सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मियों पर कुछ लोगों द्वारा हमला किया जा रहा है। यूजर्स इस वीडियो को बिहार के मोतिहारी जिले का बताते हुए इस घटना को सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं।
इस वीडियो को शेयर करते हुए अमित तोमर नामक यूजर ने लिखा, “तादाद बढ़ने दो जिह@दी लोगों की, फिर देखना भाई चारा…बिहार के मोतिहारी में अपहरण के आरोपी को गिरफ्तार करने गई पुलिस टीम पर जिह@दियो ने हमला कर दिया, जिसमें दो पुसिलकर्मियों के सिर पर गंभीर चोटें आई… पुलिस ने पिस्टल जरुर निकाली, लेकिन चला नहीं पाई, इसी का फायदा उठा पिस्टल छीनने की कोशिश की… अब क्या ही क्या जाए…”
एक भारतीय हिन्दू नामक यूजर ने लिखा, “तादाद बढ़ने दो सिर्फ, फिर देखना भाई चारा बिहार के मोतीहारी में अपहरण के आरोपी को गिरफ्तार करने गयी पुलिस टीम पर गांव वालों ने हमला कर दिया दो पुलिसकर्मियों के सिर पर गंभीर चोटें आई पुलिस ने पिस्टल निकाली ज़रूर लेकिन चलाई नहीं इसी का फ़ायदा उठा उससे पिस्टल भी छीनने की कोशिश की।”
फैक्ट चेकः
DFRAC की टीम ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए मोतिहारी पुलिस के एक्स हैंडल @motihari_police को देखा। यहां पुलिसकर्मियों पर हमले के आरोपियों की गिरफ्तारी के संदर्भ में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर विस्तृत जानकारी दी गई है। पुलिस ने 1 नवंबर को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि अपहृता की बरामदगी एवं अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम सरेया लिपनी गांव गई थी, जहां शम्भु प्रसाद और उसके परिवारवालों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया था। जिसमें पुलिस ने अनिता देवी को घटना के तुरंत बाद गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
इसके बाद पुलिस ने 2 नवंबर को एक और प्रेस विज्ञप्ति जारी किया, जिसमें बताया गया है कि पुलिस पर हमले के आरोप में दो अन्य आरोपियों कपिलदेव कुमार और संजय कुमार को गिरफ्तार किया है।
वहीं एक अन्य प्रेस विज्ञप्ति में मोतिहारी पुलिस ने बताया कि इस घटना में कुल 42 लोगों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है।
निष्कर्षः
DFRAC के फैक्ट चेक से साफ है कि मोतिहारी में पुलिसकर्मियों पर हमले की घटना में सांप्रदायिक एंगल नहीं है। पुलिस ने इस मामले में अनिता, कपिलदेव और संजय कुमार सहित 42 लोगों को गिरफ्तार किया है। इसलिए यूजर्स का दावा भ्रामक है।