दक्षिण एशिया के डिजिटल स्पेस में हाल के वर्षों में एक चिंताजनक प्रवृत्ति तेज़ी से उभरकर सामने आई है—सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर बंगाली भाषा में ऐसे नैरेटिव और संदेशों का प्रसार, जिनका उद्देश्य क्षेत्रीय समीकरणों को प्रभावित करना और जनमानस की धारणा को एक विशेष दिशा में मोड़ना प्रतीत होता है। बांग्लादेश में सक्रिय कई अकाउंट्स खुद को “मीडिया” के नाम से प्रस्तुत करते हैं, जबकि वे किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से जुड़े भी नहीं होते हैं। ये अकाउंट्स अक्सर समाचार-जैसा फ़ॉर्मेट अपनाते हैं—ब्रेकिंग न्यूज़ शैली, लोगो, ग्राफिक्स, लाइव अपडेट और भावनात्मक भाषा—जिससे आम दर्शक इन्हें वास्तविक मीडिया समझ लेता है। इसी आड़ में ये पेज और चैनल संवेदनशील मुद्दों, द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय राजनीति से जुड़े संदेशों को रणनीतिक रूप से प्रसारित करते हैं।
यह रिपोर्ट बांग्लादेशी सोशल मीडिया अकाउंट्स के विश्लेषण पर आधारित है, जो भारत–बांग्लादेश संबंधों के बीच जानबूझकर तनाव और वैमनस्य पैदा करने की रणनीति चलाते हैं। कई पेज एक तरह के समन्वित प्रोपेगेंडा इकोसिस्टम की तरह काम करते दिखाई देते हैं। इन पेजों से लगातार बांग्लादेश की सैन्य क्षमता को अतिरंजित और अवास्तविक रूप में प्रस्तुत करते हैं, जबकि भारत के प्रति भय, शंका और शत्रुता का भाव पैदा करते हैं। इन अकाउंट्स में भारत को “अत्याचारी पड़ोसी”, “बदमाश देश”, “धमकाने वाली शक्ति” जैसी उपमाओं से संबोधित करते हुए जनता की भावनाओं को भड़काने की कोशिश की जाती है। वहीं दूसरी ओर बांग्लादेश की सेना, हथियारों और मिसाइल प्रणालियों को इतना बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है कि वह एक मजबूत सैन्य महाशक्ति के रूप में उभरती हुई नज़र आए और उसके निशाने पर सिर्फ भारत ही है।
इन पेजों का उद्देश्य किसी तथ्यात्मक डिफेंस एनालिसिस से अधिक, एक आक्रामक नैरेटिव तैयार करना है, जिससे दोनों देशों के बीच के सहयोग, सांस्कृतिक संबंध और कूटनीतिक शांति को नुकसान पहुंचे। सामूहिक रूप से देखें, तो ये पोस्ट भारतीय नागरिकों और बांग्लादेशी जनता, दोनों के मन में अविश्वास बढ़ाने, सैन्य टकराव की कल्पना को सामान्य बनाने और क्षेत्रीय स्थिरता को कमजोर करने का काम करते हैं। यह प्रोपेगेंडा सिर्फ डिजिटल स्पेस में गलत सूचना ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देशों के बीच आपसी शांति और सौहार्द के लिए भी एक गहरी चुनौती है।
बांग्ला विजन टीवी का प्रोपेगेंडा और भारत में प्रतिबंधः
बांग्लादेश का बड़ा मीडिया नेटवर्क ‘बांग्ला विजन टीवी’ है। इसकी व्यापकता और पहुंच का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके फेसबुक पर 9.2 मिलियन फॉलोवर्स और यूट्यूब पर 8.9 मिलियन सब्सक्राइबर्स है। एक मीडिया संस्थान होने पर यह फर्ज होता है कि वह निष्पक्ष रहे, सत्यापित खबरें लोगों तक पहुंचाए, तथ्यों की जांच, संतुलित रिपोर्टिंग और एथिक्स के साथ कवरेज करे। लेकिन बांग्ला विजन टीवी में संतुलित कवरेज की बजाय भारत विरोधी एजेंडा चलाया गया, जिसकी वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए इसके यूट्यूब चैनल को भारत में प्रतिबंधित किया गया है। हालांकि फेसबुक और एक्स (पूर्व ट्विटर) अभी भी सक्रिय हैं।

