लोकतंत्र में सूचना के प्रवाह की बड़ी महत्ता है। इसलिए सूचना के पारंपरिक माध्यम के रूप में मास मीडिया एक प्रमुख माध्यम रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। सोशल मीडिया कितना ताकतवर इस बात का ऐहसास उसने साल 2011 में अरब स्प्रिंग या अरब क्रांति के वक्त बखूबी दिखाया था, जब कई अरब देशों में जनता के विरोध प्रदर्शनों के बाद सरकारें गिर गई थीं। सोशल मीडिया की इस ताकत ने जहां कई सकारात्मक बदलाव किए तो वहीं इसका दूसरा पहलू इतना भयानक और वीभत्स है कि यह बर्बादी और तबाही भी मचा सकता है। कई देशों और राज्यों में सोशल मीडिया के माध्यम ऐसी भ्रामक खबरें फैली, जिसने विकराल दंगे और जातिय संघर्ष का रूप ले लिया।
इसके अलावा सोशल मीडिया युद्ध का माध्यम भी बनता जा रहा है, जिसे ‘सूचना युद्ध’ कहा जाता है। इसका इस्तेमाल कई परस्पर विरोधी देश एक-दूसरे खिलाफ करते रहे हैं। इसी सूचना युद्ध के तहत मौजूदा परिस्थितियों में भारत को घरेलू और वैश्विक मंचों पर कमजोर करने के इरादे से सोशल मीडिया पर कई ग्रुप एक्टिव हैं। वह भारत में राजनीतिक अस्थिरता, दुनिया में भारत की छवि को धूमिल करने और भारत के हितों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से फेक और भ्रामक लगातार सूचनाएं फैलाते रहते हैं। इन भ्रामक और फेक सूचनाओं का प्रसार इसलिए भी होता रहता है, क्योंकि एल्गोरिदम के माध्यम से यूजर्स को सिर्फ वही सूचनाएं मिलने लगती हैं, जो किसी खास मकसद और लक्ष्य को हासिल किए जाने के लिए तैयार की जाती हैं। इन सूचनाओं को फैलने में मदद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की ‘फिल्टर बबल’ प्रक्रिया भी करती है। कई शोध में यह उल्लेखित किया गया है कि ‘फिल्टर बबल’ उस स्थिति को कहते हैं, जहां सर्च इंजन किसी भी यूजर की इन्टरनेट सर्च बिहैवियर, सर्च हिस्ट्री, परचेजिंग हिस्ट्री के आधार पर सूचनाएं स्वतः ही उपलब्ध कराने लग जाते हैं। इस कारण किसी भी सोशल मीडिया यूजर्स को एक ही तरह की सूचनाएं बार-बार उपलब्ध होने लगती हैं और उसके लिए एक विशेष प्रकार की इंटेलेक्चुअल आइसोलेशन की स्थिति पैदा होने लगती है और अपने पूर्वाग्रहों के ‘एको चेंबर्स’ में रहने का आदी होने लगता है।
भारत की स्थितियों को वैश्विक मंचों पर खासतौर पर इस्लामिक मुल्कों में कमजोर करने के लिए पाकिस्तान और अरब देशों के कई यूजर्स हैं, जो लगातार फेक और भ्रामक सूचनाएं शेयर करते रहते हैं। DFRAC की टीम ने कई ऐसे अकाउंट्स के प्रोपेगेंडा को बेनकाब किया है, जो भारत के खिलाफ अभियान चलाते रहते थे। इस विशेष रिपोर्ट में हम ट्विटर पर सक्रिय हामिद अल-अली नामक यूजर का विश्लेषण प्रदान कर रहे हैं।
कौन हैं हामिद अल-अली?
