हाइब्रिड युद्ध एक ऐसी सैन्य रणनीति है, जो खुले तौर पर दुश्मनी दिखाए बगैर विरोधी देशों के लिए दुष्प्रचार अभियान के तरीकों के साथ-साथ पारंपरिक, अनियमित और साइबर युद्ध से जोड़ती है। हाइब्रिड युद्ध के सिद्धांत को फ्रैंक हॉफमैन ने 2007 में प्रस्तावित कर दिया था, जब इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से दुनियाभर के देश एक-दूसरे से जुड़ना शुरु कर रहे थे। लेकिन इतने कम समय में ही सोशल मीडिया इस कदर युद्ध के माध्यम में बदल जाएगा इसकी संभावना शायद ही किसी भी देश को उस वक्त नहीं रही होगी। क्योंकि इस दृष्टिकोण का एक प्रमुख पहलू सूचना युद्ध है, जो किसी भी देश के लिए धारणाओं को बदलने, उसके आंतरिक माहौल में कलह पैदा करने और संस्थागत विश्वास को कमजोर करने के लिए प्रमुखता से इस्तेमाल होता है। यह रणनीति विशेष रूप से भारत-पाकिस्तान के तनावपूर्ण संबंधों में भी स्पष्टता के साथ देखी जा सकती है, जहां कश्मीर जैसे अनसुलझे मुद्दे के लिए सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्मों पर सूचना युद्ध को बढ़ावा दिया जाता है। अब इस कड़ी में भारत के पंजाब को लेकर सूचना युद्ध का एक विशेष ट्रेंड देखने को मिलने रहा है। सिख समुदाय को लेकर खालिस्तान आंदोलन के बहाने कई देशों में सक्रिय समूहों द्वारा इसमें आग लगाने का कार्य किया जा रहा है। DFRAC ने खालिस्तान आंदोलन के बहाने भारत के आंतरिक मामलों पर हस्तक्षेप करने की कोशिशों पर कई विस्तृत रिपोर्ट्स प्रकाशित की है। इन रिपोर्ट्स में पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में चल रही खालिस्तान के समर्थन में गतिविधियों और उनके ट्रेंड को उजागर किया गया है।
DFRAC अपनी इस रिपोर्ट में एक ऐसे पाकिस्तानी ट्विटर हैंडल पर प्रकाश डालने जा रहा है, जो सिख समुदाय से जुड़ी खबरों की आड़ में भारत विरोधी खालिस्तानी एजेंडे का प्रचार और प्रसार कर रहा है। इस रिपोर्ट में हम नीचे दिये हुए बिंदुओं को कवर करेंगे।
- नेशन गजट के बारे में
- फेक और भ्रामक दावे
- खालिस्तानी एजेंडे का प्रसार
- हिंदुत्ववादियों की मुस्लिम विरोधी हिंसा
- पाकिस्तानी फॉलोवर
- फेक एडमिन
- निष्कर्ष
नेशन गजट के बारे में
Source: Twitter
ये अकाउंट (ID: 1120921448) जनवरी 2013 में बनाया गया था। ये अकाउंट खुद को “खालिस्तान गणराज्य का डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म” होने का दावा करता है। अकाउंट को जुलाई 2023 के महीने में ट्विटर से ब्लू बेज खरीद कर वेरिफाईड कराया गया था। अकाउंट के 750 से ज्यादा फॉलोवर है। अकाउंट की लोकेशन पंजाब दिखाई गई है। वहीं भारत के मशहूर डॉक्टर रजबीर बाजवा को इस अकाउंट का एडमिन बताया गया है।
इस अकाउंट से पहला ट्वीट साल 2020 में किया गया था, जबकि अकाउंट 2013 में बनाया गया था। यानि अकाउंट के बनने के सात साल बाद इस अकाउंट से पहला ट्वीट किया गया। जो इस अकाउंट की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है। ऐसा इसलिए किया गया हो कि ये अकाउंट पहले किसी और नाम से संचालित हो रहा हो और अब अकाउंट ने अपना यूजर नेम बदल दिया हो और एक नया एजेंडा शुरू करने के लिए अपने पिछले ट्वीट सभी हटा दिए हों।
फेक और भ्रामक दावे
1। क्या भारतीय सेना ने एलओसी पर UNMOGIP वाहन पर चलाई गोलियां?