बांग्ला विजन टीवी का भारत विरोधी एजेंडाः
बांग्ला विजन टीवी की न्यूज कवरेज खासकर भारत के परिप्रेक्ष्य में देखने पर यह पाया गया है कि यह खास एजेंडे और भारत के विरोध में प्रतीत होती हैं। एक फेसबुक पोस्ट में भारत पर बांग्लादेश के चटगांव के अलगाववादी संगठन यूपीडीएफ का समर्थन करने का आरोप लगाया गया है, साथ ही यह भी लिखा गया है कि भारतीय क्षेत्र में यूपीडीएफ अलगाववादियों के 6 कैंप सक्रिय हैं और सीमा पार से हथियारों की सप्लाई हो रही है। हालांकि इस न्यूज के सोर्स के तौर पर कुछ नहीं बताया गया है, सिर्फ एक इंफोग्राफिक पोस्टर के जरिए ये प्रोपेगेंडा सूचना दे दी गई है। बांग्ला विजन टीवी का भारत विरोधी एजेंडा इससे भी स्पष्ट होता है कि ऑपरेशन सिंदूर के वक्त भारत के नुकसान के फर्जी आंकड़े दिए हैं।
बांग्ला विजन टीवी ने बिना सत्यापन के भारत को 5 फाइटर जेट और 1 सैन्य बेस के नुकसान का आंकड़ा दिया है, जो कि फेक आंकड़ा है। नुकसान के संदर्भ में भारत की तरफ से कोई भी आधिकारिक आंकड़ा नहीं आया है। भारत के मुकाबले पाकिस्तान की तरफ झुकाव रखते हुए बांग्ला विजन न्यूज ने पाकिस्तान को किसी भी फाइटर जेट और आर्मी बेस का नुकसान नहीं बताया है। एक ग्राफिकल पोस्टर में इस बात की चर्चा की गई है कि शेख हसीना को शरण देने के बाद क्या भारत 7 सिस्टर्स (पूर्वोत्तर के राज्य) को खो देगा। इसके अलावा कई ऐसी मनगढंत खबर दी गई हैं, जिसका सच्चाई से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है।

कौन हैं महमूदुर रहमान?
महमूदुर रहमान बांग्लादेश के एक पत्रकार हैं। ऑनलाइन उपलब्ध जानकारी के मुताबिक वह दैनिक अमर देश के मालिक और संपादक हैं। वह 2008 से अवामी लीग सरकार के एक कड़े आलोचक रहे हैं। उन पर 50 से ज़्यादा मानहानि और राजद्रोह के आरोप लगे हैं। उन्हें कई बार गिरफ्तार कर जेल भी भेजा जा चुका है। महमूदुर रहमान लगातार भारत विरोधी नरेटिव और एजेंडा चलाते रहते हैं।
महमूदुर रहमान का भारत विरोधी नरेटिव और प्रोपेगेंडाः
महमूदुर रहमान मुखर होकर भारत के खिलाफ बांग्लादेश में किसी खास एजेंडे के तहत बोलते हैं। रहमान अक्सर भारत की नीतियों और संस्थाओं की तीखी आलोचना करते हैं। ज्यादातर उनके बयान “आधारहीन”, “असत्य” या भड़काऊ होते हैं, जैसे ISKCON पर मिलिटेंट या भारतीय खुफिया एजेंसी से जुड़े होने का आरोप। दूसरी तरफ, कई रिपोर्टें यह दिखाती हैं कि वह ‘अमर देश’ अख़बार को फिर से एक ऐसे मंच की तरह पेश करने की बात करते हैं, जो पड़ोसी देश (भारत) के प्रभुत्व या हस्तक्षेप का विरोध करेगा। उन्होंने समय-समय पर यह बात कही कि भारत का बाहरी प्रभाव या दख़ल बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति और नीतियों पर असर डाल रहा है और देश को ‘‘Indian hegemony’’ या ‘‘Indian expansionism’’ के विरुद्ध आवाज उठाने की जरूरत है। उन्होंने यह संदेश अपने कई प्रकाशनों और व्याख्यानों में दोहराया है, हालांकि वह कोई ठोस तथ्य नहीं दे पाते हैं।

