
हमने रिसर्च की तो पाया कि यह दावा 2018 से बार-बार किया जाता रहा है।
इसी दावा के साथ पूर्व आईपीएस किरण बेदी ने भी 2019 में भी सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी।
इस दावे को कई बार ट्विटर पर भी पोस्ट किया गया।
फैक्ट चेक:
हमने इस दावे की पड़ताल शुरू इसके लिये हमने वेबसाइट को खंगाला, हमने पाया कि रेडियो गार्डन वास्तव में नीदरलैंड में स्थापित है। इसकी स्थापना”2016 में अनुसंधान परियोजना ट्रांसनेशनल रेडियो के संदर्भ में नीदरलैंड इंस्टीट्यूट फॉर साउंड एंड विजन द्वारा शुरू की गई एक प्रदर्शनी परियोजना के रूप में रेडियो गार्डन शुरूआत हुई थी। जोनाथन प्लकी ने 2019 में इसे एक कंपनी में बदल दिया। इसका उल्लेख उनकी वेबसाइट पर भी है, लेकिन इसरो का कहीं कोई जिक्र नहीं है।
एएफपी फैक्ट चेक ने कंपनी के एक प्रवक्ता से भी संपर्क किया, कंपनी के प्रवक्ता ने पुष्टि की कि उनकी इसरो की इस परियोजना में कोई भागीदारी नहीं है। इसलिए यह दावा फर्जी है।