अकाउंट से पहला ट्वीट 20 दिसंबर, 2020 को रात 11:00 बजे पोस्ट हुआ जो भारत को निशाना बनाने के लिए किया गया। नेशन गजट ने यह ट्वीट पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान के ट्वीट के कुछ घंटे बाद किया। इमरान खान ने अपने ट्वीट में भारत पर निशाना साधते हुए देश पर जानबूझ कर UNMOGIP वाहन पर गोली चलाने का आरोप लगाया।
Source: Twitter
ट्वीट में लिखा है, “अंतर्राष्ट्रीय कानून का पूर्ण उल्लंघन, भारत ने यूएनएमओजीआईपी वाहन पर एलओसी पर जानबूझकर गोलीबारी की।” संयुक्त राष्ट्र के स्पष्ट चिह्नों और नीले संयुक्त राष्ट्र ध्वज के लहराने के बावजूद, यह स्वीकार्य राज्य व्यवहार और अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के सम्मान के सभी अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के प्रति भारत की पूर्ण उपेक्षा को दर्शाता है।”
Source: Twitter
ट्वीट में कहा गया है, “अंतर्राष्ट्रीय कानून के पूर्ण उल्लंघन में, संयुक्त राष्ट्र के स्पष्ट चिह्नों और नीले संयुक्त राष्ट्र ध्वज के बावजूद एलओसी पर यूएनएमओजीआईपी वाहन पर भारत की जानबूझकर गोलीबारी, स्वीकार्य राज्य व्यवहार के सभी अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के सम्मान के लिए भारत की कुल उपेक्षा को दर्शाती है। पाक इस दुष्ट व्यवहार की कड़ी निंदा करता है।”
सिर्फ इमरान खान के अकाउंट से ही नहीं बल्कि पीटीआई के आधिकारिक अकाउंट (@PTIofficial) और पाक पीएमओ (@PakPMO) से भी भारत पर निशाना साधते हुए इस तरह के ही ट्वीट किए गए।
फैक्ट चेक:
ट्वीट में किये गए दावे की जांच के लिए DFRAC टीम ने इस घटना से जुड़ी सभी खबरों को जांचा। इस दौरान हमें इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट में पाकिस्तान के इस दावे का खंडन किया गया है।
रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उप प्रवक्ता फरहान अजीज हक के हवाले से कहा गया कि “भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह ने हमें सूचित किया कि 18 दिसंबर को, संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षकों को ले जा रहा एक यूएनएमओजीआईपी वाहन जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर रावलकोट के पास नियमित निगरानी गतिविधियों का संचालन करते समय एक अज्ञात वस्तु से प्रभावित हुआ था, जो युद्धविराम उल्लंघनों पर नज़र रखने और रिपोर्ट करने के अपने आदेश के हिस्से के रूप में था। उन्होंने आगे कहा, “यूएनएमओजीआईपी कर्मियों और ड्राइवर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा लेकिन वाहन को कुछ नुकसान हुआ है। मिशन फिलहाल घटना की जांच कर रहा है।”
वहीं एएनआई और हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में भी पाकिस्तान के दावे के निराधार होने की पुष्टि होती है।
नेशन गज़ट, पूर्व पाकिस्तानी पीएम इमरान खान का ये दावा फेक पाया गया। क्योंकि भारत की तरफ से कोई फायरिंग नहीं की गई थी।
