देश में इन दिनों ताजमहल, कुतुब मीनार सहित तमाम मस्जिदों और मजारों को लेकर भ्रामक दावे किए जा रहे हैं। कभी किसी कुतुब मीनार को विष्णु स्तंभ बताया जा रहा है, तो कभी ताजमहल को तेजो महादेव का मंदिर। हालांकि इन दावों पर कोर्ट द्वारा याचिकाकर्ताओं को खरी-खरी सुनाते हुए उन्हें एमए-पीएचडी की पढ़ाई करने तक की सलाह दी जा चुकी है, लेकिन फिर भी इस तरह के दावों की हरदिन भरमार होती रहती है।
ताजा विवाद अजमेर में महान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर पैदा किया जा रहा है। सोशल मीडिया यूजर्स अजमेर शरीफ दरगाह के लिए कई भ्रामक और तथ्यहीन दावे कर रहे हैं। महाराणा प्रताप सेना नाम के संगठन ने कुछ तस्वीरें शेयर कर दावा किया है कि अजमेर शरीफ दरगाह में स्वाष्तिक के निशान वाली जाली है, जो किसी हिन्दू मंदिर में होते हैं।
अजमेर शरीफ दरगाह पर धानी वाधवा ने लिखा- “जिस #अजमेर दरगाह में लाखो हिंदुओ को मरवाने और हजारों हिंदू औरतों की लाज को ताड़ ताड़ करने वाले मोइनुद्दीन चिश्ती की कब्र पर कुछ मूर्ख हिंदू माथा पटकने जाते है. आखिरकार अब उसकी सच्चाई भी सामने आने लगी है”
जिस #अजमेर दरगाह में लाखो हिंदुओ को मरवाने और हजारों हिंदू औरतों की लाज को ताड़ ताड़ करने वाले मोइनुद्दीन चिश्ती की कब्र पर कुछ मूर्ख हिंदू माथा पटकने जाते है
आखिरकार अब उसकी सच्चाई भी सामने आने लगी है pic.twitter.com/4I83gDclEG
— Dhani Wadhwa (@DhaniWadhwa2) May 26, 2022
अमित द्विवेदी नाम के यूजर ने लिखा- “अजमेर शरीफ़ दरगाह के नीचे नाथ सम्प्रदाय के एक साधु की समाधि थी जिसके ऊपर दरगाह खड़ी की गयी। इसका अर्थ वहाँ किसी नाथ योगी की ही समाधि है। सच सामने आना चाहिए”
https://twitter.com/DwivAmi/status/1530043256716726272?s=20&t=xzHd7qx4_MpqeHZSGY8m0w
वहीं अजय प्रताप सिंह नाम के यूजर ने लिखा- “अब अजमेर की ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह के हिंदू मंदिर होने का दावा, पुरातत्व सर्वेक्षण की मांग. खोदो खोदो भारत के कोने कोने में शिव ही मिलेंगे. हर हर महादेव”
अब अजमेर की ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह के हिंदू मंदिर होने का दावा, पुरातत्व सर्वेक्षण की मांग
खोदो खोदो भारत के कोने कोने में शिव ही मिलेंगे🔱 हर हर महादेव 🔱 pic.twitter.com/TO9gNbnvIY
— 🔥अजय सिंह चौहान(अज्जू भाई)🔥 (@AJJUBHAI2196) May 26, 2022
पं रविशंकर जोशी ने लिखा- “एकलिंग मंदिर को तोड़कर अजमेर शरीफ दरगाह बनाया गया था. मतलब साफ यहां भी खुदाई. हर हर महादेव”
https://twitter.com/ravisjoshi44/status/1529847536545959936?s=20&t=xzHd7qx4_MpqeHZSGY8m0w
फैक्ट चेकः
सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा ये दावा वायरल हो रहे एक फोटो के आधार पर किया जा रहा है। हमारी टीम ने इसके फैक्ट चेक के लिए गूगल पर सर्च किया। हमें ‘दैनिक भाष्कर’ की वेबसाइट पर 27 मई 2022 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट को शीर्षक- “अजमेर दरगाह में मंदिर के दावे का सच: परिसर में नहीं मिले स्वास्तिक के निशान, जो फोटो दिखाए गए वैसी जाली तक नहीं” दिया गया है।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि- “दैनिक भास्कर ने दरगाह शरीफ जाकर पड़ताल की। यहां टीम को सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में किसी भी हिस्से में ऐसी जाली नहीं मिली, जिस पर स्वास्तिक का निशान बना हुआ हो। न ही वैसे पत्थर मिले, जैसे महाराणा प्रताप सेना संगठन द्वारा जारी की गई तस्वीर में नजर आ रहे हैं।”
दैनिक भाष्कर की पड़ताल में और कई फैक्ट सामने आए, जो अजमेर शरीफ दरगाह के मंदिर नहीं होने की पुष्टि करते हैं।
निष्कर्षः
हमारी फैक्ट चेक से साबित होता है कि सूफी संत हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती की अजमेर शरीफ दरगाह किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई है। यह दरगाह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की है, जो भारत में प्रेम, भाईचारा और आपसी सौहार्द की मिसाल हैं। यहां हिन्दू-मुस्लिम सहित सभी धर्मों के लोग जियारत करने के लिए आते हैं।
दावा- अजमेर शरीफ दरगाह मंदिर तोड़कर बनाई गई थी
दावाकर्ता- सोशल मीडिया यूजर्स
फैक्ट चेक- गलत और भ्रामक