हाल ही में एक तस्वीर वायरल हुई है जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि कोरोना वायरस महामारी की साजिश रची गई है और वायरस का “ओमिक्रॉन” संस्करण अपने निर्धारित समय से छह महीने पहले लाया गया है। इस चित्र में ग्रीक वर्णमाला के साथ एक सारणीबद्ध डेटा है, जो एक कॉलम पर डेल्टा से शुरू होता है। तस्वीर में जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय, विश्व आर्थिक मंच और विश्व स्वास्थ्य संगठन के लोगो हैं।
इस तस्वीर ने समाज में तनाव पैदा कर दिया क्योंकि अब हर कोई सोच रहा है कि यह महामारी पूर्व नियोजित है और ओमाइक्रोन अपने समय से पहले लाया गया है। लोग इस तस्वीर को पोस्ट करते हुए चिंता जता रहे हैं.
They planned Omicron for May 2022.
They are bringing it all forward because they are desperate. pic.twitter.com/wpCv4lPgfg
— James Hawke (@James_Hawke1) December 1, 2021
https://twitter.com/newpha92/status/1464701646617862147?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1464701646617862147%7Ctwgr%5E%7Ctwcon%5Es1_&ref_url=https%3A%2F%2Fdfrac.org%2Fen%2F2021%2F12%2F07%2Ffact-check-were-release-of-covid-variants-pre-planned-or-was-it-just-a-hoax%2F
The reason why they released Omicron ahead of the scheduled release in May of 2022 is because the fear of the Covid19 Scamdemic was waning. So they had to come up with a new terrorist to instill new fear into the population. New vaccines for this very DEADLY & INFECTIOUS variant. pic.twitter.com/0FwOaupjDK
— Norran Radd (@NorranRaddTnT) December 5, 2021
फैक्ट चेक
इस वायरल तस्वीर के फैक्ट चेक विश्लेषण के बाद हमने पाया कि यह तस्वीर फर्जी है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत में अक्टूबर 2020 की शुरुआत में कोरोनावायरस का डेल्टा संस्करण पाया गया था। लेकिन यह तस्वीर जून 2021 में मिलने वाले वेरिएंट को दिखाती है।
इसी तरह, एप्सिलॉन, जेटा और एटा वेरिएंट भी क्रमशः 21 जनवरी, 20 अप्रैल और 20 सितंबर को पाए गए। इन वेरिएंट्स को खोजने के लिए इमेज में बताई गई तारीखें गलत हैं।
इसलिए, इसमें कहा गया है कि जो तस्वीर वायरल हुई है वह कुछ और नहीं बल्कि फर्जी है और समाज में अफवाह और दहशत पैदा करने के लिए फैलाई गई है।