उत्तर प्रदेश के खेल, युवा कल्याण और पंचायती राज राज्य मंत्री उपेंद्र तिवारी ने 21 अक्टूबर, 2021 को यूपी के जालौन में मीडिया से बात करते हुए दावा किया कि 95% भारतीयों को पेट्रोल की आवश्यकता नहीं है और केवल कुछ मुट्ठी भर लोग ही चारपहिया वाहनों का उपयोग करते हैं। तिवारी के बयान के वक्त लखनऊ में पेट्रोल की कीमत 103.18 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 95.72 रुपये प्रति लीटर हो गई थी।
#WATCH | Jalaun: UP Min Upendra Tiwari says, "…Only a handful of people use 4-wheelers & need petrol. 95% of people don't need petrol. Over 100 cr vaccine doses were administered free of cost to people…If you compare (fuel price) to per capita income, prices are very low now" pic.twitter.com/rNbVeiI7Qw
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 21, 2021
तिवारी के “95% भारतीयों को पेट्रोल की आवश्यकता नहीं है” के दावे में जो उस तथ्य पर नहीं है, वह उन सभी क्षेत्रों पर ईंधन की बढ़ती कीमतों का प्रभाव है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ईंधन पर निर्भर हैं। ईंधन की बढ़ती कीमतें खाद्य मुद्रास्फीति में योगदान करती हैं और किसान की आय को प्रभावित करती हैं।
फैक्ट चेकः
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) की नवीनतम वार्षिक पुस्तिका के अनुसार 31 मार्च 2019 तक देश में 295.772 मिलियन वाहनों का पंजीकरण किया गया था। इनमें से 269.88 मिलियन वाहन गैर-परिवहन वाहन हैं, जिनमें 221.27 मिलियन दोपहिया, 32.42 मिलियन कारें, 2.9 मिलियन जीप, 8.82 मिलियन ट्रैक्टर, 2.23 मिलियन ट्रेलर, 0.55 मिलियन ओमनी बसें और 1.43 मिलियन अन्य वाहन शामिल हैं। जब परिवहन वाहनों की बात आती है, तो इयरबुक बताती है कि 31 मार्च, 2019 तक देश में 25.89 मिलियन परिवहन वाहन पंजीकृत थे। इनमें 6.68 हल्के मोटर वाहन (एलएमवी), 1.47 मिलियन बसें, 5.33 मिलियन ट्रक और लॉरी, 3.11 मिलियन टैक्सियां शामिल हैं, और शेष में किराए पर मोटरसाइकिल, मल्टीएक्सल / आर्टिक्यूलेटेड वाहन, यात्रियों के लिए एलएमवी और अन्य शामिल हैं।
ईयरबुक के मुताबिक, देश में 2018-19 और 2019-20 में क्रमश: 26.3 मिलियन और 21.5 मिलियन मोटर वाहन बेचे गए। वास्तव में 2009-10 और 2019-20 के बीच भारत में लगभग 240 मिलियन वाहन बेचे गए। जिनकी औसत वार्षिक बिक्री 21.818 मिलियन से अधिक थी। चूंकि इसमें निर्यात किए गए 34.8 मिलियन वाहन भी शामिल हैं, घरेलू स्तर पर बेचे गए वाहनों की संख्या 205.2 मिलियन थी।
जबकि MoRTH पंजीकृत वाहनों पर ईंधन-वार डेटा प्रकाशित नहीं करता है। वार्षिक पुस्तक में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि 2019 में देश में प्रति 1000 लोगों पर 225 पंजीकृत मोटर वाहन थे और देश में 31 मार्च 2019 तक 205.84 मिलियन ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए गए थे।
‘जीडीपी दोगुनी’ का दावा
तिवारी ने यह भी दावा किया कि, “आप 2014 से पहले और अब के आंकड़े लेते हैं। मोदी जी और योगीजी की सरकार बनने के बाद प्रति व्यक्ति आय दोगुनी से अधिक हो गई है।”
फैक्ट चेक:
यदि तिवारी पूरे देश की प्रति व्यक्ति आय की बात कर रहे थे, तो उनका दावा झूठा है। विश्व बैंक के अनुसार भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 2013 में 1,449.61 डॉलर थी और 2020 में बढ़कर 1900.707 डॉलर हो गई। इससे पता चलता है कि जीडीपी 2013 में जीडीपी के दोगुने से 998.5 डॉलर कम है। वास्तव में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी लगभग 200 डॉलर गिर गई है क्योंकि 2019 में 2100.751 डॉलर से 2020 में 1900.707 डॉलर हो गई है।
वहीं यूपी की बात करें तो योगी आदित्यनाथ मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार यूपी का प्रति व्यक्ति शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद (एनएसडीपी) 2016-17 में 52,671 रुपये था। 2020-21 में यूपी की प्रति व्यक्ति एनएसडीपी मौजूदा कीमतों पर 65,431 रुपये थी। इसलिए, योगी के सत्ता में आने के बाद से प्रति व्यक्ति एनएसडीपी दोगुना नहीं हुआ है।