
- International Union of Muslim Scholars – IUMS के बारे में।
- International Union of Muslim Scholars – IUMS के मुस्लिम ब्रदरहुड (MB) से रिश्तों के बारे में।
- भारत में International Union of Muslim Scholars – IUMS के रूप में मुस्लिम ब्रदरहुड (MB) के कदम।
- International Union of Muslim Scholars – IUMS और इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के सबंध के बारे में।
- International Union of Muslim Scholars – IUMS के भारत विरोधी अभियान के बारे में।
- निष्कर्ष
संगठन की स्थापना

Source: IUMS

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IUMS की स्थापना 11 जुलाई 2004 को मिस्र के इस्लामी विद्वान डॉ. यूसुफ अल-क़रज़ावी के द्वारा की गई थी। इसका मुख्यालय दोहा कतर में है। संगठन की वेबसाईट के अनुसार संगठन के दुनिया भर में 95000 से ज्यादा सदस्य है और 100 से ज्यादा देशों में सक्रिय है। इस संगठन से वह ही व्यक्ति जुड़ सकता है जो इस्लामी न्यायशास्त्र का विद्वान हो या प्रतिष्ठित धार्मिक या शैक्षिक संस्थानों से जुड़े व्यक्ति और इस्लामिक सभ्यता और समाज सुधार में योगदान देने वाला नेता हो।
IUMS मुस्लिम ब्रदरहुड का अंतराष्ट्रीय चेहरा
IUMS इस्लामी संगठन की आड़ में दुनिया भर में इस्लाम की सलाफ़ी विचारधारा और राजनैतिक इस्लाम की विचारधारा “मुस्लिम ब्रदरहुड” को प्रचारित करता है। “मुस्लिम ब्रदरहुड” के जुड़ाव होने के कारण 2017 में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), मिस्र और बहरीन ने IUMS को “आतंकवादी संगठन” घोषित किया था। संगठन पर मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़े होने और चरमपंथी विचारधारा को बढ़ावा देने का आरोप थे। संगठन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. यूसुफ अल-क़रज़ावी (इनकी अब मृत्यु हो चुकी है) और वर्तमान अध्यक्ष अली अल-करदागी मुस्लिम ब्रदरहुड का ही हिस्सा रहे है। इस कारण ब्रिटेन फ्रांस और अमेरिका, क़रज़ावी सहित कई नेताओं को अपने देश में प्रतिबंधित किया हुआ है।
इसके बोर्ड ऑफ ट्रस्टी का सबंध भी मुस्लिम ब्रदरहुड से रहा है। जिसमे राशिद घन्नूशी (ट्यूनीशियाई मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता), सफवत हेगाज़ी (मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़े), इसाम अल-बशीर (सूडानी मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता), जमाल बदवी (अमेरिकी मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता), इसाक फरहान (जॉर्डनियन मुस्लिम ब्रदरहुड), सालाह सुल्तान (पूर्व अमेरिकी मुस्लिम ब्रदरहुड सदस्य) आदि शामिल है।
भारत और IUMS

Source: IUMS
IUMS भारत में भी सक्रिय है। भारतीय इस्लामिक विद्वान सलमान हुसैनी अल-नदवी IUMS के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज है। अल-नदवी दारुल उलूम नदवतुल उलमा, लखनऊ से जुड़े रहे हैं, जो भारत के प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थानों में से एक है। वे प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान मौलाना अबुल हसन अली नदवी (अली मियां) के शिष्य रहे हैं। मौलाना सलमान हुसैन अल-नदवी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य भी थे। हालांकि अयोध्या विवाद पर उनके रुख के कारण 2018 में उन्हें बोर्ड से हटा दिया गया। नदवी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के प्रमुख अबूबक्र अल बगदादी को पत्र लिखकर समर्थन करने के बाद चर्चा में आए थे।


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इसके साथ ही उनका एक विवादित बयान भी सामने आया था। जिसे 22 जुलाई, 2023 को IUMS के YouTube चैनल पर पोस्ट किया गया। अपने संबोधन में उन्होने कहा कि मुसलमानों को “कुरान के ज़रिए जिहाद” करना चाहिए और पैगंबर मुहम्मद के उदाहरण का अनुसरण करना चाहिए, जिन्होंने भ्रष्ट, दुर्भावनापूर्ण और अपराधी “मीडिया” की निंदा करने के बजाय लोगों को इस्लाम की ओर बुलाया। अल-नदवी ने कहा कि मुसलमानों को यूरोपीय देशों, अमेरिका और दुनिया के सभी देशों पर “छापा” मारना चाहिए और उन्हें इन जगहों पर कुरान का पाठ करना चाहिए, उसकी व्याख्या करनी चाहिए और उसे बेचना चाहिए। उन्होंने आगे कहा: “इंशाअल्लाह, हम उन पर विजय प्राप्त करेंगे। हम अल्लाह की किताब के ज़रिए उनके अपने इलाके में उन पर हमला करेंगे।”