महमूदुर रहमान के भारत-संबंधी प्रमुख बयानों, उनका सोर्स और विश्लेषणः
| बयान / दावा़ | सोर्स / विश्लेषण |
| भारतीय हेजेमनी और फासिस्म के खिलाफ लड़ाई | भारतीय हेजेमनी के खिलाफ लड़ाई। |
| भारतीय प्रभुत्व अभी समाप्त नहीं हुआ | भारत का प्रभुत्व समाप्त नहीं हुआ। দৈনিক জনকণ্ঠ || Daily Janakantha |
| जुलाई बिप्लब (बंग्लादेश में एक क्रांति / आंदोलन) पर षड़यंत्र | भारत जुलाई क्रांति को आसानी से स्वीकार नहीं करेगा, षड़यंत्र चल रहा है Risingbd Online Bangla News Portal+1 |
| हिंदुत्ववादी भारत ने बांग्लादेश को उपनिवेश बनाना चाहा | उन्होंने बांग्लादेश को “हिंदुत्ववादी भारत का घोषणात्मक नहीं किया गया उपनिवेश” कहा है। samakalerkontho.com |
| स्वतंत्रता और सत्ता क्रांति देश की सार्वभौम स्वराज्य की रक्षा के लिए हुई थी | उन्होंने कहा कि “यह क्रांति 1971 की आज़ादी और सार्वभौम स्वराज्य को लूटने वाले और भारतीय प्रभुत्व के खिलाफ थी।” Daily Amardesh |
| ISKCON को R&AW एजेंट और मिलिटेंट कहा | ISKCON बांग्लादेश ने आरोप लगाया है कि महमुदुर रहमान ने उन्हें “R&AW एजेंट” और “मिलिटेंट संगठन” कहा। The Times of India |
फेक खबरों और विवादों के चलते जेल गए हैं महमूदुर रहमान!
महमूदुर रहमान का विवादों से पुराना नाता रहा है। वह अक्सर फेक न्यूज, भ्रामक सूचनाएं, तथ्यहीन और आधारहीन वक्तव्य देने के लिए जाने जाते हैं। अपनी इन हरकतों की वजह से कई बार उन पर कार्रवाईयां भी हुई हैं, उन्हें जेल भेजा गया है और उनके अखबार पर प्रतिबंध भी लगाया जा चुका है। अक्टूबर 2009 में अमर देश ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें दावा किया गया कि बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग (BTRC) ने भारतीय कर्मचारियों की नियुक्ति की है और इससे राज्य की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। BTRC ने इस दावे को गलत बताते हुए 28 अक्टूबर को अख़बार पर मानहानि का मुकदमा दायर किया और स्पष्ट किया कि भारतीय नागरिकों की नियुक्ति आयोग ने नहीं, बल्कि संयुक्त राष्ट्र ने की थी।
इसी तरह, जनवरी 2010 में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री तौफीक-ए-इलाही चौधरी ने अमर देश पर दिसंबर 2009 की एक खबर को लेकर मानहानि का मुकदमा किया। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि उन्होंने और प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय हसीना ने शेवरॉन से रिश्वत लेकर बांग्लादेश में ठेके दिलवाए। यह रिपोर्ट प्रकाशित होने के तीन दिन बाद संबंधित रिपोर्टर पर अज्ञात लोगों ने हमला भी किया। इस रिपोर्ट के बाद अवामी लीग के नेताओं ने ऊर्जा मंत्री से पहले ही अखबार के खिलाफ 24 मानहानि के मामले दर्ज करा दिए थे।
समय के साथ विभिन्न सरकारी संस्थाओं ने महमूदुर रहमान पर कुल चार गंभीर मामले दर्ज किए—जिनमें प्रेस कार्यालय बंद करने के विवाद पर पुलिस के दो केस, प्रतिबंधित समूह हिज्ब-उत-तहरीर की सामग्री प्रकाशित करने पर राजद्रोह का आरोप, और उसके प्रकाशक के एक बयान के आधार पर धोखाधड़ी का मामला शामिल था। इन आरोपों के बाद रहमान को हिरासत में भेजा गया था।

महमूदुर रहमान और द पॉलिटिकल लेंसः
फेसबुक पर ‘द पॉलिटिकल लेंस’ नामक एक पेज संचालित होता है। इस पेज के 6.6 लाख से ज्यादा फॉलोवर्स हैं। इसके फॉलोवर्स की संख्या इसके प्रभाव को दर्शाता है। यह पेज भारत विरोधी एजेंडा और प्रोपेगेंडा वाली भ्रामक सूचनाएं पोस्ट करता रहता है। जब हमने जांच की, तो पाया कि पहले यह पेज महमूदुर रहमान के नाम संचालित हो रहा था। इस पेज को महमूदुर रहमान के नाम से 11 दिसबंर 2012 में बनाया गया था, जिसे 21 अक्टूबर 2025 को बदलकर ‘द पॉलिटिकल लेंस’ कर दिया गया। जब हमने इस पेज की और ज्यादा गहराई से जांच की तो पाया कि इस पेज का संचालन दो लोगों द्वारा किया जाता है, जिसमें एक यूजर बांग्लादेश से है, वहीं दूसरा यूजर अमेरिका से इस पेज को संचालित करता है।

