सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया गया है, जिसमें देखा जा सकता है कि एक महिला की सार्वजनिक तौर पर पेड़ से बांधकर पिटाई की जा रही है। इस वीडियो को शेयर करते हुए यूजर्स दावा कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में शरिया कानून के तहत महिला की पिटाई की गई।
इस वीडियो को शेयर करते हुए Imtiaz Mahmood नामक यूजर ने अंग्रेजी भाषा में कैप्शन लिखा, जिसका हिन्दी अनुवाद है, ‘शरिया कानून में महिलाओं और लड़कियों के साथ संपत्ति या यहाँ तक कि गुलामों जैसा व्यवहार किया जाता है। पुरुषों के देखते-देखते महिलाओं की सार्वजनिक रूप से पिटाई करना, शरिया कानून की एक विशेषता है!’

इसके अलावा कई अन्य यूजर्स ने भी इस वीडियो को शरिया कानून के तहत महिला को सार्वजनिक सजा दिए जाने का बताकर शेयर किया है, जिसे यहां और यहां देखा जा सकता है।
फैक्ट चेकः
DFRAC की टीम ने वायरल वीडियो की जांच में पाया कि इस घटना में शरिया कानून या मुस्लिम एंगल नहीं है और यह घटना भी हाल-फिलहाल की नहीं है। यह घटना मार्च 2018 में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की है। हमें इस घटना के संदर्भ में नवभारत टाइम्स और द लल्लनटॉप सहित कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं, जिसमें महिला की पिटाई करने वाले आरोपी पति का नाम सौदान सिंह बताया गया है।

इन मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि बुलंदशहर के स्याना तहसील के लौंगा गांव की शादीशुदा महिला 5 मार्च 2018 को अपने पड़ोसी धर्मेंद्र लोधी के साथ कहीं चली गई थी। गांव वालों ने 10 मार्च को महिला को ढूंढ निकाला और उसे गांव वापस ले आए। एक शादीशुदा महिला का किसी और के साथ चले जाना गांववालों को नागवार गुजरा। महिला के पति सौदान सिंह की गुजारिश पर गांव में 20 मार्च को पंचायत हुई और फिर महिला को पीटने की सजा का ऐलान हुआ। नतीजा ये हुआ कि महिला को पेड़ से बांधकर सात घंटों तक पीटा जाता रहा। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने पूर्व ग्राम प्रधान शेर सिंह, महिला के पति सौदान सिंह और एक अन्य आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करते हुए गिरफ्तार भी किया था।
निष्कर्षः
DFRAC के फैक्ट चेक से साफ है कि वायरल वीडियो के साथ शरिया कानून के तहत सजा दिए जाने का दावा गलत है। यह घटना मार्च 2018 की है और इस मामले मुस्लिम एंगल नहीं है। पीड़ित महिला और आरोपी पति दोनों मुस्लिम नहीं हैं।

