यह रिपोर्ट दो प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स टेलीग्राम और एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर सक्रिय नफरत और फेक न्यूज फैलाने वाले यूजर्स का विश्लेषण करता है। आमतौर पर इन प्लेटफार्म्स का उपयोग सकारात्मक संवाद और सामाजिक संपर्क के लिए किया जाता है, लेकिन इनका दुरुपयोग नफरत और विभाजनकारी विचारधारा को फैलाने के लिए भी किया जा रहा है। इस रिपोर्ट में उन प्रमुख टेलीग्राम चैनल्स, यूजर्स और नेटवर्क्स का विश्लेषण किया गया है, जो संगठित तरीके से नफरत और भ्रामक सूचनाएं फैला रहे हैं।
इस रिपोर्ट का उद्देश्य इन नफरत फैलाने वाले उन यूजर्स की गतिविधियों को उजागर करना है, साथ ही यह भी दिखाना है कि कैसे वे कनेक्शन और नेटवर्किंग के माध्यम से अपनी रीच को बढ़ाते हैं। इनमें कुछ यूजर्स ऐसे हैं जो इस नेटवर्क का फायदा लोगों से फंडिंग जैसे कार्यों के लिए भी करते हैं। इसके साथ ही, रिपोर्ट में यह भी बताया जाएगा कि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी तकनीकों का दुरुपयोग कर हेट-स्पीच और भ्रामक सूचनाओं को फैलाने में हो रहा है। फेक न्यूज और भ्रामक सूचनाओं के माध्यम से ये यूजर्स समाज में गलतफहमियों, सामाजिक ध्रुवीकरण और लोगों के बीच विभाजन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में उन यूजर्स का विश्लेषण प्रदान किया जा रहा है, जो एक्स (ट्विटर) के साथ-साथ टेलीग्राम पर मौजूद हैं और वह लगातार नफरत, फेक और भ्रामक सूचनाएं फैला रहे हैं। इस रिपोर्ट के मुख्य बिन्दू निम्नलिखित हैं-
- एक्स हैंडल्स और उनके टेलीग्राम चैनल्स
- ऑनलाइन सक्रियता और यूजर्स की रीच
- हेट कंटेंट का विश्लेषण और प्रभाव
- नफरत के लिए AI का दुरुपयोग
- कंटेंट का शेयरिंग पैटर्न
- फेक और भ्रामक न्यूज
1-एक्स हैंडल्स और उनके टेलीग्राम चैनल्सः
इस रिपोर्ट में हमने प्रमुख रुप से उन यूजर्स का विश्लेषण किया है, जो एक्स और टेलीग्राम दोनों माध्यमों पर मौजूद हैं और उनका प्रभाव भी व्यापक है। इन यूजर्स में मेघ अपडेट्स, ओसियन जैन, हिन्दुस्तानी बीस्ट, सनातनी हिन्दू राकेश और डॉ. अनिता व्लादिवोस्की शामिल हैं। हमने पाया कि डॉ. अनिता व्लादिवोस्की द्वारा GemsOfHindu नाम से एक अन्य टेलीग्राम चैनल भी प्रमोट किया जाता है। इन सोशल मीडिया यूजर्स का विश्लेषण करते हुए यह समझना जरूरी है कि वे किस प्रकार समाज में नफरत और भ्रामक जानकारी फैलाने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। ‘मेघ अपडेट्स’, ‘ओसियन जैन’, ‘हिन्दुस्तानी बीस्ट’, ‘सनातनी हिन्दू राकेश’ और ‘डॉ. अनिता व्लादिवोस्की’ जैसे यूजर्स अपनी पोस्ट्स, वीडियोज़, और मैसेजेस के माध्यम से अपने व्यापक फॉलोअर्स तक पहुंचते हैं और उन्हें गलत सूचनाओं से प्रभावित करते हैं।
2-ऑनलाइन सक्रियता और यूजर्स की रीचः
इन यूजर्स की बड़ी संख्या में फॉलोअर्स हैं और उनके पोस्ट्स को काफी शेयर किया जाता है, जिससे इनका प्रभाव समाज के विभिन्न वर्गों में व्यापक रूप से फैलता है। इनके पोस्ट्स अक्सर वायरल हो जाते हैं और अन्य लोगों के द्वारा भी साझा किए जाते हैं। ‘मेघ अपडेट्स’ के एक्स और टेलीग्राम दोनों प्लेटफॉर्म्स पर बड़ी तादात में सब्सक्राइबर्स हैं और इसका अच्छा खासा प्रभाव है। वहीं ओसियन जैन के एक्स पर ज्यादा फॉलोवर्स हैं, जबकि टेलीग्राम पर उनके अभी बहुत कम सब्सक्राइबर्स हैं। इसके अलावा ‘हिन्दुस्तानी बीस्ट’ के टेलीग्राम पर ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं, लेकिन इसके एक्स प्लेटफॉर्म पर कम फॉलोवर्स हैं। वहीं डॉ. अनिता व्लादिवोस्की के एक्स और टेलीग्राम दोनों पर ठीक-ठाक फॉलोवर्स और सब्सक्राइबर्स हैं। वहीं सनातनी हिन्दू राकेश के टेलीग्राम पर ज्यादा लोग जुड़े हैं और एक्स पर 2 हजार के आस-पास फॉलोवर्स हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि एक्स पर राकेश के कई हैंडल्स को सस्पेंड कर दिया गया है। राकेश अपने सोशल मीडिया हैंडल्स को modified_hindu के नाम से संचालित करते हैं। यहां हम इनमें कुछ चैनल के बारे में विवरण प्रदान कर रहे हैं।