द पॉलिटिकल लेंस के विवादित पोस्टः
द पॉलिटिकल लेंस से लगातार ऐसे कंटेंट पोस्ट किए जाते हैं, जिसमें भारत को नकारात्मक रूप में प्रस्तुत करने की प्रवृत्ति दिखाई देती है। एक पोस्ट में स्टेडियम की भीड़ के बीच “India” शब्दों वाले पोस्टर को अपमानजनक तरीके से दिखाया गया है, जो जानबूझकर भारतीय पहचान को नीचा दिखाने का प्रयास प्रतीत होता है। दूसरी और तीसरी पोस्ट में महमूदुर रहमान और एक ही राजनीतिक व्यक्ति के भाषण को हाईलाइट किया गया है, जिसमें भारतीय दलों और राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर तीखी टिप्पणियां की गई हैं। इन वीडियो और ग्राफिक्स को बार-बार शेयर कर द पॉलिटिकल लेंस एकतरफ़ा नैरेटिव सेट करने की कोशिश करता है, मानो भारत किसी देश की आंतरिक राजनीति में बाधा डाल रहा हो या उसका प्रभाव हानिकारक हो।

BD Fire Power: सैन्य टकराव को बढ़ावा देनाः
फेसबुक और यूट्यूब पर BD Fire Power नामक यूजर सक्रिय है। इस यूजर के फेसबुक पर 3 लाख से ज्यादा फॉलोवर्स हैं और यूट्यूब पर 5 लाख 73 हजार से ज्यादा सब्सक्राइबर्स है। इन दोनों को मिलाकर देखें तो यह एक मिलियन से ज्यादा का ऑनलाइन ग्रुप बन जाता है। फेसबुक पर इस पेज को 28 जून 2021 को बनाया गया था और इसका संचालन बांग्लादेश से एक यूजर द्वारा किया जाता है। वहीं यूट्यूब पर इसे 23 मार्च 2017 को बनाया गया था।
यह यूजर खुद को न्यूज और मीडिया वेबसाइट बताता है, जो सैन्य, आर्थिक और कूटनीतिक समाचार देता है। लेकिन इसकी गतिविधियां ऐसी हैं, जो सैन्य टकराव को बढ़ावा देती हैं और इसके लिए ऐसे कंटेंट परोसे जाते हैं, जो गतिरोध को बढ़ाने की कोशिश करते हैं। इसके पोस्ट और कैप्शन ऐसे होते हैं, जिसमें बांग्लादेश की सैन्य ताकत को बढ़ते हुए दिखाया जाता है और इस बढ़ती सैन्य ताकत को भारत के लिए खतरे के रुप में पेश किया जाता है।

भारत-बांग्लादेश के बीच सैन्य टकराव वाले भ्रामक पोस्टः
यह सुनियोजित तरीके से सैन्य-केन्द्रित प्रोपेगेंडा फैलाता है और सैन्य श्रेष्ठता के भ्रम तथा भारत के साथ संघर्ष की संभावना को जानबूझकर बढ़ावा देता है। इसके पोस्ट लगातार भारत और बांग्लादेश के बीच संभावित युद्ध, मिसाइल हमलों, एयर पावर और भू-राजनीतिक टकराव की बातें बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करते हैं। उदाहरण के तौर पर, “कोलकाता शहर TRG-300 की रेंज में है”, “भारत सीमा पार नहीं कर सकता”, “1200 मिसाइल लॉन्चर तैयार”, “68 मिलियन सैनिक तैयार”, और “2025 में भारत को पाकिस्तान सबक सिखाएगा”—ऐसे दावे सैन्य उत्तेजना और आक्रामकता पैदा करने के उद्देश्य से किए गए प्रतीत होते हैं।
पोस्ट्स में अक्सर अतिरंजित आंकड़े, असत्यापित सैन्य क्षमताएँ, और उत्तेजक भाषा का प्रयोग किया गया है, जिससे ऑडियंस में गलतफहमी और तनाव उत्पन्न हो सकता है। कई पोस्टों में भारत की सामरिक चिंताओं को “डर” और “धमकाने की कोशिश” जैसे शब्दों में पेश किया गया है, जो स्पष्ट रूप से एकतरफा और भड़काऊ नैरेटिव तैयार करते हैं। साथ ही पश्चिमी देशों या पाकिस्तान के समर्थन का हवाला देकर बांग्लादेश की शक्ति को अत्यधिक बढ़ाकर दिखाया जाता है।