2। मणिपुर की महिला के शव को गलत संदर्भ मे वायरल करना
मणिपुर हिंसा के बीच एक महिला के शव का वीडियो वायरल हो रहा है। नेशन गजट नाम के ट्विटर यूजर ने इस वीडियो को ”संवेदनशील सामग्री” के साथ शेयर किया है।
Source:Twitter
वीडियो को केप्शन देते हुए नेशन गजट ने लिखा कि मणिपुर का एक और भयानक वीडियो जहां मैतेई #हिंदुओं ने एक ईसाई कुकी महिला के साथ बलात्कार किया और फिर उसे मौत के घाट उतार दिया। भारत विश्व की सामूहिक चेतना के साथ खेल रहा है। मणिपुर हिंसा मानवता के चेहरे पर एक काला धब्बा है जबकि दुनिया चुपचाप देख रही है। ऐसा लगता है जैसे व्यापारिक हित मानव जीवन से अधिक महत्वपूर्ण हैं। #ChristianGenocide #KukiWomen #Kuki #MeiteiRapists #BJPFailsIndia”
फैक्ट चेक:
Source:TheTelegraphonline
वायरल वीडियो के साथ किये गए दावे की जांच के लिए Dfrac टीम ने वीडियो की जांच की। इस दौरान हमें ‘द टेलीग्राफ’ की एक रिपोर्ट मिली। 7 अगस्त, 2023 को प्रकाशित इस रिपोर्ट में वीडियो के पीछे की सच्चाई को उजागर किया गया।
रिपोर्ट में बताया कि पीड़ित महिला मणिपुर में नागा जनजाति से थी, कुकी समुदाय से नहीं। रिपोर्ट में पीड़ित परिवार के हवाले से बताया गया, “लुसी नागा जनजाति मारिंग से थी। लुसी को एक समूह द्वारा उठाया गया था और इम्फाल पश्चिम में उसके घर से लगभग 10 किमी दूर इम्फाल पूर्व के सॉओम्बुंग ले जाया गया था, जहां वह अपनी मां और भाई के साथ रहती थी।”
Source:The Indian Express
एक अन्य मीडिया हाउस, द इंडियन एक्सप्रेस ने भी 19 जुलाई 2023 को इस खबर को कवर किया। उन्होंने बताया, ”मारिंग नागा समुदाय की सदस्य लुसी मारेम की शनिवार को इंफाल पूर्वी जिले केइबी हेइकक मापल गांव की तलहटी के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई। अगले दिन, पांच महिलाओं सहित मैतेई समुदाय के नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया।
Dfrac के फैक्ट चेक से प्रमाणित होता है कि वायरल वीडियो में दिख रही महिलाएं ईसाई कुकी समुदाय से नहीं बल्कि नागा जनजाति से हैं। रिपोर्ट में महिला के साथ किसी यौन उत्पीड़न का भी जिक्र नहीं है। इस प्रकार नेशन गजट का वायरल दावा भ्रामक साबित होता है।
खालिस्तानी एजेंडे का प्रसार
अकाउंट से बड़ी संख्या में खालिस्तान के समर्थन में ट्वीट किये गए। ट्वीट देश विरोधी गतिविधियों में कथित तौर पर संलिप्त अमृतपाल सिंह को लेकर किये गए। ट्वीट में खालिस्तान की स्थापना को एक धार्मिक लक्ष्य करार दिया गया। इसके अलावा कनाडा और आस्ट्रेलिया में बैठे अलगाववादी के भारत विरोधी खालिस्तानी एजेंडे को भी प्रमोट किया गया। गुरूपतसिंह पन्नू को खालिस्तान का राजदूत बताया गया। पन्नू के हवाले से घोषणा करते हुए ट्वीट में कहा गया कि शिमला खालिस्तान की राजधानी होगी। खालिस्तान सभी देशों में अपने राजदूत मुफ्त में नियुक्त करेगा। खालिस्तान के पड़ोसी और अन्य सभी देशों के साथ मित्रवत सबंध होंगे। इसके अलावा खालिस्तान रेफ्रेंडम की बात कहीं गई। ट्वीट में तिरंगे के अपमान करने की भी अपील की गई।