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सलमान हुसैन अल नदवी الھیئة العالمیة لنصرة نبي الإسلام यानि इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन टु सपोर्ट द प्रॉफ़ेट ऑफ इस्लाम के भी बोर्ड ऑफ ट्रस्टी है। ये पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) के समर्थन में चलाया जाना वाला एक वैश्विक अभियान है। इस संगठन के भी अधिकतर सदस्यों का धार्मिक जुडाव भी “मुस्लिम ब्रदरहुड” से है। इस संगठन ने बीते दिनों पैगंबर मुहम्मद की आढ़ में भारत विरोधी अभियान चलाया था। जिसके बारे में DFRAC की रिपोर्ट में पढ़ा जा सकता है।
जमात ए इस्लामी (भारत) के प्रमुख सैयद सादातुल्लाह हुसैनी की अल-क़रादागी से मुलाक़ात

सादातुल्लाह हुसैनी जमाअत-ए-इस्लामी हिंद (JIH) के अमीर (राष्ट्रीय अध्यक्ष) हैं। हुसैनी 2019 में जमाअत-ए-इस्लामी हिंद (JIH) के अमीर बने। इससे पहले वह स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया (SIO) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। सादातुल्लाह हुसैनी ने पिछले साल अप्रेल में तुर्की के इस्तांबुल में IUMS के अध्यक्ष शेख अली अल-करदागी से मुलाक़ात की थी। इसके साथ ही दोनों ने मुस्लिम दुनिया में अपने-अपने संगठनों की भूमिका भी चर्चा की थी।
सज्जाद नौमानी की अल-क़रादागी से मुलाक़ात

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शेख खलीलुर रहमान सज्जाद नौमानी भारत की प्रमुख शख्सियत है। वह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सक्रिय सदस्य और प्रवक्ता हैं। वे मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों पर काफी मुखर रहते है। सज्जाद नौमानी ने अप्रेल 2023 में कतर के दोहा में IUMS के अध्यक्ष शेख अली अल-करदागी के साथ बैठक की थी। इस बैठक में नौमानी ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों के धार्मिक कर्तव्यों पर एक संगोष्ठी (सेमिनार) आयोजित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया, जिससे धार्मिक और कानूनी मामलों पर जागरूकता और शिक्षा को बढ़ावा दिया जा सके। यह भी निर्णय लिया कि उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत के विद्वानों के साथ एक वार्षिक बैठक आयोजित की जाए, ताकि धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर विचारों और अनुभवों का आदान-प्रदान किया जा सके।
IUMS और जफरुल इस्लाम खान

Source: IUMS
डॉ. ज़फरुल-इस्लाम खान भारतीय मुस्लिम समुदाय के प्रमुख बुद्धिजीवियों में शुमार किया जाता है। उनकी पहचान एक लेखक, पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता की है। वे इंग्लिश न्यूज़पेपर मिली गज़ट के संस्थापक और संपादक है। उन्होने ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत (AIMMM) और दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (DMC) के मुखिया के रूप में भी कार्य किया। वे IUMS के सक्रिय सदस्य है। उन्होने मुस्लिम ब्रदरहूड (MB) के समर्थन में एक लेख भी लिखा। जो IUMS की वेबसाइट पर भी प्रकाशित हुआ। जिसमे उन्होने मुस्लिम ब्रदरहूड (MB) को आतंकी संगठन मानने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही उन्होने मुसलमानों से मुस्लिम ब्रदहुड (MB) का समर्थन करने की भी अपील की। उनका कहना है कि इस सम्मानित, प्रबुद्ध और लोकतांत्रिक इस्लामी संगठन को नष्ट होने दिया गया, तो यह इस्लाम और मुसलमानों के लिए एक बड़ी आपदा होगी।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में IUMS