भारत विरोधी नरेटिव का खेलः
भारत विरोधी नरेटिव्स को बढ़ावा देने के लिए एक्स और फेसबुक पर कई ऐसे अकाउंट्स बनाए गए हैं, जिनके यूजरनेम ही भारत विरोध के आधार पर रखे गए हैं। इनमें से दो अकाउंट्स प्रमुख रुप से सामने आते हैं, पहला- ভারতের দালাল মুক্ত বাংলাদেশ চাই (हम बांग्लादेश को भारतीय दलालों से मुक्त करना चाहते हैं।) और दूसरा- Kick India out of Bangladesh (भारत को बांग्लादेश से बाहर निकालो)। यह दोनों यूजर्स भारत विरोधी प्रोपेगेंडा और नरेटिव को बढ़ावा देने वाले खेल में शामिल हैं।

यह दोनों यूजर्स लगातार भारत-विरोधी नैरेटिव को बढ़ावा देने के लिए उकसाऊ, भावनात्मक और भ्रामक पोस्टों का इस्तेमाल करते हैं। कंटेंट का पैटर्न स्पष्ट रूप से “भारत = दुश्मन” की धारणा पैदा करने के इरादे से बनाया गया है। पोस्टों में भारत को अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया गया है, सीमा मुद्दों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है, और हर राजनीतिक या सामाजिक घटना को भारतीय षड्यंत्र बताने की कोशिश की गई है। कई पोस्ट जानबूझकर उकसावे वाले इमोजी, अपमानजनक भाषा और राष्ट्रवादी भावनाओं को भड़काने वाले वाक्यों का प्रयोग करती हैं।
इस तरह के कंटेंट का मकसद वास्तविक तथ्यों से हटकर जनता में अविश्वास, गुस्सा और घृणा पैदा करना है, ताकि भारत के खिलाफ एक भावनात्मक माहौल बनाया जा सके। खास तौर पर अवामी लीग, सीमा विवाद, या आर्थिक मुद्दों को भारत से जोड़कर पेश करना यह दिखाता है कि पेज का एजेंडा राजनीतिक ध्रुवीकरण और सोशल मीडिया पर भारत-विरोधी भावना को मजबूत करना है।

पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा अकाउंट का बांग्लादेशी बनकर भारत विरोधी एजेंडा?
फरयाल सिकदर नामक अकाउंट खुद की पहचान बांग्लादेशी यूजर की बताता है। इसने अपने लोकेशन में ढाका-बांग्लादेश भी बताया है। इस अकाउंट को अगस्त 2014 में बनाया गया था। एक्स प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध डाटा के मुताबिक इसने अब तक 5 बार यूजरनेम चेंज किया है। यह अकाउंट भारत विरोधी नरेटिव और एजेंडा बढ़ाने के लिए सक्रिय रुप से कार्य करता है। हालांकि इसके बांग्लादेशी यूजर होने पर प्रश्नचिह्न है, क्योंकि ये अकाउंट बहुत ही बारीकी से पाकिस्तान के समर्थन में प्रोपेगेंडा करता रहता है। एक्स प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध डाटा के मुताबिक इसकी लोकेशन स्पष्ट नहीं है और लोकेशन में ‘साउथ एशिया’ लिखकर आता है। हालांकि इसकी गतिविधियां इससे पाकिस्तान से जुड़े होने के संकेत देती हैं, क्योंकि यह पाकिस्तान के लिए प्रोपेगेंडा तो करता ही है, साथ पाकिस्तान से संचालित होने वाले कई अकाउंट्स को फॉलो भी करता है।

