
सोशल मीडिया पर एक वीडियो बड़ा वायरल हो रहा है। जिसमे पुलिस को तेजी से एक युवक को अपने कंधे पर लादकर ले जाते हुए देखा जा सकता है। वहीं पुलिस के पीछे भारी संख्या में भीड़ भी चलते हुए दिखाई देती है। इस दौरान भीड़ नारेबाजी भी करती है।

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वायरल वीडियो को सोशल साईट X पर यूजर मोहम्मद नूर आलम ने शेयर करते हुए लिखा कि भारत में मुसलमान होना गुनाह है..?लखनऊ में अभी निशातगंज चौराहे के पास मुस्लिम ई रिक्शा चालक को पुलिस के द्वारा इतना मारा गया कि जिससे तुरंत सड़क पर ही उसकी मौत हो गयी…सब एक तरफा जुल्म कर रहे हैं… 😡

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एक अन्य यूजर जितेंद्र वर्मा ने वायरल वीडियो को शेयर करते हुए लिखा – लखनऊ निशातगंज के पास पुलिस ने गरीब मुस्लिम ई रिक्शा चालक को पीटा स्थानीय नागरिकों के मुताबिक रिक्शा चालक की मौत हो गई है भाजपा सरकार में पुलिस और गुंडे बदमाशों का निवाला गरीब मजदूर किसान ही क्यों बनाएं जा रहे हैं दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध हत्या का केस दर्ज करके कठोर कार्यवाही होनी चाहिए मृतक के परिजनों को 50 लाख की आर्थिक सहायता करे सरकार रिक्शा चालक कहे आज का नहीं चाहिए भाजपा

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इसके अलावा कई अन्य यूजर ने भी ऐसे ही मिलते-जुलते दावे के साथ वायरल वीडियो को शेयर किया है। जिसे यहां पर देखा जा सकता है।
फैक्ट चेक:
वायरल दावे की जांच के लिए DFRAC ने इस घटना से जुड़े कीवर्ड सर्च किये। इस दौरान हमें लखनऊ पुलिस के आधिकारिक हेंडल से किया गया एक पोस्ट मिला। जिसमे रिक्शा चालक की मौत का खंडन किया गया।

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लखनऊ पुलिस द्वारा घटना के बारे में जारी मीडिया अपडेट में कहा गया, थाना महानगर क्षेत्र में अतिक्रमण (ई-रिक्शा) हटाने की प्रक्रिया के दौरान एक व्यक्ति को मामूली चोटें आई थीं, जिनका प्राथमिक उपचार कर चिकित्सकों द्वारा तत्काल उसके परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया था। उक्त व्यक्ति पूर्णतः सुरक्षित हैं, और उनकी मृत्यु संबंधी सभी खबरें असत्य एवं निराधार हैं। सोशल मीडिया पर उक्त व्यक्ति की मृत्यु की अफवाह फैलाने वाले शरारती तत्वों के विरुद्ध कठोर विधिक कार्रवाई की गई है। अब तक 18 सोशल मीडिया हैंडल्स की पहचान कर उनके विरुद्ध प्राथमिकी (FIR) दर्ज की जा चुकी है। सभी नागरिकों से अपील की जाती है कि वे भ्रामक सूचनाएं और अफवाहें फैलाने से बचें। ऐसा करने पर संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध कड़ी वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। कृपया सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाए रखने में पुलिस का सहयोग करें।
निष्कर्ष:
अत: DFRAC के फैक्ट चेक से स्पष्ट है कि वायरल वीडियो के साथ पुलिसकर्मी के हाथों पिटाई से रिक्शाचालक की मौत का दावा भ्रामक है।