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DFRAC विशेषः इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष में सोशल मीडिया पर बढ़ी हेट स्पीच

Indian Muslim

इंटरनेट के युग में विचारों का आदान-प्रदान सुगम हो गया है। इंटरनेट ने लोगों के बीच दूरियों को कम कर दिया है। इसने धर्म-जाति, ऊंच-नीच, सरहद जैसी सीमाओं को लांघ कर लोगों को बोलने की आजादी दी है। इसके साथ ही इसका एक दूसरा स्याह पहलू भी है। जहां हमें नफरत और घृणा देखने को मिलती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हालिया इज़राइल-फ़िलिस्तीन संघर्ष है, जिसने भारत के सोशल मीडिया यूजर्स को सांप्रदायिकता और ध्रुवीकरण में बदल दिया गया।

हमास के इज़राइल पर हमला करने के बाद से उपजे युद्ध के हालात ने भारत में भी सोशल मीडिया दो गुटों में बांट दिया। एक तबका जहां फिलिस्तीन के समर्थन में दिखाई पड़ रहा है, तो वहीं दूसरा वर्ग इजरायल के पक्ष में खड़ा दिख रहा है। ऐसे में सोशल मीडिया पर #IndianMuslim ट्रेंड हुआ। इस हैशटैग से जमकर पोस्ट शेयर किए गए। हमारी जांच में सामने आया कि ये हैशटैग 10 अक्टूबर, 2023 को ट्रेंड में आया और 11 अक्टूबर को पीक पर पहुंच गया। इस हैशटैग को ट्रेंड कराने के लिए कुल 156 ट्वीट किए गए। इसके बाद कुछ दिनों में यह हैशटैग धीरे-धीरे कम होता चला गया।

Indian Muslims

इसके साथ ही हमें ये भी पता चला कि हैशटैग के साथ कुछ शब्द भी इस्तेमाल किए गए थे, जिसमें गद्दार, सांप, जिहादी, बर्बरता जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया था।

Indian Muslims

ट्रेंड हो रहे इस हैशटैग के विश्लेषण करने पर इसके माध्यम से फैलाई जा रही नफरत और फेक/भ्रामक सूचनाएं हमारे सामने आ गईं। दरअसल, भारत में माहौल को खराब करने के लिए विभिन्न समूहों द्वारा कुछ समुदायों को निशाना बनाते हुए हेट कंटेंट शेयर किया जा रहा था।

#IndianMuslim हैशटैग के तहत हेट कंटेंटः

इसरायल-हमास संघर्ष के दौरान भारत में सोशल मीडिया पर काफी आक्रामक पोस्ट किए जा रहे थे। यहां नफरती वीडियो और तस्वीरों को शेयर कर फिलिस्तीन का समर्थन करने पर मुसलमानों को निशाना बनाया गया। इसके लिए #IndianMuslim हैशटैग का इस्तेमाल हुआ। इस दौरान ट्विटर के नीति-नियमों की भी जमकर धज्जियां उड़ाई गईं। इतना ही नहीं मुस्लिमों को निशाना बनाने के लिए कोडेड लेंगवेज़ का प्रयोग किया गया। जैसे- “Muslims” शब्द के बजाय “Buzlims” शब्द लिखा गया। ताकि ट्विटर की कार्रवाई से बचने में आसानी हो।

Palestine

इन ट्वीट्स में भारतीय मुसलमानों की अपने देश के प्रति वफादारी पर संदेह जताया गया, इसके साथ ही झूठे दावे किए गए कि मुस्लिम समुदाय भारत के बजाय पहले पाकिस्तान और हमास जैसे संगठनों के लिए वफादार है।

Israel

हालांकि इस दौरान सबसे ज्यादा चिंताजनक बात ये रही कि हैशटैग के साथ “गद्दार” (देशद्रोही) “उम्माह” और “जिहादी” जैसे अपमानजनक शब्दों का जमकर प्रयोग किया गया। इस पूरे पैटर्न में एक समुदाय विशेष के खिलाफ शाब्दिक हिंसा देखने को मिली। समुदाय विशेष के लोगों को नीचा दिखाने के लिए भद्दे, अपमानजनक और जहरीले शब्द प्रयोग में लाये गए।

Indian Muslim
Gaza

वहीं दूसरी और गाजा पर इजरायल की भीषण बमबारी और हवाई हमलों बाद मुस्लिम और अरबी अकाउंट से हिंदुओं को निशाना बनाया गया। क्योंकि वे इजरायल का समर्थन कर रहे थे। हालांकि दोनों पक्षों ने संघर्ष की पेचीदगियों और मानवता के बुनियादी सवालों को पीछे छोड़ दिया था। वे कुछ  समझने के बजाय बिना रुके एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे थे।

