DFRAC विशेषः भारतफोबिया से ग्रसित हैं अमेरिकी लेखक और प्रोफेसर खालिद बेयदौन

डिजिटलाइजेशन के इस दौर में इंटरनेट पर सभी जानकारी आसानी से उपलब्ध है। सोशल साइटों जैसे फेसबुक और ट्वीटर पर प्रसारित होने वाली सूचनाओं पर लोग भरोसा करते हैं, लोगों का भरोसा इन सूचनाओं पर तब और ज्यादा बढ़ जाता है, जब कोई ब्लू टिकधारी यानी वेरीफाइड यूजर इसे शेयर करता है। लेकिन यह जरूरी […]

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कश्मीर फाइल्सः सिनेमा हॉल से सोशल मीडिया तक फैला मुस्लिमों के खिलाफ हेट

90 के दशक में कश्मीर से कश्मीरी पंडितों के विस्थापन पर फिल्म डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री ने फिल्म “कश्मीर फाइल्स” बनाई है। यह फिल्म घाटी से कश्मीरी पंडितों के विस्थापन, पलायन के दर्द और वहां होने वाली बलात्कार और हत्या की घटनाओं को प्रदर्शित करती है। फिल्म का प्रमोशन बड़े स्तर पर किया गया। पीएम […]

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यूपी चुनावः BJP की सत्ता में वापसी होते ही सोशल मीडिया पर निशाने पर आए मुस्लिम

10 मार्च 2022 को उत्तर प्रदेश सहित 5 राज्यों में हुए चुनाव के नतीजे आए। इन चुनावों में बीजेपी ने 4 राज्यों में जीत हासिल की है। हालांकि उसे पंजाब में हार का सामना करना पड़ा है। फिर भी बीजेपी की यह जीत इसलिए बड़ी है क्योंकि बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में 37 वर्षों का […]

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यासीन मलिक की पत्नी मुशाल मलिक का कश्मीर पर भारत विरोधी एजेंडा

जम्मू-कश्मीर हमेशा से भारत और पाकिस्तान के बीच बहस का विषय रहा है। जहां भारत इसे अपना अभिन्न अंग मानता है, वहीं पाकिस्तान इसे विवादित क्षेत्र कहता है। पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर भी उठाया गया है, लेकिन उसे हमेशा विफलता ही हासिल हुई है। कश्मीर पर लगातार मिल रही विफलता के बाद पाकिस्तान द्वारा […]

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अमेरिका के साथ नेपाल के एमसीसी समझौते पर चीन की प्रतिक्रिया

सितंबर 2017 में, अमेरिकी सरकार के मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (MCC)  ने नेपाल सरकार के साथ $500 मिलियन के अनुदान समझौते पर हस्ताक्षर किए। एमसीसी-नेपाल कॉम्पैक्ट का उद्देश्य बिजली की उपलब्धता और विश्वसनीयता को बढ़ाना, सड़क की गुणवत्ता बनाए रखना और क्षेत्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाना है। साथ ही निवेश को बढ़ावा देने, आर्थिक विकास में […]

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यूपी चुनाव

DFRAC Exclusive: यूपी चुनाव 2022 में फ़ेक और नफरत फैलाने वाले तत्व

यूपी चुनाव की हलचल के बीच उम्मीदवारों द्वारा आम लोगों को लुभाने के लिए कई वादे किए गए हैं। लेकिन, वोटरों को जीतने का खेल इतना आसान नहीं है। इसमें अन्य उम्मीदवारों की छवि खराब करने का  प्रयास भी शामिल है। इतना ही नहीं, यह खेल तब और भी गंभीर हो जाता है जब उम्मीदवारों […]

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योगी देवनाथ

योगी देवनाथ – ट्विटर पर नफरत की फैक्ट्री चलाने वाला शख्स

भारत विभिन्न संस्कृतियों का देश है। जहां सल्तनत, मुगलों और अंग्रेजों सहित कई विविध शक्तियों ने सदियों तक भारत पर शासन किया। इस भूमि की सबसे विशेष बात यह है कि किसी भी राज्य ने शासन किया हो, फिर भी विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के लोग एक साथ हजारों वर्षों से फल-फूल रहे  हैं। सदियों […]

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 क्या दलित नफरत के केंद्र में बदल रहा है इंस्टाग्राम?