हामिल अल-अली के ट्विटर पर 2 लाख 50 हजार फॉलोवर्स हैं, वह 2011 से ट्विटर से जुड़े हुए हैं। हामिद के ज्यादातर ट्वीट अरबी भाषा में होते हैं। हालांकि हामिद ने अपनी लोकेशन और वर्तमान शहर का नाम स्पष्ट नहीं किया है। हामिद के विकिपीडिया पर दिए गए बायो के अनुसार वह चरमपंथी समूह अल कायदा के एक सूत्रधार और उसको फंडिंग करने वाले समूह के साथ जुड़े रहे हैं। वह 1991 से 1999 तक कुवैत के सलफी आंदोलन के महासचिव भी थे।
हाल ही में, वह पिछले वर्षों की तुलना में सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय है। हालांकि, यह चिंताजनक है कि वह अपने ट्विटर अकाउंट पर विशेष रूप से भारत को लक्षित करते हुए भारी मात्रा में घृणित और झूठी सामग्री पोस्ट करते रहते हैं।
ऊपर दिया गया टाइमलाइन ग्राफ दिसंबर 2022 से हामिद अल-अली के ट्विटर पर सक्रियता को प्रदर्शित करता है। ग्राफ दिखाता है कि ट्विटर पर हामिद अल-अली की इंगेजमेंट पिछले साल की तुलना में इस साल ज्यादा बढ़ी है।
हामिद अल-अली का भारत विरोधी अभियान
हामिद अल-अली ने कई मौकों पर भारत विरोधी अभियान चलाया है। उसने ट्विटर पर भारत विरोधी कई हैशटैग के साथ सोशल मीडिया कैंपेन की शुरूआत की थी या फिर उस सोशल मीडिया कैंपेन में शामिल रहा था। हामिद अल-अली भारत विरोधी हैशटैग्स जैसे- #BoycottIndianProducts, #IndiapersecutesMuslimwomen, #Indiabansthehijab और #Except _ the _ Messenger _ of _ God _ O _ Modi के तहत कई ट्वीट्स किए थे। हामिद द्वारा किए गए ट्विट्स का स्क्रीनशॉट्स यहां दिया जा रहा है।
#الهندتمنعالحجاب (#India bans the hijab)
#الهندتضطهدالمسلمات #India persecutes Muslim women
अरब देशों में कई मौकों पर सोशल मीडिया पर भारत द्वारा निर्मित वस्तुओं के बायकॉट की अपील की गई है। इसके लिए #BoycottIndianProducts का हैशटैग चलाया गया। यहां एक कोलाज दिया जा रहा है, जिसमें भारतीय प्रोडक्ट के बहिष्कार की अपील करते हुए ट्वीट्स किए गए हैं।
नुपूर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद साहब पर की गई अभद्र टिप्पणी के बाद अरब देशों में भारत विरोधी अभियान चलाया गया था। हामिद अल-अली भी उस अभियान का हिस्सा था। नीचे दिया गया कोलाज उस अभियान के दौरान हामिद द्वारा किए गए ट्वीट्स को दर्शाता है।
#إلا_رسول_الله_يا_مودي #Except _ the _ Messenger _ of _ God _ O _ Modi
पैगंबर मोहम्मद साहब की आड़ लेकर सोशल मीडिया पर किए भारत विरोधी अभियान पर DFRAC की टीम ने रिपोर्ट की श्रृंखला प्रकाशित की थी, जिसे यहां पढ़ा जा सकता है। इन रिपोर्ट्स में हमारी टीम ने उन तत्वों को बेनकाब किया था, जो लगातार भारत के अंदरूनी मामलों पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाते रहते हैं।
हामिद द्वारा फैलाई गई फेक-भ्रामक सूचनाएं
हामिद अल-अली ने समय-समय पर भारत के अंदरूनी मामलों को लेकर सोशल मीडिया पर भ्रामक और फेक खबरें शेयर किए हैं। यहां DFRAC की टीम हामिद द्वारा फैलाई गई कई भ्रामक और फेक खबरों का फैक्ट चेक प्रदान कर रही है…
फेक/भ्रामक न्यूज संख्या-1-
मस्जिद पर फहराया भगवा झंडा?
रामनवमी के मौके पर भारत के विभिन्न राज्यों में दो समुदायों के बीच झड़प और पथराव की घटनाएं सामने आई थीं। सोशल मीडिया पर इन घटनाओं के संदर्भ में कई वीडियो वायरल हुए थे। एक वीडियो राजस्थान के गंगानगर के बताकर वायरल किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि एक मस्जिद पर भगवा झंडा फहरा दिया गया है। हामिद अल-अली ने इसी दावे के साथ वीडियो को शेयर किया था।
फैक्ट चेकः
DFRAC की टीम ने जब वायरल वीडियो का फैक्ट चेक किया, तो सामने आया कि गंगानगर में मस्जिद पर भगवा झंडा नहीं फहराया गया था। दरअसल जिस घर पर भगवा झंडा फहराया गया था, वह मस्जिद के पास स्थित था। गंगानगर पुलिस ने इस मामले पर स्पष्टीकरण दिया था और फेक न्यूज फैलाने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार भी किया था। DFRAC के फैक्ट चेक को आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
फेक/भ्रामक न्यूज संख्या-2-
भारत में मुस्लिम के अधिकार छीने जाएंगे?