इन अरबी अकाउंट से अरब देशों में रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्तियों के बहिष्कार का आह्वान तक कर दिया गया। वे उनकी धार्मिक मान्यताओं के कारण फिलिस्तीन के प्रति अपनी एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए हिंदुओं के अरब देशों से निर्वासन का आग्रह कर रहे थे। उनकी आलोचना का फोकस विशेष रूप से उन भारतीयों को लेकर था जिन्होंने इजराइल के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया था।

Indian Muslim

इंटरनेट पर स्टीरियोटाइपिंग और ध्रुवीकरण की लड़ाईः

हमें हैशटैग #IndianMuslims के साथ कई ऐसे ट्वीट मिले, जिसमें फिलिस्तीन का समर्थन करने पर मुसलमानों के लिए ‘सांप’ जैसे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया।

Israel

हालाँकि, केवल मुसलमानों को ही निशाना नहीं बनाया गया। हिंदुओं को भी ‘गाय-पूजक’, ‘मूत्र-पीने वाले’ आदि जैसे अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया गया। इसलिए यह स्पष्ट हो गया है कि ये ट्वीट महज संयोग से नहीं किए गए थे, बल्कि एक सोची-समझी साजिश थी, जिसे हिन्दू और मुसलमानों में दरार डालने के लिए अमल में लाया गया था।

Israel

भारतीय मुसलमानों का उड़ाया मजाकः

इस हैशटेग के साथ व्यंग्यचित्रों का प्रसार हुआ, जिनका उद्देश्य भारतीय मुसलमानों का मज़ाक उड़ाना और उनकी निंदा करना था।

Indian Muslims

हैशटैग के साथ किए गए टॉप 100 पोस्टों में से, लगभग 15 प्रतिशत में कोई पाठ्य सामग्री नहीं थी। इनमें केवल मीम्स और कैरिकेचर थे, जो अपमानजनक और उत्तेजक थे।

इस हैशटैग के संदर्भ में, कई वीडियो वायरल हुए, जिनमें कुछ हैंडल्स ने दावा किया कि ये इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष से संबंधित थे। हालांकि, जांच के दौरान हमने पाया कि ये वीडियो भ्रामक और फेक थे।

फेक न्यूज़ 1

एक वीडियो शेयर किया गया जिसमें इजरायली युद्धक विमानों को गाजा में मुस्लिमों के घरों पर बमबारी करते हुए दिखाया गया है। जांच करने पर, हमने पाया कि यह वीडियो 10 साल पहले सीरियाई वायु सेना के जेट द्वारा याब्रूड शहर पर बमबारी की फुटेज का था।

फेक न्यूज 2

एक तस्वीर प्रसारित की गई जिसमें आरोप लगाया गया कि केरल के लुलु मॉल में भारतीय ध्वज को पाकिस्तानी ध्वज के नीचे रखा गया था। हालाँकि, ये तस्वीर भ्रामक थी, क्योंकि इसे एक विशिष्ट कोण से लिया गया था। मॉल की अन्य तस्वीरों में भारतीय ध्वज को उसी ऊंचाई पर दिखाया गया है, जिस ऊंचाई पर भारत में चल रहे क्रिकेट विश्व कप में भाग लेने वाले अन्य देशों के झंडे लगे हुए थे। लुलु मॉल प्रबंधन ने दावे को खारिज करते हुए पुष्टि की कि झंडे समान रूप से लगे हुए थे।

फेक न्यूज 3

एक वायरल वीडियो में आरोप लगाया गया कि कतर के अमीर ने कहा, ”भारतीय मुसलमानों को अरब मुद्दों में हस्तक्षेप करना बंद करना चाहिए। हमें धर्मांतरित मुसलमानों से प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है।”

जांच से पता चला कि वीडियो छह साल पुराना था। इसे 17वें दोहा फोरम से उठाया गया था, जहां अमीर ने विकास, स्थिरता और शरणार्थी मुद्दों पर चर्चा की थी।

ट्विटर के इस सेगमेंट की जांच करने पर, हमें ऐसे व्यक्तियों की उपस्थिति देखने को मिली, जो सार्वजनिक स्थानों पर नफरत फैलाने वाले भाषण और वक्तव्य देते रहते हैं। इन व्यक्तियों ने लगातार अपने ट्वीट्स के जरिये नफरती बयानबाजी की। सोशल मीडिया पर फॉलोवर्स की महत्वपूर्ण संख्या के कारण, उनके भाषणों का भी व्यापक सामाजिक प्रभाव होता है, ऐसे में उनके ये भाषण विभिन्न समुदायों के बीच खाई को बढ़ाने की कोशिश करते हैं।