पाकिस्तान के समर्थन में प्रोपेगेंडाः
फरयाल सिकदर के पोस्ट्स का पैटर्न एक ही दिशा में झुका दिखाई देता है—पाकिस्तान की सैन्य क्षमता, कूटनीति और रणनीति को सकारात्मक रूप में दिखाना, जबकि भारत से जुड़ी खबरों को नकारात्मक, अतिरंजित या असत्यापित रूप में पेश करना। उदाहरण के तौर पर, भारतीय सेना पर “बड़े हमले”, “भारी हताहत”, “रहस्यमयी दुर्घटनाएँ”, और “इलेक्ट्रॉनिक इंटरफेरेंस” जैसी सूचनाएँ बिना विश्वसनीय स्रोत के शेयर की गई हैं। कई पोस्ट्स में अमेरिकी या अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के नाम का उपयोग कर यह दिखाने की कोशिश की गई है कि पाकिस्तान ने सैन्य बढ़त हासिल कर ली है या भारत के प्रमुख रक्षा प्रोजेक्ट विफल हो रहे हैं।
इसके अलावा, यह यूजर अक्सर भारत से जुड़े घटनाक्रमों को “बिग ब्रेकिंग” बताकर प्रस्तुत करता है, जिससे भय, असुरक्षा और अस्थिरता का माहौल बने। वहीं पाकिस्तान के संदर्भ में सैन्य सफलता, कूटनीतिक मजबूती और क्षेत्रीय समर्थन जैसी बातें बढ़ा-चढ़ाकर लिखी जाती हैं। यह पैटर्न संकेत देता है कि अकाउंट का उद्देश्य तटस्थ सूचना शेयर करना नहीं बल्कि एक विशिष्ट भू-राजनीतिक नैरेटिव को बढ़ावा देना है, जिसमें भारत को लगातार कमजोर, अस्थिर और संकटग्रस्त दिखाने की कोशिश की जाती है।

‘भारत विरोधी जनता’ का भारत विरोधी अभियानः
फेसबुक पर ‘भारत विरोधी जनता (ভারত বিরোধী পাবলিক)’ नामक यूजर सक्रिय है। जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है कि इस यूजर द्वारा शेयर किए जाने वाले कंटेंट भारत के खिलाफ ही होंगे। हमारी जांच में सामने आया कि इस पेज को ‘अल्लाह के रसूल’ नाम से 5 अक्टूबर 2025 को बनाया गया था। फिर बदलकर इसका नाम 𝐁𝐚𝐧𝐠𝐥𝐚𝐝𝐞𝐬𝐡.𝐃𝐞𝐟𝐞𝐧𝐬𝐞 𝐀𝐜𝐪𝐮𝐢𝐬𝐢𝐭𝐢𝐨𝐧—𝐏𝐡𝐚𝐬𝐞.2030′ किया गया। इसके बाद इसे ‘भारत विरोधी जनता (ভারত বিরোধী পাবলিক)’ कर दिया गया।
इस पेज की जांच के दौरान हमने पाया कि इसके लोकेशन में पबना-बांग्लादेश दिया गया है। कॉन्टैक्ट के लिए एक फोन नंबर- +880 1603-810117 और ई-मेलः [email protected] दिया गया है। हमने इस मोबाइल नंबर को ट्रूकॉलर पर सर्च किया, तो सामने आया कि यह ‘जिहाद’ नामक शख्स के नाम पर रजिस्टर है। वहीं जब हमारी टीम ने इस नंबर को व्हाट्स एप पर सर्च किया, तो पाया कि इस पर प्रोफाइल फोटो में एक शख्स की फोटो लगी है।

भारत के सैन्य-बेस को लेकर भ्रम और भय फैलाने वाले पोस्टः
यह यूजर बांग्लादेश की सैन्य क्षमता को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हुए भारत विरोधी माहौल बनाने की कोशिश करता है। इसके पोस्टों में बार-बार यह नैरेटिव दिया गया है कि भारत, बांग्लादेश की बढ़ती रक्षा क्षमता से “डरा हुआ” है, जबकि बांग्लादेश तेज़ी से हथियारों, मिसाइलों और सैन्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बन रहा है। कई पोस्ट भारत को “शत्रु”, “धमकाने वाला देश” या “अत्याचारी पड़ोसी” की तरह दिखाकर द्विपक्षीय अविश्वास को भड़काता है। इसके साथ ही बांग्लादेश की सेना और उद्योग को ग्लोबल स्तर पर “अजेय”, “तेज़ी से विकसित” और “रक्षा निर्यातक” के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। कुल मिलाकर, यह पेज तथ्यात्मक सैन्य जानकारी के बजाय प्रोपेगेंडा और अतिरंजना के ज़रिए जनता में भारत को लेकर संदेह और शत्रुता की भावना बढ़ाने की रणनीति अपनाता है।