हिंदुत्ववादियों की मुस्लिम विरोधी हिंसा
अकाउंट से मुस्लिमों के खिलाफ हिन्दूत्ववादी संगठनों की हिंसा को भी आधार बनाते हुए भारत को निशाना बनाया गया। ट्वीट में कहा गया कि भारत में अल्पसंख्यकों के लिए कोई राहत नहीं है। भारत में अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक समाज की हिंसा से घिरे हुए है। मुसलमान धमकी, लिंचिंग, उत्पीड़न का सामना कर रहे है। ट्वीट में मुसलमानों के लिए एक अलग देश को लेकर फिर टू नेशन थ्योरी की फिर से जरूरत बताई गई।
पाकिस्तानी फॉलोवर
नेशन गजट (@NationGazette) के ट्विटर अकाउंट पर लगभग 790 फॉलोअर्स हैं। जब हमने इस अकाउंट के फॉलोअर्स की जांच की तो देखा कि मुस्लिम और सिख लोगों के नाम पर बहुत सारे डमी अकाउंट बने हुए हैं।
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इन फॉलोवर में भी दुरे अकरम (@dureakram) शामिल है। जो डेली टाइम्स पाक (@DailyTimesPak) पंजाब, पाकिस्तान के संपादक हैं। वह नियमित रूप से इस अकाउंट के पोस्ट को रीट्वीट भी करते हैं।
फेक एडमिन
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नेशन गजट ने अपने अकाउंट का एडमिन @DrRajbirBajwa को बताया है, जो श्री गुरु रामदास इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, अमृतसरएक जनरल और लेप्रोस्कोपिक सर्जन (एमबीबीएस, एमएस) हैं।
डॉ. रणबीर सिंह बाजवा का अकाउंट अगस्त 2018 में बनाया गया था, जो नेशन गजट के ट्विटर अकाउंट के बनने के बाद बना है। नेशन गजट के अकाउंट की तरह, एडमिन डॉ. राजबीर सिंह बाजवा के अकाउंट में भी 10 जुलाई 2023 से शुरू होकर केवल 307 ट्वीट हैं।
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अकाउंट की विश्वसनीयता संदिग्ध होने और ट्वीट के पैटर्न असामान्य प्रतीत होने के कारण हमने अमृतसर में असली डॉ. राजबीर सिंह बलवा से संपर्क किया और उन्होने हमें बताया कि उनका ट्विटर या फेसबुक पर कोई अकाउंट नहीं है। ऐसे में साफ है कि डॉ. राजबीर सिंह बाजवा के नाम से फेक अकाउंट चलाया जा रहा है।
निष्कर्ष
सिख गज़ट पाकिस्तान से चलने वाला एक भारत विरोधी ट्विटर अकाउंट है। जो खालिस्तान के मुद्दे पर भारत विरोधी अभियान चलाये हुए है। यह भारत के बाहर विदेशी मुल्कों में होने वाली खालिस्तानी गतिविधियों का प्रचार-प्रसार करता है। सिख समुदाय में खुद की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए सिख समुदाय से जुड़ी खबरे दिखाता है। इतना ही नही उसने अमृतसर के मशहूर डॉक्टर डॉ. राजबीर सिंह बलवा के नाम से फेक अकाउंट बनाया गया है और इस अकाउंट को एडमिन के रूप में बताया है। इसके ज़्यादातर फॉलोवर भी पाकिस्तानी है। ऐसे में साफ है ये पाकिस्तान के सुनियोजित भारत विरोधी एजेंडे का हिस्सा है। जो भारत की एकता, अखंडता को नुकसान पहुंचाने और देश में अस्थिरथा फैलाने के लिए चलाया जा रहा है।