राजस्थान इन दिनों सोशल मीडिया और मेनस्ट्रीम मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। पिछली कई घटनाएं ऐसी हैं, जिनकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। राजस्थान की करौली के बाद जोधपुर में हिंसा और टकराव की खबरें आई हैं। वहीं अलवर के राजगढ़ में 300 साल पुराने शिव मंदिर गिराए जाने का विवाद भी काफी तूल पकड़ा था। जिसके बाद बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे पर हमलावर हो गए हैं।
इन विवादों के बाद सोशल मीडिया पर तमाम फर्जी और फेक समाचारों की बाढ़ आ गई है। सोशल मीडिया यूजर्स एक तस्वीर को शेयर करके दावा कर रहे हैं कि अब राजस्थान की राजधानी जयपुर में भी 300 साल पुराने मंदिर को तोड़ दिया गया। इस तस्वीर में देखा जा सकता है कि एक जेसीबी से मंदिर को गिराया जा रहा है। सोशल मीडिया यूजर्स इसके लिए राजस्थान की कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
फेसबुक पर उमाकांत पांडेय नाम के यूजर ने लिखा- “इसे कहते हैं सरकार.. तीन सौ साल पुराना कागज राजस्थान सरकार ने खोज ही निकाला और पाया कि अलवर का यह शिवमंदिर जमीन पर अतिक्रमण करके बनाया गया था। कल उसे ढहा दिया गया। इधर कुछ लोग महज पचास साठ साल पुराना कागज नहीं खोज पा रहे हैं.. और उन्हें सीधा कोर्ट जाना पड़ रहा है.. खैर.. सरकार का जैसा मुड दिख रहा है उससे लगता है… कागज तो दिखाना पड़ेगा ही.. अगर तीन सौ साल पुराना कागज मिल गया तो पचास साठ साल पुराना कैसे नहीं मिलेगा..।”
वहीं फेसबुक पर श्रीकांत भालेराव नाम के यूजर ने लिखा- “कांग्रेस सरकार में 300 साल पुराने मंदिर को अतिक्रमण का हवाला देकर तोड़ा गया। कांग्रेस का हिन्दू विरोधी चेहरा बेनकाब।”
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फैक्ट चेकः
वायरल हो रहे तस्वीर को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें ‘आज तक’ की वेबसाइट पर प्रकाशित एक न्यूज मिली। इस न्यूज को 14 जून 2015 को शाम 6 बजकर 43 मिनट पर प्रकाशित किया गया था। इस खबर को शीर्षक- “जयपुर मेट्रो के विस्तार की खातिर ढहा दिए 200 साल पुराने मंदिर” दिया गया है।
निष्कर्षः
इस फैक्ट से साबित होता है कि सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा किया जा रहा दावा झूठा और भ्रामक है। साथ ही ‘आज तक’ पर प्रकाशित खबर से दो फैक्ट सामने आ रहा है-
पहला– शिव मंदिर को जमीन अतिक्रमण के नाम पर नहीं तोड़ा गया बल्कि जयपुर में मेट्रो के लिए तोड़ा गया था।
दूसरा– 2015 में कांग्रेस की अशोक गहलोत की सरकार नहीं बल्कि वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार थी।
दावा– अलवर के बाद जयपुर में तोड़ा गया 300 साल पुराना शिव मंदिर
दावाकर्ता– सोशल मीडिया यूजर्स
फैक्ट चेक– झूठा और भ्रामक