यति नरसिंहानंद

यति नरसिंहानंद सरस्वती अपने विवादास्पद भाषणों और हिंसा की वकालत के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने हाल ही में एक बार फिर भड़काऊ बयान दिया। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में डासना देवी मंदिर के प्रमुख ने गाजा पट्टी में इजरायल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष की पृष्ठभूमि में मध्य-पूर्व की अशांति में खुद को शामिल करने का इरादा व्यक्त किया। उन्होंने एक वीडियो बयान जारी कर कहा कि वह अपने अनुयायियों के साथ इज़राइल में स्थानांतरित होना चाहते हैं। ताकि वह हमास के खिलाफ लड़ सके।

वीडियो संदेश के दौरान, शिष्यों के एक छोटे समूह के साथ नरसिंहानंद ने जोर देकर कहा कि इजरायल और भारत दोस्त हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि सनातन धर्म के अनुयायियों के पास वर्तमान में इसका मुकाबला करने के लिए साधनों की कमी हो सकती है। परिणामस्वरूप, उन्होंने अपना और अपने अनुयायियों का समर्थन इजरायल को इस शर्त पर दिया कि उन्हें उस देश में स्वतंत्र रूप से अपने धर्म का पालन करने की अनुमति दी जाएगी।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शांति के समय में, वे अपनी नियमित गतिविधियाँ जारी रखेंगे; लेकिन, संघर्ष या संकट के समय, वे इज़रायल के साथ एकजुटता से खड़े होंगे, यहाँ तक कि इस उद्देश्य के लिए बलिदान देने को भी तैयार होंगे। उन्होंने 16 अक्टूबर को नई दिल्ली में इजरायली दूतावास से औपचारिक रूप से अनुरोध करने के अपने इरादे की घोषणा की, ताकि उस देश में बस सकें।

नरसिंहानंद का अतीत भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भड़काऊ टिप्पणियां करने का रहा है। उन्होंने कथित तौर पर दिसंबर 2021 में हरिद्वार में धर्म संसद के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जहां मुसलमानों के खिलाफ हिंसा का आह्वान किया गया था। इस घटना के वीडियो की व्यापक निंदा हुई। लोगों ने इस बयानबाजी की तुलना 1930 के दशक में नाजी जर्मनी की चरमपंथी विचारधाराओं से की। इसके अतिरिक्त, उन्होंने भारतीय संविधान, सर्वोच्च न्यायालय और सेना के प्रति संदेह व्यक्त किया है, और उन लोगों के बारे में उत्तेजक बयान दिए हैं जो इन संस्थानों पर भरोसा करते हैं।

यति नरसिंहानंद के हेट स्पीच पर हमारी ये रिपोर्ट पढ़ें

शेखर चहल

नफरत को बढ़ावा देने के लिए साध्वी प्राची का एक करीबी सहयोगी शेखर चहल भी विभाजनकारी गतिविधियों में शामिल हो गया। उन्होंने भारत में मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के स्पष्ट इरादे से इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष से संबंधित ट्वीट पोस्ट किए। एक ट्वीट में, उन्होंने लोगों से भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच में झंडे लहराकर इज़रायल के लिए समर्थन दिखाने का आग्रह किया, ऐसा प्रतीत होता है कि इस कदम का उद्देश्य क्रिकेटर रिज़वान और भारत में मुस्लिम समुदाय को “देश के गद्दार” के रूप में चिह्नित करना था।

Israel
Twitter

एक अन्य वीडियो में उन्हें इज़रायल के लिए मजबूत समर्थन व्यक्त करते हुए ‘जिहाद’ शब्द का उपयोग करते हुए पाया गया था।

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हालांकि उनका यूजर नेम: @modifiedshekar नोट किया जाना चाहिए। दरअसल, उन्होंने अपना यूजर नेम बदल दिया। वह पहले फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के नाम से अपना अकाउंट चला रहे थे। वह खुद के “कट्टर हिंदू” होने का दावा करते हैं।

जैसा कि नीचे दिए गए ग्राफ़िक में दिखाया गया है, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि @ModifiedShekar ने अपने पिछले ट्वीट्स को मिटाने के लिए काफी प्रयास किए हैं, जो मूल रूप से कंगना रनौत के यूजर नेम से किए गए थे।

यहां दिलचस्प बात यह है कि इस यूजरनेम के पूर्व और वर्तमान दोनों यूजरनेम एक ही यूजरआईडी शेयर करते हैं। यह व्यक्ति, जो पहले @iKanganaTeam के नाम से अकाउंट चलाता था, उसने फॉलोअर्स की संख्या बढ़ाने के लिए से “फॉलो करो और फॉलो बैक पाओ” की रणनीति का सहारा लिया था।

इस बात पर प्रकाश डालना महत्वपूर्ण है कि @ModifiedShekar अधिक फॉलोवर्स पाने के लिए लगातार विभाजनकारी और सांप्रदायिक पोस्ट करता रहता है।

