10 मार्च 2022 को उत्तर प्रदेश सहित 5 राज्यों में हुए चुनाव के नतीजे आए। इन चुनावों...
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जम्मू-कश्मीर हमेशा से भारत और पाकिस्तान के बीच बहस का विषय रहा है। जहां भारत इसे अपना...
सितंबर 2017 में, अमेरिकी सरकार के मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (MCC) ने नेपाल सरकार के साथ $500 मिलियन...
यूपी चुनाव की हलचल के बीच उम्मीदवारों द्वारा आम लोगों को लुभाने के लिए कई वादे किए...
भारत विभिन्न संस्कृतियों का देश है। जहां सल्तनत, मुगलों और अंग्रेजों सहित कई विविध शक्तियों ने सदियों...
सोशल मीडिया का शाब्दिक अर्थ एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होता है| जहां यह कई लोगों के लिए वरदान है, वही दूसरों के लिए अभिशाप बन सकता है। जैसा कि लोग कहते हैं कि सोशल मीडिया बेजुबानों को आवाज देता है , यह कुछ हद तक सच है| लेकिन यह हमारे समाज के विरोधी तत्वों को भी आवाज देता है। इन असामाजिक तत्वों के मन में ऐसी रूढ़िवादी विचारधारा हैं कि इसके नीचे या ऊपर कुछ भी उनके लिए काम नहीं करता है। वे सभी अलग-अलग समुदायों और लोगों के बीच नफरत फैलाने में व्यस्त हैं। सोशल मीडिया के जरिए यह अब बहुत आसान हो गया है। यह हमारे राष्ट्र के लिए बड़े ही दुख की बात है | जो युवा देश के लिए एक बड़ी संपत्ति हो सकते हैं, वे वास्तव में एक बोझ बनते जा रहे हैं। अगर देखा जाए तो जिस सदी मे हम रेह है जो की 21वी सदी है, ऐसी रूढ़िवादी मानसिकता के बारे में सोचना एक सकारात्मक स्थान में रहने वाले व्यक्ति के लिए मुश्किल है| लेकिन, यह मौजूद है और इसे तब तक मिटा नहीं सकता जब तक कि वे स्वयं उस पर निर्णय नहीं लेते। हुमे बहुत हैरानी हुई जब हमने इंस्टाग्राम पर समाज के विभिन्न वर्गों में नफरत फैलाने वाले बहुत सारे खातों को देखा, जैसे कि एक तरफ ऐसे खाते थे जो महिलाओं को नीचा दिखा रहे हैं, वहीं कुछ अन्य हैं जो बहुजन समाज/दलितों को नीचा दिखाते हैं। महिलाओं के खिलाफ...
सोशल मीडिया पर इन दिनों मार्केटिंग या ई-मार्केटिंग आम बात है। हम अक्सर अपने व्यक्तिगत सोशल मीडिया अकाउंट को...
सोशल मीडिया देश के वंचित समुदायों, दूर दराज के इलाक़ों में रहने वाले लोगों और ग़रीब तबकों...
सोशल मीडिया पर नफरत का प्रसार और प्रचार आम बात हो चुकी है। हर दिन धर्म और...
हाल ही में आम आदमी पार्टी के विधायक नरेश बाल्यान ने यूपी पुलिस पर बाइक चोरी का...