IUMS के सक्रिय सदस्य के रूप में डॉ. ज़फरुल-इस्लाम खान ने 2017 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में आयोजित एक सम्मेलन में हिस्सा लिया था। ये सम्मेलन “मुस्लिम उम्मत: एक अग्रणी मार्ग” विषय पर था। इस दौरान उन्होने आईयूएमएस और इसके अध्यक्ष शेख यूसुफ अल-करदागी का संदेश सम्मेलन में पहुंचाया।

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जफरुल इस्लाम का विवादों से गहरा नाता रहा है। अपने विवादित बयानों के कारण वे अक्सर चर्चा में रहते है। उन्होने बयान दिया था कि मुसलमानों पर भारत में अत्याचार हो रहा है और अरब देश इसका विरोध कर रहे हैं। ऐसे में अगर भारतीय मुसलमानों ने उनसे (अरब देशों) शिकायत कर दी तो भारत में सैलाब आ सकता है। इस बयान पर उन्हे माफी भी मांगनी पड़ी थी। वहीं वे जाकिर नायक के समर्थन को लेकर भी चर्चा में रहे है।
भारत के मामलों में हस्तक्षेप


IUMS भारत के मामलों में भी हस्तक्षेप करता आया है। भारत में मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों पर IUMS अपनी प्रतिक्रिया देता है। IUMS के अध्यक्ष शेख डॉ. अली अल-क़रादागी भारत के विरोध में बयान देते आए है।
कश्मीर मामले पर IUMS

Source: IUMS
कश्मीर मामले पर IUMS घटनाओ को विषय से हटाकर भ्रामक तरीके से प्रचारित करता आया है। IUMS के महासचिव शेख अल-करदागी ने 14 जुलाई 2016 को एक बयान जारी कर कहा कि कश्मीर में निर्दोष मारे जा रहे। कश्मीर कई वर्षों से दमन झेल रहा है, और अब प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा चरम पर पहुंच गई है। जिसमें 30 से अधिक निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी गई और 400 से अधिक लोग घायल हुए। इसके अलावा, इस दमन का स्तर इतना बढ़ गया कि इस्लामी नेताओं और कार्यकर्ताओं को ईद की नमाज अदा करने तक के लिए घरों से बाहर निकलने से रोक दिया गया।

हालांकि अल-करदागी के बयान के विपरीत 2016 में कश्मीर के विभिन्न हिस्सों जैसे राजधानी श्रीनगर में ईदगाह, हजरतबल, पोलो ग्राउंड और अन्य स्थानों पर बड़ी संख्या में ईद की नमाज अदा की गई। कश्मीर घाटी के बारामुल्ला, सोपोर, गंदेरबल, बांदीपोरा, पुलवामा, शोपियां, कुलगाम, अनंतनाग और शोपियां शहरों में भी बड़ी संख्या में लोगों ने ईद की नमाज अदा की। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला श्रीनगर में डल झील के किनारे हजरतबल दरगाह में ईद की नमाज में शामिल हुए। इसके साथ ही ईद के मौके पर जम्मू & कश्मीर सरकार ने 634 पत्थरबाजों को रिहा भी किया था। इतना ही नहीं इन पर लगे पत्थरबाजी के मुकदमे भी वापस लिए गए थे। ताकि ये अपना नया जीवन शुरू कर सके।

Source: IUMS
एक अन्य लेख में कश्मीर मुद्दे को उठाते हुए लिखा कि कश्मीर में जनसंहार और जनसांख्यिकीय बदलाव की साजिश जारी है। मोदी का कश्मीर मुद्दे के हल का दावा झूठा है। अंतरराष्ट्रीय संगठनों को भारत को मानवाधिकार उल्लंघन के लिए जवाबदेह ठहराना चाहिए और कश्मीर में संयुक्त राष्ट्र को जनमत संग्रह कराना चाहिए।

Source: Hilal
हालांकि भारत के खिलाफ लिखा ये लेख IUMS की वेबसाइट पर पब्लिश हुआ। इस लेख क तसनीम शफ़ीक़ ने लिखा है। तसनीम शफ़ीक़ एक पाकिस्तानी जर्नलिस्ट है। जो इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) से जुड़ी हुई है। इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस पाकिस्तान सशस्त्र बलों की मीडिया और जनसंपर्क शाखा है। जो कश्मीर सहित भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाये हुए रहती है। समय-समय पर तसनीम शफ़ीक़ के भारत के खिलाफ लिखे लेख पाकिस्तानी सेना की आधिकारिक मेगज़ीन हिलाल में पब्लिश होते रहते है।

