हनीट्रैप एक स्ट्रेटजी है, जिससे किसी देश के खुफिया ठिकानों, गोपनीय दस्तावेजों और सामरिक सूचनाओं को निकालने के लिए उससे जुड़े लोगों को फंसाया जाता है। इस ट्रिक का इस्तेमाल तो काफी पुराना है, लेकिन आधुनिक और वर्चुअल होती दुनिया में इसके तरीके भी बदल गए हैं। अब सोशल मीडिया के माध्यमों के जरिए लोगों को हनीट्रैप का शिकार बनाया जा रहा है। हनीट्रैप दो शब्दों हनी (शहद) + ट्रैप (जाल) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है एक मीठा जाल, जिसमें फंसने वाले को भनक तक नहीं लगती है और देखते ही देखते एक व्यक्ति अपने देश से गद्दारी करते हुए खुफिया जानकारियों को दुश्मन देश के साथ शेयर कर देता है। हनीट्रैप में खूबसूरत महिला एजेंट्स टारगेट को अपने हुस्न के जाल में फंसाती हैं और उनसे महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल कर लेती हैं। साल 2021 में प्रकाशित ‘आज तक’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक “पिछले एक साल में पूरे भारत से 200 लोगों (आम नागरिक और सैन्यकर्मी) को आइएसआइ की महिला एजेंटों को कथित रूप से सैन्य-संबंधी जानकारियां लीक करने के लिए गिरफ्तार किया गया है।” एक अन्य मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि रिया नामक एक पाकिस्तानी सोशल मीडिया प्रोफाइल अब तक 10 लोगों को हनीट्रैप में फंसा चुकी है।
पाकिस्तान में कॉल सेंटर और हनीट्रैप करने के महिलाओं की भर्ती!
हनीट्रैप की इस रिपोर्ट के आगे बढ़ाने से पहले आइए जान लेते हैं कि पाकिस्तान की इसमें भूमिका क्या है? दरअसल हनीट्रैप में भारतीय अधिकारियों और सेना के जवानों को फंसाने के लिए पाकिस्तान में महिलाओं की बकायदा भर्ती की जाती है और उन्हें ट्रेनिंग देकर नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए तैयार किया जाता है। पाकिस्तान में हनीट्रैप के कॉल सेंटर भी संचालित हैं। कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि वर्ष 2019 में पाकिस्तान में रावलपिंडी की एक यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर एक विज्ञापन दिया गया था। इस विज्ञापन में ‘एक सैन्य स्वामित्व वाले मीडिया हाउस’ में नौकरी के लिए ‘सोशल मीडिया विशेषज्ञ (महिला)’ पद के लिए आवेदन मांगे गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स में भारतीय सेना के खुफिया अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि पाकिस्तान में महिलाओं की यह भर्ती सोशल मीडिया ट्रैप ऑपरेशन का एक सुराग है। इस भर्ती का उद्देश्य, सेक्स चैट के दौरान पुरुषों को खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिए लुभाना था।
हनीट्रैप के मामलों का केस स्टडीः
DFRAC की टीम इस रिपोर्ट में हनीट्रैप के पुराने मामलों की मीडिया कवरेज के सभी पहलूओं का विश्लेषण किया है, जिसमें हनीट्रैप के प्रारुप, पैटर्न और सूचनाएं शामिल हैं। इस रिपोर्ट में हमारी टीम ने डीआरडीओ के वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर, इंडियन एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन अरुण मारवाह, डीआरडीओ वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल, मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास में सुरक्षा सहायक सतेंद्र सिवाल, भारतीय सेना के जवान आकाश महरिया, प्रदीप कुमार, शांतिमोय राणा, क्रुणाल कुमार बारिया, जासूस नरेंद्र कुमार और हनीफ पर लगे हनीट्रैप के लगे आरोपों के बाद हुई मीडिया कवरेज का एनालिसिस किया है।
कैसे होती है हनीट्रैपिंग?