गृहमंत्री अमित शाह ने तेलंगाना में आयोजित एक रैली में कहा था कि अगर तेलंगाना में बीजेपी की सरकार बनी तो राज्य में मुसलमानों को मिलने वाला आरक्षण समाप्त कर दिया जाएगा। उन्होंने अपने संबोधन में दावा किया कि शिक्षा और नौकरी में मुस्लिम रिज़र्वेशन संविधान विरोधी है। अमित शाह के बयान पर हामिद अल-अली ने ट्वीट किया था कि अमित शाह ने चुनावी रैली के दौरान शपथ लिया कि अगर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीतती है, तो मुसलमानों के अधिकारों ख़त्म कर देंगे।
फैक्ट चेकः
DFRAC की टीम ने हामिद के दावे की जांच की तो पाया उनका दावा भ्रामक है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि अमित शाह ने तेलंगाना में एक रैली के दौरान कहा कि अगर बीजेपी की सरकार बनी तो कर्नाटक की तरह यहां भी मुस्लिम आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा। दरअसल अरबी में रिज़र्वेशन के लिए “मुखस्सिसा” “हजज़” आदि शब्द हैं और “हुकूक” का मतलब अधिकार है, जो “हक़” का बहुबचन है। हामिद अल-अली ने अपने ट्वीट में “हुकूक” का प्रयोग किया है।
फेक/भ्रामक न्यूज संख्या-3-
हिजाब पहने मुस्लिम लड़की से हिन्दुओं की छेड़खानी?
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें कुछ लड़के हिजाब पहनी एक लड़की से बदसलूकी कर रहे थे। लड़कों ने उसका फ़ोन भी छीन लिया था। वीडियो में हिजाब पहनी लड़की अपना फोन लौटाने का अनुरोध भी करती है। इस वीडियो को शेयर कर हामिद अल-अली ने लिखा, “भारत: हिंदुत्व चरमपंथियों ने हिजाब की वजह से एक मुस्लिम महिला पर हमला किया।”
फैक्ट चेकः
DFRAC की टीम द्वारा वीडियो का फैक्ट चेक करने पर सामने आया है कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक महिला प्रसिद्ध बीबी का मकबरा देखने आई थी। कुछ मुस्लिम युवकों ने हिंदू पुरुष के साथ घूमने के शक में हिजाब पहनी महिला के साथ बीच सड़क पर बदसलूकी की। इसलिए हामिद अल-अली का दावा गलत है।
फेक/भ्रामक न्यूज संख्या-4-
मणिपुर में मुस्लिमों पर हिन्दूओं का हमला?
भारत के मणिपुर राज्य में आरक्षण को लेकर हिंसा भड़क गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हिंसा में अभी तक 54 लोगों की मौत हुई है। इस हिंसा पर हामिद अल-अली ने एक वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि मणिपुर में बहुसंख्यक हिन्दूओं द्वारा मुस्लिमों पर हमला कर उनके घर जलाए जा रहे हैं। वहीं पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है।
फैक्ट चेकः
भारतीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह दंगा राज्य में आरक्षण को लेकर भड़क गई। दरअसल मैतेई समुदाय की ओर से मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसमें अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का मुद्दा उठाया गया था। जिसके विरोध में 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला था। इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। इसके बाद हालात इतने बिगड़ गए कि कई जिलों में कर्फ्यू लगाना पड़ा। यहां यह स्पष्ट होता है कि यह मुस्लिम विरोधी हिंसा नहीं है।
निष्कर्षः
DFRAC के विश्लेषणों से सोशल मीडिया पर भारत विरोधी अभियान के कई मॉड्यूल सामने आए हैं। जिसमें प्रमुख रूप से भारत में अल्पसंख्यकों के साथ होने वाली घटनाओं को लेकर प्रोपेगैंडा और झूठा प्रचार किया जाना है। पिछले कुछ वर्षों में मुसलमान, सिख और ईसाई समुदायों के साथ होने वाली स्थानीय स्तर की घटनाओं को सोशल मीडिया पर बढ़ा-चढ़ाकर पेश करके अंतर्राष्ट्रीय अभियान चलाया गया है, जबकि इनमें से कई घटनाएं ऐसी हैं जो लोकल स्तर पर घटित होती हैं और वहीं खत्म हो जाती हैं, लेकिन उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ऐसे प्रचारित और प्रसारित किया जाता है, जैसे भारत के हालात अल्पसंख्यकों के लिए अनूकुल नहीं रह गए। इसके लिए बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया कैंपेन किए जाते हैं। कई हैशटैग्स के साथ ट्वीट किया जाता है। ऐसा विश्व समुदाय का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया जाता है, जिससे भारत की छवि को धूमिल किया जा सके। वहीं कई घटनाएं को लेकर प्रोपेगेंडा किया जाता है, जो फेक और भ्रामक हैं।