Source: IUMS
एक अन्य लेख में IUMS ने लिखा – मोदी सरकार ने गैर-स्थानीय गैर-मुस्लिमों को मताधिकार देकर कश्मीर में मुस्लिमों को अल्पसंख्यक बनाने की योजना बनाई है। इससे 7.6 मिलियन मौजूदा मतदाताओं में 2.5 मिलियन नए गैर-मुस्लिम मतदाता जोड़े जाएंगे, जिससे मुस्लिमों की राजनीतिक शक्ति कमजोर होगी। 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद, सरकार ने विवादास्पद कानून लाकर गैर-स्थानीय नागरिकों को भूमि खरीदने और वोट देने का अधिकार दिया। यह कदम हिंदू-बहुल जम्मू के पक्ष में उठाया गया है, जिससे कश्मीर की मुस्लिम बहुसंख्या को कमजोर किया जा सके।

Source: IAMC
हालांकि ये लेख एक दिन पहले 12 अक्टूबर 2022 को इंडियन अमेरिकी मुस्लिम काउंसिल (IAMC) ने अपनी वेबसाइट पर पब्लिश किया था। अगले दिन 13 अक्टूबर 2022 को ये लेख IUMC की वेबसाइट पर पब्लिश हुआ। उल्लेखनीय है कि IAMC अमेरिकी में भारतीय अमेरिकी मुसलमानों का सबसे बड़ा संगठन है। ये संगठन भारत विरोधी एजेंडा चलाता आया है। इसका खुलासा DFRAC ने अपनी रिपोर्ट “#IndianMuslimGenocideAlert और IAMC का भारत विरोधी एजेंडा” में किया था।
IUMS का भारत के खिलाफ अभियान
दुनिया भर के मुस्लिम स्कॉलर को जमा कर बनाया गए इस कथित इस्लामिक संगठन ने भारत के खिलाफ एक सुनियोजित अभियान छेड़ा हुआ है। अरब और खाड़ी देशों सहित मुस्लिम देशों में फैले अपने विशाल नेटवर्क के जरिये ये भारत में होने वाले सामुदायिक तनाव का सहारा लेकर भारत की छवि को मुस्लिम विरोधी छवि के रूप में पेश कर रहा है। इसके लिए इलेक्ट्रोनिक मीडिया, सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है। भारत के मुस्लिमों से जुड़ी हर नेगेटिव खबर को अरबी, इंग्लिश, फारसी सहित विभिन्न भाषाओं में ट्रांस्लेट कर दुनिया भर में विभिन्न मीडिया प्लेटफार्म पर पब्लिश किया जाता है। IUMS खुद भारत में मुस्लिम विरोधी हिंसा से जुड़ी घटनाओं का न केवल डॉक्यूमेंटेशन कर रहा है। बल्कि सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्म के जरिये इसे दुनिया भर में प्रसारित भी कर रहा है। इसके साथ ही संगठन भारत में IUMS से जुड़े संगठनों, उसके ट्रस्टियों, सदस्यों आदि के जरिये इन मुद्दों पर उठने वाली आवाज का भी समर्थन करता है।




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निष्कर्ष:
International Union of Muslim Scholars – IUMS अंतराष्ट्रीय स्तर पर दुनिया भर के इस्लामिक स्कॉलर की आड़ में बनाया गया मुस्लिम ब्रदरहुड (MB) का संगठन है। ये संगठन मुस्लिम मुद्दों से जुड़ी आवाज को उठाने का दावा करता है। लेकिन इस बहाने ये मुस्लिम ब्रदरहुड (MB) की कट्टर और उग्रवादी विचारधारा को भी फैला रहा है। इस संगठन के कदम भारत में इसके निर्माण के साथ ही पड़ गए थे। भारत से कई प्रमुख हस्तियाँ संगठन के उच्च पदों पर आसीन है। ये संगठन भारत के खिलाफ मुस्लिम मुद्दों की आढ़ में खुलकर भारत विरोधी अभियान भी छेड़े हुए है। कई मुस्लिम देशों ने इस संगठन को प्रतिबंधित किया हुआ है। वहीं पश्चिमी देश संगठन के संस्थापक, अध्यक्ष और सदस्यों को अपनी उग्र विचारधारा के कारण अपने देशों में प्रतिबंधित कर चुके है।