हनीट्रैप के लिए पहले टारगेट की पहचान की जाती है। इसके बाद उस व्यक्ति के सोशल मीडिया के माध्यमों जैसे- फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर और ई-मेल के जरिए संपर्क स्थापित किया जाता है। हमने पाया कि अधिकतर हनीट्रैप के केस में संबंधित व्यक्तियों के साथ सोशल मीडिया के माध्यम से लड़की की आईडेंटिटी के साथ संपर्क स्थापित किया गया है। इसके बाद उन्हें प्रेमजाल में फंसाया जाता है और फिर जानकारियां मांगी जाती हैं।
हनीट्रैप का कॉमन पैटर्न?
DFRAC की टीम ने पाया कि हनीट्रैप का एक कॉमन पैटर्न है, जिसमें कई चरणों में टारगेट को फंसाया जाता है। पहला- सोशल मीडिया खासतौर पर फेसबुक के माध्यम से पहले संपर्क स्थापित किया जाता है। दूसरा- शुरूआत नॉर्मल बातचीत से होती है और फिर धीरे-धीरे व्हाट्सऐप नंबर का आदान-प्रदान होता है। तीसरा- टारगेट को विश्वास में लेने के बाद अंतरंग बातचीत शुरु की जाती है और फिर गोपनीय सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। यहां यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि फेसबुक पर टारगेट से संपर्क स्थापित करने से पहले उसके फेसबुक पर जुड़े लोगों से संपर्क स्थापित किया जाता है, जिससे म्यूचुअल फ्रैंड्स में कई लोगों के होने पर फ्रैंड रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट करने में आसानी होती है। इसके अलावा धर्म का गलत इस्तेमाल भी खूब होता है। तो आइए हनीट्रैप के कॉमन पैटर्न को देखते हैं…
पाकिस्तान महिला एजेंट्स के नामः
पाकिस्तान महिला एजेंट्स ने अलग-अलग लोगों से अलग-अलग नाम और कार्य बताकर संपर्क स्थापित किया था। मीडिया रिपोर्ट्स में जो जानकारियां सामने आई हैं, उसके अनुसार प्रदीप कुरुलकर से जुड़ने के लिए जारा दासगुप्ता और जूही अरोड़ा नामक एजेंट्स थी। वहीं अरुण मारवाह को किरण रंधावा और महिमा पटेल, सतेंद्र सिवाल को पूजा, प्रदीप कुमार को रिया, क्रुणाल कुमार बारिया को सिदरा खान, नरेंद्र कुमार को पूनम बाजवा और शांतिमोय राणा को निशा और गुरनूर उर्फ अंकिता ने हनीट्रैप के जाल में फंसाया था। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रिया नामक एजेंट अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल से अब तक 10 लोगों को हनीट्रैप में फंसा चुकी है।
सोशल मीडिया के जरिए संपर्कः
पाकिस्तानी हसीनाओं के हनीट्रैप में फंसने के आरोपियों का पैटर्न देखें, तो पाएंगे कि ज्यादातर लोगों के साथ फेसबुक से एक महिला की फेक आईडी बनाकर संपर्क स्थापित किया गया था। अरुण मारवाह, सतेंद्र सिवाल, आकाश महरिया, नरेंद्र कुमार, निशांत अग्रवाल और क्रुणाल कुमार बारिया के साथ फेसबुक पर संपर्क स्थापित किया गया था। सबसे पहले इनसे फेसबुक पर दोस्ती की गई फिर बात-चीत के आगे बढ़ाया गया। अरुण मारवाह का केस थोड़ा अलग दिखाई पड़ता है, क्योंकि मारवाह से दोस्ती करने से पहले उनके फ्रैंडलिस्ट में मौजूद एक शख्स से दोस्ती की गई, जिससे म्युचुअल फ्रैंड में होने की वजह से फ्रैंडलिस्ट में जगह आसानी से मिल जाएगी। प्रदीप कुरुलकर और शांतिमोय राणा से व्हाट्स ऐप के जरिए महिला एजेंटों से संपर्क किया था। इसके अलावा हनीफ को हनीट्रैप में फंसाने के लिए उसकी पाकिस्तान यात्रा के दौरान वेश्यालय ले जाया गया था और वहां से उसके फोटोग्राफ्स लेकर उसे ब्लैकमैल किया गया था।