सोशल मीडिया का शाब्दिक अर्थ एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होता है| जहां यह कई लोगों के लिए वरदान है, वही दूसरों के लिए अभिशाप बन सकता है। जैसा कि लोग कहते हैं कि सोशल मीडिया बेजुबानों को आवाज देता है , यह कुछ हद तक सच है| लेकिन यह हमारे समाज के विरोधी तत्वों को भी आवाज देता है। इन असामाजिक तत्वों के मन में ऐसी रूढ़िवादी विचारधारा हैं कि इसके नीचे या ऊपर कुछ भी उनके लिए काम नहीं करता है। वे सभी अलग-अलग समुदायों और लोगों के बीच नफरत फैलाने में व्यस्त हैं। सोशल मीडिया के जरिए यह अब बहुत आसान हो गया है। यह हमारे राष्ट्र के लिए बड़े ही दुख की बात है | जो युवा देश के लिए एक बड़ी संपत्ति हो सकते हैं, वे वास्तव में एक बोझ बनते जा रहे हैं। अगर देखा जाए तो जिस सदी मे हम रेह है जो की 21वी सदी है, ऐसी रूढ़िवादी मानसिकता के बारे में सोचना एक सकारात्मक स्थान में रहने वाले व्यक्ति के लिए मुश्किल है| लेकिन, यह मौजूद है और इसे तब तक मिटा नहीं सकता जब तक कि वे स्वयं उस पर निर्णय नहीं लेते। हुमे बहुत हैरानी हुई जब हमने इंस्टाग्राम पर समाज के विभिन्न वर्गों में नफरत फैलाने वाले बहुत सारे खातों को देखा, जैसे कि एक तरफ ऐसे खाते थे जो महिलाओं को नीचा दिखा रहे हैं, वहीं कुछ अन्य हैं जो बहुजन समाज/दलितों को नीचा दिखाते हैं। महिलाओं के खिलाफ नफरत इस तरह के खातों के यूजर्स के लिए जिनके हिसाब से महिलाओं को शिष्ट, शुद्ध, पतिव्रत, अच्छी तरह से तैयार होना चाहिए, संक्षेप में, सुंदरता के निर्धारित मानकों को पूरा करना चाहिए| उनके लिए “फेमिनिस्ट” शब्द हाराम है। हमने कई पोस्ट और मीम्स देखे हैं जहां इंस्टाग्राम पर महिलाओं का मजाक उड़ाया जाता है।   दलितों के खिलाफ नफरत नफरत फैलाने का स्तर महिलाओं तक ही सीमित नहीं है बल्कि दलितों को भी अपने घेरे में ले चुका है। यह बात जगजाहिर है  कि डॉ. भीमराव अंबेडकर का हमारे संबविधा को तैयार करने मे एक महततावपूर्ण योगदान है| किन्तु उनको भी  सोशल मीडिया साइट्स पर ट्रोल किया जा रहा है । ये सभी प्रयास समाज के विभिन्न वर्गों में नफरत की अधिकतम मात्रा को खींचने के लिए हैं। लोग भीमराव के खिलाफ अपना आंदोलन दिखाते हैं क्योंकि वह वही थे जिन्होंने एससी / एसटी ( अनुसूचित जाति / जनजाति) आदि के लिए आरक्षण की वकालत की थी। इंस्टाग्राम पर तरह-तरह के अकाउंट बनाए जाते हैं जिससे पता चलता है कि लोगों के मन में कितनी नफरत है। भीमराव अंबेडकर ने एक नव बौद्ध आंदोलन शुरू किया था जिसके तहत उन्होंने 1956 में नवयान नामक बौद्धों के लिए नए स्कूल बनाए| बाद मे  लगभग आधा मिलियन दलित उनके साथ जुड़ गए और खुद को नवायान बौडिस्ट में परिवर्तित कर लिया| इस आंदोलन पर भी इंस्टाग्राम पर बहुत सारे मीम्स शेयर किए जाते हैं क्योंकि इस आंदोलन ने हिंदू धर्म को खारिज कर दिया| और न केवल भारत की जाति व्यवस्था को चुनौती दी बल्कि दलितों के अधिकारों को बढ़ावा दिया। मूलनिवासी शब्द दलितों को नीचा दिखाने के लिए कई मीम्स के रूप में भी फैलाया जा रहा है| कुछ खाते दलितों पर ब्राह्मण वर्चस्व दिखा रहे हैं और समाज में वैमनस्य पैदा कर रहे हैं। निष्कर्ष ऐसी तस्वीरों और मीम्स का मुख्य उद्देश्य नकारात्मकता फैलाना और सब समाज के विभिन्न वर्गों के बीच एक दीवार बनाती है। इसलिए समाज के राष्ट्रविरोधी तत्वों द्वारा निर्धारित एजेंडे को पूरा करना। हमारा सुझाव है कि ऐसे मुद्दों और इंस्टाग्राम पर उपयोगकर्ताओं की जांच करें ताकि ऐसी सभी अपमानजनक गतिविधियों को रोका जा सके | और एसे कदम उठाए जाए जिससे […]

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चीनी सोशल मीडिया

चीनी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर विदेशी देशों को बना रहे हैं निशाना

सोशल मीडिया पर इन दिनों मार्केटिंग या ई-मार्केटिंग आम बात है। हम अक्सर अपने व्यक्तिगत सोशल मीडिया अकाउंट को स्क्रॉल करते समय विभिन्न उत्पादों और सेवाओं से जुड़े ट्वीट और पोस्ट देखते हैं। इसके लिए कंपनियां विभिन्न अकाउंट हायर करती हैं। लेकिन चीन जैसे कुछ देशों द्वारा इसी अवधारणा का उपयोग विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए चीन के बारे […]

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DFRAC विश्लेषणः ‘दलितों’ के खिलाफ भारत का ‘अन-सोशल मीडिया’

सोशल मीडिया देश के वंचित समुदायों, दूर दराज के इलाक़ों में रहने वाले लोगों और ग़रीब तबकों के लिए एक कारगर औज़ार की तरह है, जिससे वह अत्याचारों और प्रताड़नाओं के ख़िलाफ़ अपने इंसाफ़ की लड़ाई को पुरजोर तरीक़े से लड़ रहे हैं। ग्रामीण अंचलों में पहले होने वाली घटनाएं पहले अख़बारों के क्षेत्रीय पन्नों […]

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