
सोशल मीडिया पर एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। जिसमे एक महिला खुद को आग लगा लेती है। वहीं मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी आग को बुझाने की कोशिश करते हुए दिखाई देते है। दावा किया जा रहा है कि न्याय न मिलने के कारण लखनऊ में महिला ने बीजेपी कार्यालय के बाहर खुद को आग के हवाले कर लिया।

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सोशल साईट X पर वेरिफाइड यूजर एडवोकेट दीपक बाबू ने वीडियो को शेयर कर लिखा कि खुद को लगाई आग। ‼️पीड़ित महिला ने थाने से लेकर जिला पुलिस कप्तान तक काफी चक्कर लगाए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। UP पुलिस केवल भाजपा नेताओं व प्रभावशाली लोगो के लिए ही कार्य कर रही है। #UPGovt #UPPolice #BJP

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वहीं एक अन्य यूजर राम करण निर्मल ने वीडियो को शेयर करते हुए लिखा बताया जा रहा है ये वीडियो भारतीय जनता पार्टी कार्यालय लखनऊ का है जहाँ महिला ने आग लगकर आत्मदाह करने की कोशिश की है। MYogiAdityanath के शासन, प्रशासन मे फैले जंगलराज एवं अपराधियों के संरक्षण देने वाली मानसिकता से न्याय न मिलना आत्मादाह का कारण है।
फैक्ट चेक:

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वायरल वीडियो के साथ किए दावे की जांच के लिए DFRAC ने सबसे पहले वीडियो को InVID टूल की मदद से कीफ्रेम में बदला और फिर कीफ्रेम को रिवर्स सर्च किया। इस दौरान हमें ऐसा ही एक वीडियो X पर मिला। जहां इस वीडियो को 13 अक्टूबर 2020 को शेयर करते हुए यूजर सचिन गुप्ता ने लिखा – उत्तर प्रदेश के लखनऊ में विधानसभा के गेट पर अंजना तिवारी नाम की महिला ने खुद को आग लगा ली। गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती। अंजना ने धर्म बदलकर निकाह किया था। अईसा नाम रखा था। पति सऊदी में है। छानबीन में जुटी पुलिस। #Luckhnow

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वहीं आगे की जांच में हमें घटना से जुड़ी 14 अक्टूबर 2020 की नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट मिली। जिसमे बताया गया कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बीजेपी दफ्तर के सामने आत्मदाह की कोशिश करने वाली महाराजगंज की महिला अंजलि तिवारी की मंगलवार को सिविल अस्पताल में मौत हो गई। महिला ने आत्मदाह की बात को लेकर महाराजगंज पुलिस को नोटिस दिया था। इसके बाद उसने लखनऊ में विधानसभा के पास बीजेपी दफ्तर के सामने आत्मदाह की कोशिश की थी। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने जैसे-तैसे महिला के शरीर से आग बुझाकर उसे अस्पताल में भर्ती कराया था।

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इसके अलावा हमें लखनऊ पुलिस का एक ट्वीट भी मिला। जिसमे बताया गया कि उपरोक्त वीडियो वर्ष 2020 का है, जिसमें थाना हजरतगंज पुलिस द्वारा तत्समय कार्यवाही की जा चुकी है।
निष्कर्ष:
अत: DFRAC के फैक्ट चेक से स्पष्ट है कि वायरल वीडियो भ्रामक है। क्योंकि ये वर्तमान का नहीं बल्कि वर्ष 2020 का है।