फेसबुक के बाद व्हाट्स ऐप नंबर का आदान-प्रदानः
इन सभी में एक कॉमन पैटर्न पाया गया है कि पाकिस्तान महिला एजेंट भारतीय अधिकारियों और सेना के जवानों से चाहे फेसबुक के माध्यम से जुड़ी हों या फिर डायरेक्ट फोन कॉल के जरिए, इन सभी के साथ उन्होंने व्हाट्सऐप नंबर से भी संपर्क स्थापित किया। व्हाट्स ऐप से जुड़ने की एक खास रणनीति भी सामने आई है। दरअसल कई हनीट्रैप के केस में हमने पाया कि पाकिस्तानी एजेंट्स ने भारतीयों के नंबर का इस्तेमाल करके अन्य लोगों को फंसाने की कोशिश की थी। इन पाकिस्तानी एजेंट्स ने कई लोगों के साथ भारतीय नंबर से संपर्क स्थापित किया था। कुछ के साथ टेलीग्राम पर भी जुड़े होने की बात सामने आई है।
अंतरंग बातचीत, सेक्स चैट और न्यूड वीडियो कॉलिंगः
इन एजेंट्स का व्हाट्सऐप से जुड़ने के बाद हनीट्रैप का असली खेल शुरु होता था। सबसे पहले अंतरंग बातचीत होती थी, फिर सेक्स चैट शुरु होता था, उसके बाद न्यूड वीडियो कॉलिंग होने लगती थी। व्हाट्सऐप पर ही ये एजेंट्स इनसे फाइलें, फोटोग्राफ्स और अन्य जरूरी डॉक्यूमेंट्स लेती थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नरेंद्र कुमार जरुरी सूचनाएं व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से शेयर करता था। नरेंद्र कुमार के केस में एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एडीजी सेंगाथिर ने बताया था कि “पाकिस्तान की महिला एजेंट भारत के मोबाइल नंबर से सोशल मीडिया अकाउंट ओपन कर सीमावर्ती क्षेत्र के युवाओं को निशाना बनाती है। भारतीय मोबाइल नंबर होने के कारण उन पर किसी को शक नहीं होता है। खासकर युवा इन महिलाओं के हनी ट्रैप में फंस कर सामरिक महत्व की सूचनाओं को साझा कर देते हैं।” वहीं प्रदीप कुमार ने अपने काम में ली गई सिम के मोबाइल नंबर और व्हाट्सएप के लिए ओटीपी भी शेयर कर दिए थे। इसके पीछे पाक महिला एजेंट का उद्देश्य था कि वह इन्हीं नंबरों से सीमावर्ती या फिर आर्मी के अन्य जवानों को फंसा कर शिकार बना सके और सामरिक महत्व की अहम जानकारियों को हासिल कर सके।
अलग-अलग अधिकारी से महिला एजेंट्स अलग-अलग प्रोफेशन बतायाः
हनीट्रैप के मामलों के विश्लेषण के दौरान हमारी टीम ने पाया कि पाकिस्तानी महिला एजेंट्स काफी ट्रेंड थीं और उन लोगों ने अलग-अलग अधिकारी या सेना के जवान को फंसाने के लिए अलग-अलग प्रोफेशन बताया है। जैसे डीआरडीओ के वैज्ञानिक प्रदीप पुरुलकर को फंसाने के लिए जारा दासगुप्ता ने खुद को साइंस की स्टूडेंट और डिफेंस रिसर्च में इंटेरेस्टेड छात्रा बताया था। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जारा दासगुप्ता ने प्रदीप कुरुलकर को फंसाने के लिए उनके व्हाट्स ऐप नंबर पर मैसेज किया था- “मैं लंदन से एक खूबसूरत भारतीय लड़की आपकी बहुत बड़ी प्रशंसक हूं। जो काम आप भारत के लिए कर रहे हैं वो बेमिसाल है। मेरा नाम जारा दासगुप्ता है। मैं लंदन में रहती हूँ। मैं आपको सोशल मीडिया पर फॉलो करती हूं।” जारा ने जिस नंबर से बात की थी, वो +44 था, जो यूनाइटेड किंगडम का है। उसने खुद को अंबाला का बताया था।