साध्वी प्राची

विवादित और नफरती भाषणों के लिए जानी जाने वाली साध्वी प्राची ने ‘सनातनी वॉयस’ नामक एक अकाउंट के साथ एक वीडियो साक्षात्कार में भारतीय मुसलमानों पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग फ़िलिस्तीन के साथ एकजुटता व्यक्त करते हैं, वे स्वतः ही हमास के साथ जुड़ जाते हैं। उनका सुझाव है कि फिलिस्तीनी मुद्दे के लिए उनका समर्थन हमास का समर्थन करने के बराबर है। इसके अलावा, वह इन समर्थकों और प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के बीच तुलना करती है, यह संकेत देते हुए कि उन्हें शहीद के समान प्रकाश में नहीं देखा जा सकता है।

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ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से शेखर चहल को साध्वी प्राची का करीबी सहयोगी माना जाता है। वे एक-दूसरे के ट्वीट को रिपोस्ट करके नफरती कंटेंट को प्रचारित करते रहते हैं। जिससे उनकी संबद्धता सार्वजनिक स्थानों पर ध्रुवीकरण और भड़काऊ संवाद को बढ़ावा देने को दर्शाती है।

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मुस्लिम और अरबी अकाउंट से विरोध

दरअसल, इजरायल-फिलिस्तीन के बीच संघर्ष के दौरान नफरत फैलाने वाला भाषण केवल हिंदू दक्षिणपंथी गुटों तक ही सीमित नहीं है। इस समूह के अलावा, मुस्लिम और अरबी सोशल मीडिया अकाउंट से भी जमकर नफरत फैलाई है। हैरानी की बात यह है कि कुछ अरबी अकाउंट वास्तव में फिलिस्तीन के लिए समर्थन दिखाने के नाम पर अरब देशों में भारतीय मजदूरों के बहिष्कार का आह्वान कर रहे थे। यह पूरा परिदृश्य दिखाता है कि विभाजनकारी बयानबाजी की कोई सीमा नहीं है, जो विभिन्न जातिय और धार्मिक समूहों के बीच आग की तरह फैल रही है।

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इसके अलावा एक और ट्वीट मिला जहां दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के विरोध का एक वीडियो शेयर किया गया था। यूजर ने सिख समुदाय पर हमला बोलते हुए लिखा, ”सिख भारतीय सबसे गंदे लोग हैं। संकट की शुरुआत में, उन्होंने इज़रायल का समर्थन किया और फ़िलिस्तीनी बच्चों की मौत से खुश थे, लेकिन जब उनके और कनाडा के बीच संकट और समस्या हुई, तो वे फ़िलिस्तीन के साथ हो गए।

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अली सोहराब

अली सोहराब इस्लामोफोबिया के खिलाफ लड़ने का दावा तो करता हैं,  लेकिन उसके ट्वीट्स नफरत से भरे होते हैं। अपने एक ट्वीट में, उसने हिंदुओं को उत्पीड़क और मुसलमानों को पीड़ित बताया है। इस प्रकार की बयानबाजी, जटिल सामाजिक मुद्दों को सरल बनाने के बजाय द्विआधारी विरोधों में बदल देती है और दो समुदायों के बीच गलतफहमी पैदा करने में योगदान दे सकती है।

Israel

हमने पहले भी बार-बार ऐसे उदाहरणों की ओर ध्यान आकर्षित किया है जब वह नफरत और इस्लामोफोबिया को बढ़ावा दे रहे होते हैं। यहां विस्तार से पढ़ें

उसके ट्वीट में ‘हुनूद’ नाम का एक शब्द अक्सर इस्तेमाल किया जाता है, जो हिंदुओं को संदर्भित करता है। एक हालिया ट्वीट में, उसने आह्वान किया – “सभी हुनूद, चाहे संघी हों या उदारवादी, जिनमें भारतीय उदारवादी पत्रकार भी शामिल हैं, जो मुसलमानों से दान और सदस्यता आदि पर पल रहे हैं, एक स्वर में फिलिस्तीनी स्वतंत्रता सेनानियों को आतंकवादी लिख रहे हैं और झूठ फैला रहे हैं।” इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ एक के बाद एक झूठ और दुष्प्रचार फैला रहे हैं। वे अपनी कुंठित और विकृत मानसिकता का परिचय दे रहे हैं…”

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निष्कर्ष

इज़रायल और फ़िलिस्तीन के इर्द-गिर्द चर्चा के व्यापक दायरे पर विचार करते हुए, #IndianMuslims हैशटैग को समाज में भ्रम, कलह और असामंजस्य के बीज बिखेरने के एक सोचे-समझे प्रयास के रूप में देखा जा सकता है। इसका उद्देश्य नफरत और विभाजन के जरिये समाज के धर्मनिरपेक्ष और बहुलवादी ताने-बाने को नुकसान पहुंचाना है।

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