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फैक्ट चेक: फायरिंग के पुराने वीडियो को कानपुर दंगों का बताकर वायरल

सोशल मीडिया साइट्स पर नुपुर शर्मा विवाद के विरोध में हुए प्रदर्शनों में हुई हिंसा के नाम पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में कुछ बंदूक़धारी लोगों को देखा जा सकता है, जो ग़ुस्से से बफ़रे नज़र आ रहे हैं और फ़ायरिंग कर रहे हैं।
सम्पत कुमार सारस्वत नामक एक यूज़र ने कैप्शन,”ये हैं कानपुर के जिहादी, जो खुल्लम खुल्ला अत्याधुनिक हथियारों से कर रहे था अंधाधुंध फायरिंग और पुलिस सिर्फ आंसू गैस के ही गोले छोड़ रहीं थी, इनका इलाज है सीधी गोली, एक बार अगर दस बीस उड़ गए तो फिर ये लोग जल्दी से हिमाकत नहीं करेंगे” के साथ फ़ेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट की है, जिसमें कुछ लोगों को देखा जा सकता है, जो गुस्से में बंदूक़ उठाए, फ़ायरिंग करते नज़र आ रहे हैं, झगड़ा ज़ोरों पर है।

Facebook Screenshot

इसी तरह कई अन्य यूज़र्स भी उसी दावे के साथ वही वीडियो जमकर शेयर कर रहे हैं।

Facebook Screenshot

फैक्ट चेक:

इंटरनेट पर इस वीडियो के कुछ फ़्रेम को रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमने पाया कि ये वीडियो मई 2021 को बरेली मे एक समुदाय के दो पक्षों के बीच हुए झगड़े का है। इस घटना को दैनिक भास्कर और Etv Bharat ने कवर किया है।

Etv Bharat के अनुसार भोजीपुरा थाना क्षेत्र के माधोटांडा के रहने वाले सलीम कुरैशी और जलीस बंजारा में मीट को लेकर विवाद हो गया। पुलिस की मानें तो मीट के दामों को लेकर दोनों में झगड़ा हुआ था। कुछ ही देर में झगड़ा इतना बढ़ गया कि दोनों पक्षों में मारपीट शुरू हो गई और खुलेआम हथियार लहराकर फायरिंग भी की गई।

इस घटना की बाबत बरेली पुलिस ने ट्वीटर पर अपना बयान भा जारी किया था।

 

निष्कर्ष:

DFRAC के इस फ़ैक्ट चेक से साबित होता है कि यूज़र्स द्वारा किया जा रहा दावा फ़र्ज़ी है, क्योंकि जिस वीडियो के माध्यम से दावा किया जा रहा है, वो पुराना है और कानपुर का नहीं है, बल्कि बरेली का है।

दावा: कानपुर हिंसा के दौरान हुई फ़ायरिंग के दावे के साथ पुराना वीडियो वायरल
दावाकर्ता: सोशल मीडिया यूज़र्स
फ़ैक्ट चेक: फ़ेक

 (आप #DFRAC को ट्विटरफ़ेसबुकऔर यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।)

 

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