बीते दिनों देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर तमिलनाडु के कुन्नूर में क्रैश हो गया था। हेलिकॉप्टर में बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत सहित सेना के 14 लोग सवार थे। इस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया था।
हादसे में घायल होने वाले ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह थे। जिनका शरीर हादसे में बुरी तरह से झुलस गया था। उनका वेलिंगटन के मिलिट्री अस्पताल में इलाज भी चला। लेकिन उन्हे बचाया नहीं जा सका।
हाल ही में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम को संबोधित किया। जिसमे उन्होने ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को भी याद करते हुए कहा कि “वरुण सिंह, उस हेलीकॉप्टर को उड़ा रहे थे, जो इस महीने तमिलनाडु में हादसे का शिकार हो गया। उस हादसे में, हमने, देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत कई वीरों को खो दिया।” उन्होने ये भी कहा, ‘’वरुण सिंह भी मौत से कई दिन तक जांबाजी से लड़े, लेकिन फिर वो भी हमें छोड़कर चले गए।‘’
फैक्ट चेक:
हमारी टीम ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दावे की पड़ताल की तो पाया कि वरुण सिंह एक फाइटर पायलट थे। वह तमिलनाडु के वेलिंगटन में तैनात थे। सीडीएस रावत को वेलिंगटन स्थित डिफेंस एकेडमी के कार्यक्रम में हिस्सा लेना था, इसलिए वह उनके साथ जा रहे थे। उन्हें सीडीएस बिपिन रावत को रिसीव करने के लिए प्रोटोकॉल ऑफिसर बनाया गया था।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व विधायक अखिलेश प्रताप सिंह के भतीजे वरुण प्रताप सिंह हेलिकॉप्टर नहीं बल्कि लड़ाकू विमान उड़ाते थे। वह पहले जगुआर, फिर मिग और बाद में तेजस उड़ाते रहे। 12 अक्टूबर 2020 को फ्लाइंग कंट्रोल सिस्टम खराब होने के बावजूद उन्होने करीब 10 हजार फीट की ऊंचाई से विमान की सफल लैंडिंग कराई थी। इसके लिए उन्हे 15 अगस्त को राष्ट्रपति ने शौर्य चक्र से सम्मानित भी किया था।
अत: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दावा गलत है।