ट्वीटर पर द हिन्दू आईटी सेल नाम से एक पेज बनाया गया है। इस पेज को अमित कुमार और विजय पटेल जैसे ट्वीटर के कई वेरीफाइड यूजर द्वारा फॉलो भी किया जाता है। इस पेज के फाउंडर विकास पांडेय और रमेश सोलंकी भी वेरीफाइड यूजर हैं। इस पेज द्वारा दावा किया जाता है कि वह धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए कानूनी तरीके से कार्य करते हैं। इस पेज के ट्वीटर पर 95 हजार से ज्यादा फॉलोवर्स हैं।
द हिंदू आईटी सेल कानूनी कार्रवाई करने और पूरे देश में पुलिस शिकायत और प्राथमिकी दर्ज करने के लिए जाने जाते हैं। ट्वीटर पर मौजूद इनके द्वारा दर्ज कराए एफआईआर के अध्ययन से पता चलता है कि इनके द्वारा सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ केस दर्ज करवाए गए हैं, जिन्होंने हिन्दू समुदाय के भावनाओं को आहत करने की कोशिश की थी।
भ्रामक दावाः
इस अकाउंट द्वारा उपयोग की जाने वाली एक और दिलचस्प रणनीति सामने आई है कि ये आधे-अधूरे न्यूज परोसकर भ्रम फैलाने की कोशिश करते हैं। उदाहरण के तौर पर देखें तो इस पेज से “द हिन्दू” के एक समाचार की कटिंग शेयर करते हुए लिखा गया- “कल केरल पुलिस ने 100 लोगों के खिलाफ बलि अनुष्ठान के दौरान COVID के मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए मामला दर्ज किया, यह वही पुलिस और सरकार है जिसने बकरीद के दौरान नियमों में ढील दी थी। क्या कोरोना सिर्फ हिंदुओं के त्योहारों के दौरान ही फैलता है?”
दरअसल इस खबर को शेयर करते हुए द हिन्दू आईटी सेल ने उस तथ्य को छिपा लिया, जिसमें पुजारी को ये निर्देश दिया गया था कि वह बलि अनुष्ठान को केरला की कोविड गाइडलाइंस के अनुसार करें। पुजारी को ये भी निर्देश दिया गया था कि बलि अनुष्ठान को बीच पर ना करके अपने घरों में करें। जिस द हिन्दू के न्यूज को शेयर करके ये दावा किया गया था उसी खबर के अंदरूनी हिस्सों में पुजारी को निर्देश दिए जाने की बात लिखी गई है। वहीं बकरीद को लेकर भी केरल सरकार की गाइडलाइंस साफ थी। सरकार का आदेश का था कि 40 से ज्यादा लोग मस्जिद में ना जुटें और कुर्बानी घरों के अंदर ही करवाए जाएं। जबकि वरक्कल बीच पर बलि अनुष्ठान में 100 से ज्यादा लोग जुट गए थे, जिससे कोविड गाइडलाइंस के उल्लंघन पर लोगों पर केस दर्ज किया गया था।
इसके अलावा इस पेज से लगातार मुस्लिम समुदाय को लेकर भ्रामक तथ्यों के साथ पोस्ट शेयर किया जाता रहा है। वहीं इस पेज से जंतर मंतर पर एक संप्रदाय विशेष के खिलाफ भड़काऊ नारे लगाने के आरोपी अश्विनी उपाध्याय का समर्थन भी किया गया है।