केंद्र सरकार द्वारा 6 जून 2025 को देश भर की वक्फ संपत्तियों को पंजीकृत करने के लिए पोर्टल – UMEED या एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास शुरू किया गया था। पोर्टल पर वक्फ संपत्ति के पंजीकरण की आखिरी तारीख 05 दिसंबर 2025 थी। इसी बीच दावा किया गया कि उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की अवधि को तीन माह के लिए बढ़ा दिया गया है।

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सोशल साइट X पर वेरिफाइड यूजर साडा टाइम ने लिखा कि उम्मीद पोर्टल पर वक्फ प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन की तारीख बढ़ी, अगले तीन महीनों तक बिना जुर्माने के रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे।

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वहीं न्यूज़ पोर्टल मुदगल टाइम्स ने लिखा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय ने ‘उम्मीद’ पोर्टल पर वक्फ संपत्ति के पंजीकरण की अवधि तीन महीने तक बढ़ाई

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इसके अलावा कई अन्य यूजर ने भी ऐसा ही मिलता-जुलता दावा किया है। जिसे यहां पर देखा जा सकता है।
फैक्ट चेक:

वायरल दावे की जांच के लिए DFRAC ने दावे से जुड़े कुछ कीवर्ड गूगल पर सर्च किये। इस दौरान हमें X पर अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय का एक पोस्ट मिला। इस पोस्ट में स्पष्टीकरण देते हुए कहा गया कि यह साफ़ करना ज़रूरी है कि अल्पसंख्यक मामलों के माननीय मंत्री, श्री किरेन रिजिजू ने कभी यह नहीं कहा कि UMEED पोर्टल पर वक्फ संपत्ति अपलोड करने की डेडलाइन बढ़ा दी गई है। उनके बयानों को कुछ लोगों ने गलत समझा है। मंत्री ने असल में जो कहा वह बिल्कुल इस प्रकार है: वक्फ संशोधन अधिनियम के तहत तय छह महीने की डेडलाइन खत्म हो गई है, और अधिनियम के प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट के साफ़ निर्देशों के कारण इसे बढ़ाया नहीं जा सकता। हालांकि, मुतवल्लियों की चिंताओं को समझते हुए, मंत्री ने भरोसा दिलाया कि मंत्रालय मानवीय और सुविधा देने वाले कदम के तौर पर अगले तीन महीनों तक कोई पेनल्टी नहीं लगाएगा या कोई सख्त कार्रवाई नहीं करेगा। यह अपलोडिंग डेडलाइन का विस्तार नहीं है। जो मुतवल्ली 6 दिसंबर, 2025 को रात 11:59:59 बजे तक रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाते हैं, वे वक्फ ट्रिब्यूनल से संपर्क कर सकते हैं, जिसके पास एक्सटेंशन देने का कानूनी अधिकार है। मंत्री ने बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया है कि कानूनी तौर पर तय समय सीमा में कोई भी बदलाव संभव नहीं है, क्योंकि यह संसद द्वारा पारित और सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरकरार रखे गए कानून से बंधा हुआ है। इसलिए मंत्री का बयान पूरी तरह से कानून के मुताबिक है।

इसके साथ ही हमें न्यूज़ पेपर अमर उजाला की रिपोर्ट मिली। जिसमे अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि UMEED पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों को अपलोड करने की छह माह की समय सीमा शुक्रवार को समाप्त हो गई। उन्होंने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के चलते समय सीमा बढ़ाना संभव नहीं है। रिजिजू ने कहा कि शुक्रवार सुबह तक 1.51 लाख संपत्तियों का ही पंजीकरण हो सका, जबकि देशभर में नौ लाख से अधिक संपत्तियों को सूचीबद्ध किया जाना है। रिजिजू ने कहा कि जो ‘मुतवल्ली’ पंजीकरण की कोशिश कर चुके हैं लेकिन प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाए, उन्हें तीन महीनों तक किसी भी प्रकार का दंड नहीं लगाया जाएगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि ऐसे मामलों के लिए सरकार समाधान खोजेगी और उन्हें पूरा समय दिया जाएगा। हालांकि, जिन लोगों ने बिल्कुल भी पंजीकरण की कोशिश नहीं की है, उन्हें अपने वक्फ ट्रिब्यूनल से संपर्क करना होगा। रिजिजू ने दोहराया कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि पंजीकरण की तारीख नहीं बढ़ाई जा सकती। इसलिए केंद्र के पास समय सीमा बढ़ाने का कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार नियमों का पालन करवाएगी, लेकिन जिन लोगों ने ईमानदारी से प्रक्रिया शुरू की थी, उनके साथ नरमी बरती जाएगी।
निष्कर्ष:
DFRAC के फैक्ट चेक से साबित होता है कि उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्ति के पंजीकरण की अवधि तीन माह तक बढ़ाए जाने का दावा भ्रामक है।

