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इसी बीच सोशल साईट X पर गुलाम रसूल बलियावी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो को शेयर करते हुए शाहनवाज़ अंसारी ने लिखा कि “इसका नाम ग़ुलाम रसूल बलियावी है, यह नीतीश कुमार की पार्टी का प्रदेश महासचिव है। बिहार में ये मौलवी बीजेपी का सहयोगी है। ओहदे के लिए JDU+BJP की ग़ुलामी करने वाला ये मौलवी कह रहा है। “2025 में जदयू को वोट न देने वाले मुसलमान सबसे बड़े ग़द्दार होंगे” इस दलाल का बॉयकॉट होना चाहिये।”

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इसके अलावा कई अन्य यूजर ने भी वायरल वीडियो को ऐसे ही दावे के साथ शेयर किया है।
फैक्ट चेक:

Source: Dainik Bhaskar
वायरल वीडियो के साथ किये गए दावे की जांच के लिए DFRAC ने गुलाम रसूल बलियावी के बयान से जुड़ी मीडिया कवरेज की जांच की। इस दौरान हमें चार माह पुरानी दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट मिलीं। जिसमे हमें ऐसा ही एक वीडियो देखने को मिला।

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इसके अलावा हमें प्रभात खबर की भी रिपोर्ट मिली। 2 दिसंबर 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, ‘किशनगंज में बलियावी ने कहा, जेडीयू को वोट नहीं देने वाले मुसलमान सबसे बड़े गद्दार होंगे। बिहार के मुसलमानों की इज्जत और सीमांचल के मुसलमानों की आबरू का यह सवाल है। यदि मुसलमनों ने जेडीयू और नीतीश कुमार के साथ इंसाफ नहीं किया तो याद रखिएगा जब गद्दारों की लिस्ट लिखी जाएगी तो सबसे पहले मौलाना बलियावी की बिरादरी का नाम होगा। 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव होने वाला है। इस चुनाव में यदि मुसलमानों ने जेडीयू को वोट नहीं दिया, तो वो सबसे बड़े गद्दार होंगे। उन्होंने आगे कहा कि वोट के लिए नीतीश कुमार सेक्युलर नहीं है बल्कि नीतीश कुमार बाय ब्लड और बाय बर्थ सेक्युलर हैं।’
वहीं हमें आज तक की एक अन्य रिपोर्ट मिली। जिसमें वक्फ बिल के लोकसभा से पास होने के बाद उन्होंने कहा था कि इस बिल के लोकसभा में पास होने के साथ ही सेक्युलर और कम्युनल दोनों नंगे हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘ये वाजिब हो गया है कि अब कम्युनल और सेक्युलर में कोई फर्क नहीं हैं। 31 पेज का सुझाव इदार-ए-शरिया ने जेपीसी को भी दिया था। रात लोकसभा में बिल पेश हो गया है। पूरी बिल की कॉपी सामने नहीं आई है। वॉल पर लिखने से पहले अपने आप को संजीदा बनाइए।

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बलियावी ने आगे कहा, ‘हम जल्द ही इदार-ए-शरिया की मीटिंग बुलाएंगे। हमारी लीगल सेल वक्फ बिल के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगी। जहां-जहां हाईकोर्ट हैं वहां जहां हमारी लीगल सेल है उनकी जल्द बैठक होगी। हम पूरी ताकत से लड़ेंगे। सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। यह वक्त फेसबुक और व्हाट्सएप पर लिखने का नहीं बल्कि इस बिल के खिलाफ लड़ाई लड़ने का है।’
निष्कर्ष:
DFRAC के फैक्ट चेक से स्पष्ट है कि वायरल वीडियो भ्रामक है। क्योंकि ये वीडियो अभी का नहीं बल्कि चार महीने पुराना है।