गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान हो चुका है। दूसरे चरण का मतदान 5 दिसबंर होना है। इस बीच सोशल मीडिया पर आम आदमी पार्टी का एक पोस्टर वायरल हो रहा है। इस पोस्टर को शेयर करने वाले यूजर्स दावा कर रहे हैं कि आम आदमी पार्टी मुस्लिमों को लुभाने के लिए कई वादे कर रही है।
वायरल पोस्टर में मुस्लिम समुदाय से 7 वादे किये गए हैं, जिसमें हर मौलवी को 10 हजार प्रतिमाह देने, हर छोटी मस्जिद और दरगाह को 2 लाख वार्षिक सहायता देने, हर मदरसे को प्रतिमाह 25 हजार रुपए देने, हज यात्रियों के लिए 100 फीसदी की सब्सिडी, शून्य ब्याज पर 10 लाख तक का लोन देना शामिल है।
इस पोस्टर को शेयर करते हुए वेरीफाइड यूजर विजय पटेल ने लिखा- “सूत्रों के मुताबिक, यह पैम्फलेट गुजरात के एक अल्पसंख्यक इलाके में बांटा जा रहा है. इस पैम्फलेट के अनुसार, केजरीवाल ने मौलवियों को 10 हजार वेतन सहित कई अन्य मुफ्त देने का वादा किया है”
वहीं इस पोस्टर को कई अन्य सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा भी शेयर किया जा रहा है।
- https://twitter.com/__Bhagwa/status/1597572215498997760?t=TWZAPOZe54olyZdfpoLeBg&s=19
- https://twitter.com/Narmada85819770/status/1598139124216889346?t=3B7fA6HrsNo-tPdcch_eGA&s=19
फैक्ट चेकः
वायरल पोस्टर का फैक्ट चेक करने के लिए DFRAC की टीम ने पोस्टर को रिवर्स सर्च किया। हमें आम आदमी पार्टी के गुजरात प्रवक्ता पुनीत जुनेजा का एक ट्वीट मिला। इस ट्वीट में जुनेजा ने वायरल पोस्टर को फेक बताते हुए ओरिजिनल पोस्टर शेयर किया है।
उन्होंने लिखा- “फैक्ट चेकर के नाम पर फेक न्यूज पेडलर। हम @AAPGujarat के कानूनी प्रकोष्ठ लोग इस फेक न्यूज पेडलर के खिलाफ साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराने जा रहे हैं। लोगों से अनुरोध है कि तथाकथित पत्रकारों और फैक्ट चेकर्स द्वारा फैलाई जा रही ऐसी फर्जी खबरों से सावधान रहें।”
वहीं आम आदमी पार्टी के समर्थक डॉ. सफीन ने भी वायरल पोस्टर को फेक बताते हुए आम आदमी पार्टी के सही पोस्टर को शेयर किया है। उन्होंने लिखा- “बीजेपी आईटी सेल ने @ArvindKejriwal की फोटो वाला एक फर्जी पैम्फलेट बनाया है। उन्होंने आप को बदनाम करने के लिए ऐसे फर्जी पर्चे बांटे हैं। ये व्हाट्सएप में भी सर्कुलेट हो रहे हैं। बीजेपी को पता चल गया है वो हार रहे है, इसलिए ऐसे नीच हाथकंडे अपना रहे है!”
निष्कर्षः
DFRAC की पड़ताल से स्पष्ट है कि वायरल पोस्टर फेक है। आम आदमी पार्टी द्वारा इसका खंडन किया गया है। इसलिए सोशल मीडिया यूजर्स का दावा गलत है।