SBI चेयरपर्सन ने रिटायर्ड होते ही कहा, मोदी सरकार में बोलने की आज़ादी नहीं? पढ़ें, फ़ैक्ट-चेक

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1983 विश्व कप विजेता भारतीय टीम का हिस्सा रहने वाले क्रिकेटर और दरभंगा बिहार से तीन बार संसद सदस्य रहे, कीर्ति आज़ाद ने ट्विटर पर एक ग्राफिकल इमेज शेयर करते हुए लिखा,“इसको गोदी मीडिया नहीं रिपोर्ट करेगा”

इस ग्राफ़िकल इमेज में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) की पहली महिला चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य को देखा जा सकता है। साथ ही लिखा है, “मोदी सरकार में बोलने की आज़ादी नही, रिटायरमेंट के बाद बोली SBI की Chairperson अरुंधति भट्टाचार्य। नोटबंदी जानलेवा फैसला था”

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कीर्ति आज़ाद के इस ट्वीट को 2300 से ज़्यादा यूज़र्स ने रिट्वीट किया है, जबकि लगभग आठ हज़ार से ज़्यादा लाइक किया गया है।

फ़ैक्ट चेक

उपरोक्त दावे का फ़ैक्ट-चेक करने के लिए DFRAC टीम ने इस संदर्भ में कुछ की-वर्ड की मदद से सर्च किया। हमें कहीं भी SBI की पूर्व चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य का ऐसा कोई बयान नहीं मिला।

अलबत्ता हमें वेबसाइट चौथी दुनिया द्वारा पब्लिश एक न्यूज़ मिली, जिसे शीर्षक, “पहली बार नोटबंदी पर खुलकर बोली SBI की पूर्व चेयरपर्सन” के तहत पब्लिश किया गया है।

इस न्यूज़ के अनुसार भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की पूर्व चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने नोटबंदी को लेकर बयान देते हुए कहा है कि बैंकों को नोटबंदी की तैयारी के लिए और समय दिया जाना चाहिए था। ऐसे में अचानक (8 नवंबर 2016 को) नोटबंदी होने पर बैंकों पर काफी दबाव पड़ा है।

ख़बर में आगे बताया गया है कि- अरुंधति भट्टाचार्य ने एक कार्यक्रम में कहा कि अगर हम किसी नई तरह की चीज के लिए तैयार होते हैं, तब यह ज्यादा सार्थक और बेहतर होता। स्पष्ट तौर पर अगर नोटबंदी के लिए थोड़ी अधिक तैयारी का मौका मिलता, निश्चित रूप से इसका हम पर दबाव कम होता। उन्होंने कहा कि अगर आपको नकदी लानी-ले जानी होती है, उसके कुछ नियम है। हमें पुलिस की ज़रूरत होती है। क़ाफिले की व्यवस्था करनी होती है। नज़दीकी मार्ग चुनना होता है। यह बड़ा ‘लाॅजिस्टिक’ कार्य होता है।

नोटबंदी के लाभ के बारे में उन्होंने कहा कि इससे करदाताओं की संख्या 40 प्रतिशत बढ़ी, उच्च मूल्य की मुद्रा पर निर्भरता कम हुई और डिजिटलीकरण बढ़ा है।

वहीं टाइम्स ऑफ़ इंडिया द्वारा पब्लिश न्यूज़ में भी बताया गया है कि  नोटबंदी पर अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि बैंको को तैयारी के लिए और टाइम दिया जाना चाहिए था।

timesofindia

निष्कर्ष:

DFRAC के इस फ़ैक्ट-चेक से स्पष्ट है कि कीर्ति आज़ाद का दावा भ्रामक है, क्योंकि SBI की पहली महिला चेयरपर्सन ने नहीं कहा है कि मोदी सरकार में बोलने की आज़ादी नहीं।