सोशल मीडिया पर एक ग्राफिकल पोस्टर वायरल हो रहा है। इस पोस्टर में जापान में मुस्लिमों को लेकर 10 प्रतिबंध लिखे गए हैं, जो इस प्रकार हैं-
- जापान एकलौता देश है, जो मुस्लिमों को नागरिकता नहीं देता है।
- जापान में मुस्लिमों को स्थायी निवास नहीं दिया जाता है।
- जापान में इस्लाम का प्रचार-प्रसार पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
- जापान के विश्वविद्यालय में अरबी या अन्य इस्लामिक भाषाओं को नहीं पढ़ाया जाता है।
- जापान विश्व का एकमात्र देश है, जिसकी इस्लामिक देशों में दूतावासों की संख्या नगण्य है।
- जापान में अरबी भाषा में छपे कुरान को नहीं लाया जा सकता है।
- मुस्लिमों को जापानी कानून और भाषा का पालन करना अनिवार्य है।
- जापानी सरकार की राय है कि मुसलमान कट्टरपंथी हैं, और अपने मुस्लिम कानूनों को बदलने के इच्छुक नहीं हैं।
- जापान में मुसलमान किराये पर मकान भी नहीं ले सकते हैं।
- जापान में कोई शरिया कानून नहीं है।
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फैक्ट चेकः
हमने वायरल दावे का फैक्ट चेक किया। हमें ‘द इकॉनोमिस्ट’ की एक रिपोर्ट मिली। जिसमें बताया गया है कि जापान में इस्लाम धर्म के मानने वालों की संख्या बढ़ रही है। इस रिपोर्ट के मुताबिक जापान में रहने वाले मुसलमानों की संख्या हालांकि बहुत कम है, लेकिन पिछले एक दशक में दोगुनी से अधिक हो गई है। जो 2010 में 110,000 से बढ़कर 2019 के अंत में 230,000 हो गई है। जिसमें 50,000 से अधिक जापानी धर्मांतरित हैं।
वहीं जापान का राष्ट्रीयता कानून भी यह नहीं कहता कि मुसलमानों को जापानी नागरिक बनने पर प्रतिबंध है। कानून में धर्म का बिल्कुल भी जिक्र नहीं है।
वहीं हमें जापान में मस्जिदों के बारे में जानकारी इकट्ठा की। जापान में कई मस्जिद हैं। ‘निप्पोन डॉट कॉम’ की रिपोर्ट के मुताबिक जापान में कुल 80 मस्जिद हैं।
वहीं ओत्सुका मस्जिद में जापान इस्लामिक ट्रस्ट (जेआईटी) समय-समय पर सेमिनार, व्याख्यान श्रृंखला और कुरान/हदीस और अरबी कक्षाओं सहित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करता है।
इसके बाद हमारी टीम ने जापान के इस्लामिक देशों में दूतावासों के संदर्भ में जापान के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर विजिट किया है। हमारी जांच में सामने आया कि जापान का सउदी अरब, तुर्की, कतर, बहरीन, ओमान, इरान, इराक, सीरिया, यूएई, यमन, फिलिस्तीन, जॉर्डन और कुवैत सहित कई इस्लामिक देशों में एंबेसी है।
धार्मिक प्रतिबंधों की जांच के लिए हमारी टीम ने जापान के संविधान को देखा। जापान के संविधान के अनुच्छेद 14 के मुताबिक- सभी लोग समान हैं और जाति, पंथ, जेंडर, सामाजिक स्थिति या पारिवारिक मूल के कारण राजनीतिक, आर्थिक या सामाजिक संबंधों में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। वहीं अनुच्छेद-20 के मुताबिक सभी को धर्म की स्वतंत्रता की गारंटी है। कोई भी धार्मिक संगठन राज्य से कोई विशेषाधिकार प्राप्त नहीं करेगा, न ही किसी राजनीतिक अधिकार का प्रयोग करेगा। किसी भी व्यक्ति को किसी भी धार्मिक कार्य, उत्सव, अनुष्ठान या अभ्यास में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। राज्य और उसके अंग धार्मिक शिक्षा या किसी अन्य धार्मिक गतिविधि से दूर रहेंगे।
निष्कर्षः
DFRAC के फैक्ट चेक से साफ है कि जापान में मुस्लिमों के लिए 10 प्रतिबंधों को लेकर किया जा रहा दावा फेक है।