फेक न्यूज और फैक्ट चेकः
ये यूजर्स झूठे दावों और फेक सैन्य आंकड़ों का इस्तेमाल कर फेक और भ्रामक सूचनाएं फैलाते हैं, ताकि भारत-बांग्लादेश संबंधों में अविश्वास और तनाव बढ़ाया जा सके। हम यहां कुछ फेक और भ्रामक सूचनाओं का फैक्ट चेक प्रदान कर रहे हैं।
फेक/भ्रामक न्यूज-1
बांग्ला विजन टीवी ने एक इंफोग्राफिक पोस्ट कर मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और पाकिस्तान के सैन्य नुकसान आंकड़ा दिया गया है। जिसमें दावा किया गया है कि भारत के 5 फाइटर जेट मारे गए, जबकि पाकिस्तान का कोई फाइटर जेट नहीं मारा गया। वहीं भारत का एक मिलिट्री बेस तबाह हो गया, जबकि पाकिस्तान के किसी भी मिलिट्री बेस को नुकसान नहीं पहुंचा।
हमने फैक्ट चेक में इन दोनों आकंड़ों को फेक पाया, क्योंकि 1 मिलिट्री बेस तबाह होना और 5 भारतीय जेट मारे जाने का कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।

फेक/भ्रामक न्यूज-2
जून 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित रूस दौरे को लेकर दावा किया गया था कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ज्यादा व्यस्तता को देखते हुए पीएम मोदी के 5 दिवसीय दौरे को घटाकर 2 दिन कर दिया गया था।
फैक्ट चेक में इस दावे को भ्रामक पाया गया, क्योंकि जिस वक्त यह दावा किया गया था, उस वक्त पीएम मोदी के आधिकारिक दौरे की तिथि घोषित ही नहीं की गई थी।

फेक/भ्रामक न्यूज-3
द पॉलिटिकल लेंस ने 28 अक्टूबर को एक पोस्ट में भारत में शेख हसीना की मौत का दावा किया। इसके साथ एक तस्वीर भी शेयर की गई। शेख हसीना की मौत का दावा फेक है। क्योंकि शेख हसीना ने 15 नवंबर को मीडिया संस्थानों को इंटरव्यू दिया था, जिससे साफ होता है कि 28 अक्टूबर को शेख हसीना के निधन का फेक दावा किया गया था।

फेक/भ्रामक न्यूज-4
फरयाल सिकदर ने जून 2024 में दावा किया था कि इजरायल को हथियार आपूर्ति करने वाली भारतीय कंपनियों पर इटली और स्पेन प्रतिबंध लगाएंगे। DFRAC की टीम से जांच में पाया था कि यह फेक है, क्योंकि इटली और स्पेन ने भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का कोई ऐलान नहीं किया था।

निष्कर्षः
बांग्लादेशी सोशल मीडिया पर सक्रिय इन प्रोपेगेंडा अकाउंट्स का संयुक्त अध्ययन यह साफ दिखाता है कि ये केवल व्यक्तिगत विचार नहीं, बल्कि एक योजनाबद्ध डिजिटल कैंपेन का हिस्सा प्रतीत होते हैं। इनका उद्देश्य दोनों देशों के बीच अविश्वास, भय और शत्रुता बढ़ाना है—खासकर सैन्य टकराव की कल्पना को लगातार सामान्य बनाकर। भारत को बार-बार एक “दमनकारी”, “हस्तक्षेपकारी” या “शत्रु” राष्ट्र के रूप में चित्रित करना और बांग्लादेश की सैन्य ताकत को अवास्तविक रूप से बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करना, एक खास मनोवैज्ञानिक प्रभाव पैदा करता है, जो आम जनता की समझ और धारणा को प्रभावित कर सकता है। इन पेजों की सामग्री स्पष्ट रूप से यह संकेत देती है कि वास्तविकता से अधिक भावनाओं को उकसाना ही इनकी प्राथमिक रणनीति है। यह प्रोपेगेंडा न सिर्फ गलत सूचना फैलाता है, बल्कि दक्षिण एशिया में स्थिरता, सहयोग और क्षेत्रीय शांतिपूर्ण संबंधों के लिए भी खतरा पैदा करता है।

