पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्ज़ा ने हाल ही में दावा किया कि उसने भारत की जासूसी की थी। उसने यह जासूसी तब की थी जब उसे भारत के पूर्व उप-राष्ट्रपति Hamid Ansari द्वारा आमंत्रित किया गया था। उसने यह दावा भी किया कि भारत की पांच अलग-अलग यात्राओं के दौरान एकत्र की गई संवेदनशील जानकारी को पाक की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई को सौंपा था। इन सभी दावों के बीच हामिद अंसारी ने नुसरत मिर्ज़ा को पहचानने से इनकार करते हुए मुलाकात की खबरों का खंडन किया है। हामिद अंसारी ने ऐसे दावों को फ़ेक क़रार दिया है। पत्रकार मिर्ज़ा इससे पहले भी कई तरह के दावे कर चुका है। उसने पाकिस्तान में आए भूकंप के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया था। इसके अलावा उसने जापान में आई सुनामी में भी अमेरिका का हाथ बताया था।
नुसरत मिर्ज़ा के दावे के बाद कई तरह से सवाल खड़े होने शुरु हो गए। सबसे बड़ा सवाल है कि क्या हामिद अंसारी मिर्ज़ा को पहले से जानते थे? और अगर वो मिर्ज़ा को पहले से जानते भी थे तो क्या वो इस बारे में बा ख़बर थे कि मिर्ज़ा यहां जासूसी के लिए यहां आया था? क्या सुरक्षा एजेंसियों को किसी पाकिस्तानी पत्रकार द्वारा भारत की जासूसी किए जाने के संबंध में कोई सूचना थी? और, सवाल तो खुद नुसरत के बयान को लेकर भी उठ रहे हैं क्या उसके द्वारा किया गया दावा सही भी है या नहीं? या फिर वो इस तरह का बयान देकर शेखी बघार रहा है कि “हम मुगल हैं। हमने सदियों तक भारत पर राज किया है। हम उनकी संस्कृति को समझता हैं। हम उनकी कमज़ोरियों के बारे में जानते हैं।”
पाकिस्तानी पत्रकार के दावे के भारत में हामिद अंसारी को लेकर बहस शुरु हो गई। हामिद अंसारी शुरु से दक्षिणपंथियों के निशाने पर रहे हैं। उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर भ्रामक और तथ्यहीन खबरें शेयर की जाती रही हैं। इस मामले की सच्चाई जो भी हो, लेकिन इसने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया और ट्विटर पर पूर्व उप-राष्ट्रपति से जुड़े हैशटैग ट्रेंड करने लगे। इन्हीं हैशटैग में #HamidAnsari समेत #HamidAnsariExposed, #NusratMirza, #Pakistan, #ISI आदि सबसे ज़्यादा ट्रेंड करने वाले हैशटैग में शामिल हैं।
कई सोशल मीडिया यूज़र्स पहले ही अपना फैसला सुना चुके हैं और Hamid Ansari को देशद्रोही घोषित कर चुके हैं।
टाइमलाइन
नीचे दिया गया ग्राफ़ #HamidAnsari के हैशटैग की टाइमलाइन के बारे में है। ग्राफ़ से पता चलता है कि हैशटैग 11 जुलाई से शुरू हुए और 12 जुलाई को 2,800 से अधिक ट्वीट और 2,000 रिप्लाई के साथ अपने चरम पर थे। फिर धीरे-धीरे ट्रेंड कम हुए।
हैशटैग के साथ ट्वीट करने वाले वेरीफाइड अकाउंट्स
3557 नॉन वेरीफाइड और 133 वेरीफाइड यूज़र्स ने हैशटैग के साथ ट्वीट किया है। हालांकि कुछ समर्थन में भी थे लेकिन ज़्यादातर पूर्व उपराष्ट्रपति के प्रति आलोचनात्मक थे।
मेंशन किये गए अकाउंट्स
नीचे उन अकाउंट्स को सूचीबद्ध किया गया है जिन्हें #HamidAnsari के हैशटैग वाले ट्वीट्स में सबसे अधिक मेंशन किया गया था। ज़्यादातर जिन अकाउंट्स का उल्लेख किया गया था उनमें @PMOIndia का 150 से अधिक टैग के साथ सबसे अधिक उल्लेख किया गया था, इसके बाद @INCIndia को 140 बार टैग किया गया था, फ़िर @HMOIndia 125 से अधिक बार टैग किया गया था।
हामिद अंसारी के खिलाफ़ भ्रामक दावे
मिर्ज़ा के दावे के बाद कई पुरानी घटनाओं को एक तरह से पूर्व उपराष्ट्रपति Hamid Ansari की वफ़ादारी पर सवाल उठाने के लिए पेश किया गया है। जैसे पुरानी तस्वीरें सोशल मीडिया साइट्स पर अलग अलग दावे के साथ शेयर की जा रही हैं। 66वें गणतंत्र दिवस की एक तस्वीर इंटरनेट पर पूर्व उपराष्ट्रपति को निशाना बनाते हुए शेयर की गई है। उन्हें पहले भी भारतीय ध्वज का सम्मान ना करने के लिए दोषी ठहराया गया था। जब प्रीति गांधी समेत कई लागों ने राष्ट्रगान के दौरान राष्ट्रीय ध्वज को सलामी ना देने के लिए उनकी आलोचना की थी।
अब, लोग फिर से वही तस्वीरें शेयर कर रहे हैं और राष्ट्र के प्रति उनकी वफ़ादारी पर प्रश्न खड़े कर रहे हैं।
हक़ीक़त:
प्रोटोकॉल के अनुसार, जब राष्ट्रगान बजाया जाता है, तो प्रधान गणमान्य व्यक्ति और जो यूनिफॉर्म में होते हैं, वे सलामी लेते हैं। जो सिविल ड्रेस में होते हैं वे सावधान की मुद्रा में खड़े रहते हैं।
उस समय हामिद अंसारी के कार्यालय को इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण के लिए एक आधिकारिक बयान जारी करना पड़ा था। गुरदीप सप्पल, संयुक्त सचिव और उपराष्ट्रपति के ओएसडी ने एक बयान में कहा था, “गणतंत्र दिवस परेड के दौरान, भारत के राष्ट्रपति, सर्वोच्च कमान के रूप में सलामी लेते हैं। प्रोटोकॉल के अनुसार, उपराष्ट्रपति का सावधान की मुद्रा में खड़ा होना आवश्यक है।”
इस बयान में उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला, “जब उपराष्ट्रपति प्रधान गणमान्य व्यक्ति होते हैं, तो वह राष्ट्रगान के दौरान, टोपी पहनकर सलामी देते हैं, जैसा कि उस वर्ष एनसीसी कैंप में किया गया था।”
इसी तरह के एक अन्य ट्वीट में, एक यूज़र बीएचके ने लिखा,“क्या आप जानते हैं कि हामिद अंसारी, मुख्तार अहमद अंसारी के भतीजे हैं, जो 1918 और 1920 में मुस्लिम लीग के अध्यक्ष थे और उन्होंने ख़िलाफ़त आंदोलन का खुलकर समर्थन किया था, जिसमें सैकड़ों निर्दोष हिंदुओं का कत्लेआम किया गया था?”
