
सोशल मीडिया पर एक पोस्टर जमकर वायरल हो रहा है। इस पोस्टर के जरिये आरक्षण मुक्त भारत की मांग की जा रही है। दरअसल, दावा किया जा रहा है कि आरक्षण कोटे से बने डॉक्टर ने एक महिला के बाएं पैर के बदले दाएं पैर का ऑपरेशन कर दिया।

Source: X
सोशल साईट X पर यूजर मनोज शर्मा ने वायरल पोस्टर को शेयर किया। इस पोस्टर में एक महिला और उसके परिजन अस्पताल में दिखाई दे रहे है। वहीं पोस्टर पर न्यूज़ चैनल टीवी 9 भारतवर्ष का लोगो लगा हुआ है। इसके साथ ही लिखा है – “आरक्षणधारी डॉक्टर फैक्चर महिला के बाएं पैर में था। डॉक्टर ने दाये का ऑपरेशन कर दिया”

Source: X

Source: X
इसके अलावा कई अन्य यूजर ने भी वायरल पोस्टर को ऐसे ही मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
फैक्ट चेक:

Source: Facebook
वायरल दावे की जांच के लिए DFRAC ने फेसबुक पर टीवी 9 भारतवर्ष के आधिकारिक पेज की जांच की। इस दौरान हमें ऐसा ही एक पोस्टर देखने को मिला। ये पोस्टर 27 दिसंबर 2024 को शेयर किया गया था। हालांकि इस पोस्टर पर सिर्फ इतना लिखा है कि “फ्रैक्चर महिला के बाएं पैर में था, डॉक्टर ने दाएं का ऑपरेशन कर दिया।“

Source: TV9 Bharatvarsh
वहीं आगे की जांच में हमें घटना से जुड़ी टीवी 9 भारतवर्ष की रिपोर्ट भी मिली। जिसमे बताया गया कि “यह घटना प्रतापगढ़ जिले के कन्हई थाना क्षेत्र के सिकरी कानूपूर गांव की रहने वाली भुईला देवी के साथ हुई। भुईला देवी के बाएं पैर में चोट लगने के बाद वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गई थीं। एक्सरे से पता चला कि उनके बाएं पैर में फ्रैक्चर था, जिसके बाद डॉक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दी। ऑपरेशन के बाद जब भुईला देवी को बाहर लाया गया तो परिजनों ने देखा कि ऑपरेशन बाएं पैर पर नहीं, बल्कि दाएं पैर पर किया गया था। यह देखकर परिजनों में घबराहट फैल गई और उन्होंने तुरंत अस्पताल प्रशासन से सवाल पूछे। इसके बाद भुईला देवी को फिर से ऑपरेशन रूम में ले जाकर बाएं पैर का सही ऑपरेशन किया गया। घटना के बाद खबर आग की तरह फैल गई और अस्पताल में हलचल मच गई। ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर पीके पांडेय मौके से गायब हो गए। अस्पताल प्रशासन ने सफाई देते हुए कहा कि बाएं पैर की कटोरी टूटी हुई थी, जिसका ऑपरेशन किया गया, जबकि दाहिने पैर में सूजन और खून जमा हुआ था, जिसे निकाला गया। अस्पताल प्रशासन की यह सफाई परिजनों और लोगों को संतुष्ट करने में नाकाम रही।
निष्कर्ष:
अत: DFRAC के फैक्ट चेक से स्पष्ट है कि वायरल दावा भ्रामक है। क्योंकि वायरल पोस्टर को एडिट किया गया है। साथ ही पोस्टर में “आरक्षण धारी” शब्द को जोड़ा गया है