सतेंद्र सिवाल को पूजा नाम की पाकिस्तानी एजेंट ने बताया कि वह भारत की रहने वाली है, लेकिन आजकल वो कनाडा में रहती है और उसके पिता भी कनाडा में ही बड़े बिजनेसमैन हैं। पूजा ने शुरुआत में उसने सतेंद्र को बताया कि वह रिसर्चर है और उसने सतेंद्र से अपनी रिसर्च के लिए मदद मांगना शुरु कर दिया। पूजा ने सतेंद्र से अपने एक प्रोजेक्ट के लिए भारतीय विदेश मंत्रालय और सेना की कुछ जानकारियां मांगी। हनीट्रैप में फंसे सतेंद्र पूजा को जानकारियां देने शुरु कर दिया, उसने पूजा के साथ वह जानकारियां भी शेयर कीं, जो उसके कार्यक्षेत्र में नहीं आती थीं।
सेना के जवान प्रदीप कुमार को हनीट्रैप में फंसाने वाली रिया ने बताया था कि वह मध्यप्रदेश के ग्वालियर की रहने वाली है और वह फिलहाल बैंगलुरू में मिलिट्री नर्सिंग सर्विस करती है। प्रदीप का भरोसा जीतने के लिए रिया अपने कमरे में हिंदू देवी देवताओं की तस्वीरें लगा रखी थी। रिया के भरोसे में आने के बाद प्रदीप उसको वह सभी जानकारी देने लगा।
आकाश महरिया को फंसाने वाली 3 महिला एजेंट्स थीं, जिसमें से एक ने खुद को भारतीय आर्मी अफसर की बेटी बताया था। शांतिमोय राणा जिन एजेंट्स के संपर्क में था, उसमें से एक ने खुद को यूपी के शाहजहांपुर का बताया था और उसने यह भी बताया था कि वह मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस में कार्य करती है। वहीं दूसरी महिला एजेंट ने उसे मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में होने का विश्वास दिलाया था। नरेंद्र कुमार जिस महिला एजेंट पूनम बाजवा के झांसे में पड़ा था, उसने खुद को बीएसएफ में डाटा एंट्री ऑपरेटर बताया था, जो पंजाब के बठिंडा की रहने वाली थी।
शादी और पैसे का लालाचः
कई महिला एजेंट्स ने अपने टारगेट का भरोसा जितने के लिए उसे शादी का झांसा और पैसे भी दिए थे। एजेंट रिया ने प्रदीप से वादा किया था कि वह दिल्ली आकर मिलेगी और वह प्रदीप से शादी भी करेगी। वहीं नरेंद्र कुमार को प्रेमजाल में फंसाने वाली पूनम बाजवा ने भी शादी का प्रलोभन दिया था। शांतिमोय भी अफेयर की जांल में फंसा था और उसे भी पैसों का लालच दिया गया था। वहीं क्रणाल कुमार बारिया को सिदरा खान नामक एजेंट ने 10 हजार रुपए का भुगतान भी किया था। सिदरा के पास 3 नंबर थे, जिसमें एक भारतीय था, तो दो पाकिस्तानी नंबर थे।
हनीट्रैप के बाद ब्लैकमेल करने का खेल!
कुछ मामलों में पाया गया कि एजेंट्स के झांसे में आने के बाद वो जानकारी हासिल करने के लिए अपने टारगेट को ब्लैकमेल भी करती थीं। अरुण मारवाह को ब्लैकमेल करके लिए वायुसेना की जानकारियां हासिल की जा रही थीं। वहीं हनीफ की वेश्यालयों की फोटो के माध्यम से ब्लैकमेल करके उससे जानकारियां हासिल की जा रही थी।
निष्कर्षः
हनीट्रैप के मामलों को देखकर यह प्रतीत होता है कि पाकिस्तानी में बकायदा हनीट्रैप के लिए महिलाओं की भर्ती की जाती है, उन्हें ट्रेंड किया जाता है। इसके बाद भारतीयों की एक लिस्ट दी जाती है, जिसको हनीट्रैप के जाल में फंसाकर उनसे जानकारियां निकलवाने की कोशिश होती है। सोशल मीडिया इन पाक एजेंट्स के लिए एक कारगर माध्यम है, जिसके जरिए वह वह लोगों को फंसाती हैं। हालांकि भारत ने महत्वपूर्ण स्थानों पर तैनात व्यक्तियों के लिए सोशल मीडिया को लेकर कुछ नियम बनाए हैं, जिससे दुश्मन देशों की इस तरह की डर्टी ट्रिक्स को रोका जा सके।