जल्द ही यह ट्वीट इंटरनेट पर वायरल हो गया जिसमें Hamid Ansari के परदादा की खिलाफ़त आंदोलन का हिस्सा होने के कारण आलोचना की गई थी, और यूज़र ने यह भी लिखा था कि इसमें सैकड़ों हिंदुओं का नरसंहार हुआ था।
खिलाफ़त आंदोलन का हिंदुओं से कोई लेना-देना नहीं था क्योंकि खिलाफत आंदोलन को तुर्की में अंग्रेज़ों द्वारा ख़िलाफ़त ख़त्म करने के बाद शुरू किया गया था। 1919-1922 में भारत में ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए गांधी जी के नेतृत्व में असहयोग और खिलाफ़त, दोनों आंदोलनों का आयोजन किया गया था। आंदोलन के अलग-अलग कारण होने के बावजूद दोनों आंदोलन ने अहिंसा को अपनाया।
मुख्तार अहमद अंसारी 1927 में गांधी जी के निमंत्रण पर इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष बने, उन्होंने अपनी सारी संपत्ति इंडियन नेशनल कांग्रेस की गतिविधियों के लिए खर्च की, जिसकी वजह से वो लगभग दिवालिया हो गए। इसके बाद उन्होंने अपनी ज़िंदगी जामिया मिल्लिया इस्लामिया के विकास और लेखन में गुज़ारी। पुरानी दिल्ली के दरियागंज में अंसारी रोड का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है। एम्स, नई दिल्ली के पास अंसारी नगर का नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया है।
इसलिए हामिद अंसारी विवाद के बीच यह भ्रामक दावों के साथ ट्वीट कर सांप्रदायिक नफ़रत फैलाया गया है।
ट्वीट/रिप्लाई करने वाले अकाउंट्स
#HamidAnsari के हैशटैग पर सबसे ज़्यादा ट्वीट करने वाले अकाउंट्स नीचे दिए गए हैं। हैशटैग पर ट्वीट करने वाले 3,700 से अधिक यूज़र्स के साथ, नीचे कुछ अकाउंट्स हैं जिन्होंने इस विषय पर प्रमुख रूप से ट्वीट किया है। @rjs32826722 ने हैशटैग पर 37 ट्वीट्स के साथ सबसे अधिक ट्वीट किए हैं, उसके बाद @umakantsingh_in ने 35 और @real_rastravadi ने 32 ट्वीट्स किये हैं।
वर्डक्लाउड
नीचे दिए गए वर्डक्लाउड से पता चलता है कि #HamidAnsari पर केंद्रित हैशटैग में प्रमुख रूप से कौन से शब्द इस्तेमाल किए गए थे। इन्हीं कुछ शब्दों में,”ग़द्दार”, “पाकिस्तानी”, “आईएसआई”, “जासूस”, आदि शामिल हैं।
हैशटैग के लिए बनाए गए थे नए अकाउंट्सः
3,000 से अधिक यूज़र्स का विश्लेषण करने के बाद, यह सामने आया कि अधिकांश अकाउंट्स इस वर्ष जून और जुलाई के महीने में बनाए गए थे। 7 जून और 2 जुलाई को लगभग 20 और 15 अकाउंट्स बनाए गए, जिन्होंने सभी हैशटैग पर ट्वीट किए।
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निष्कर्ष
पूर्व उपराष्ट्रपति Hamid Ansari ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्ज़ा को न तो कभी आमंत्रित किया और न ही उनसे मुलाक़ात की है। पूर्व उपराष्ट्रपति ने ख़ुद पर लगे सभी आरोपों को झूठ का पुतला बताते हुए खारिज कर दिया है। हालांकि, सत्तारूढ़ पार्टी (बीजेपी) के प्रमुख प्रवक्ता ने पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्ज़ा के दावे का समर्थन किया है, जिसमें पूर्व उप-राष्ट्रपति अंसारी और मिर्ज़ा की एक साथ मंच साझा करते हुए एक तस्वीर थी, श्री अंसारी अभी भी नुसरत मिर्ज़ा को जानने से इनकार कर रहे हैं। पूर्व उपराष्ट्रपति के खिलाफ़ कोई पुख्ता सबूत नहीं है। लेकिन सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ़ रोष है।