i)-राकेश हिन्दू सनातनीः
सनातनी हिन्दू राकेश सोशल मीडिया पर एक ऐसा अकाउंट है, जो अपने भड़काऊ और नफरत फैलाने वाले पोस्ट्स के लिए जाना जाता है। वह विशेष रूप से एक्स (पूर्व में ट्विटर) और टेलीग्राम जैसे प्लेटफार्मों पर सक्रिय हैं, जहां से वह लगातार एक समुदाय विशेष के प्रति नफरत फैलाने वाले संदेश प्रसारित करते हैं। इन संदेशों का मुख्य स्वरूप धार्मिक असहिष्णुता, विभाजनकारी विचारधारा और सांप्रदायिक कटुता को बढ़ावा देने वाला होता है। राकेश की सोशल मीडिया इन्हीं गतिविधियों के चलते उनके कई अकाउंट्स सस्पेंड कर दिए गए हैं। ऐसा मुख्य रूप से इसलिए हुआ है, क्योंकि उनकी पोस्ट्स न सिर्फ सोशल मीडिया की नीतियों का उल्लंघन करती हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द्र के लिए भी खतरा पैदा करने की कोशिश करती है। जैसे ही उनके अकाउंट्स पर कार्रवाई होती है, वह अपने पुरानी आईडी से मिलता जुलता एक नया हैंडल बनाकर उसी तरह की गतिविधियों में लिप्त हो जाते हैं, जिससे यह प्रतीत होता है कि उनका उद्देश्य केवल अपनी विचारधारा को फैलाना ही नहीं, बल्कि समाज में नफरत का प्रसार करना भी है।
हमने जांच के दौरान पाया कि राकेश इससे पहले सोशल मीडिया पर @modified_hindu8 के नाम के हैंडल से सक्रिय थे, जिसे एक्स पर सस्पेंड कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने @modified_hindu9 नाम से अकाउंट बनाया। राकेश की गतिविधियों के चलते यह अकाउंट भी सस्पेंड कर दिया गया था। फिलहाल वह @modified_hindu6 नाम के हैंडल से एक्स पर सक्रिय है और लगातार फेक और नफरती ट्वीट पोस्ट कर रहे हैं। टेलीग्राम पर उनका चैनल modified_hindu4 से एक्टिव है, जिसे नीचे दिए ग्राफिक्स में देखा जा सकता है।
बार-बार फंडिंग की अपीलः
सोशल मीडिया पर सनातनी हिन्दू राकेश के फॉलोवर्स और सब्सक्राइबर्स की संख्या हजारों में है और इस प्रभावशाली उपस्थिति का उपयोग वह आर्थिक फंडिंग जुटाने के लिए भी करते रहते हैं। वह समय-समय पर पोस्ट शेयर कर लोगों से फंडिंग की अपील करते रहे हैं। यह अपीलें आमतौर पर टेलीग्राम की जाती हैं, जिसे राकेश ने अपने हैंडल पर पिन करके रखा हुआ है, यानी राकेश के फंडिंग की अपील वाले पोस्ट QR कोड और बैंक डिटेल्स के साथ सबसे ऊपर ही दिख जाएंगे। राकेश अपने लिए फंडिंग की अपील में अपनी आर्थिक संकट का हवाला देकर पैसे की मांग करते हैं। कुछ पोस्ट में उन्होंने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए लोगों से पैसे देने की अपील की है। वहीं किछ कुछ पोस्ट में राकेश ने बेरोजगारी और धर्म के सेवक के रुप में काम करने के लिए पैसे की मांग की है।
फंडिंग के लिए इन अपीलों में राकेश अपने फॉलोवर्स को यह विश्वास दिलाने का प्रयास करते हैं कि लोगों का आर्थिक योगदान एक महत्वपूर्ण कार्य में लगाया जा रहा है। उनकी भाषा और प्रस्तुतिकरण में भावनात्मक अपील शामिल होती है, जो फॉलोवर्स की भावनाओं को स्पर्श करती है। यहां एक तथ्य पर गौर किया जाए तो राकेश द्वारा पैसे की अपील करना सिर्फ फंडिंग तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह उनके फॉलोवर्स के साथ व्यक्तिगत संबंधों को भी और ज्यादा बढ़ाता है। इस संबंध में उन्हें समर्थकों से न सिर्फ आर्थिक मदद मिलती है, बल्कि भावनात्मक समर्थन भी दिलाती है, जिससे उनके प्रभाव में और ज्यादा बढ़ोतरी होती है। इसे यूं समझे कि यह प्रक्रिया एक चक्र में परिवर्तित हो जाती है, जहां उन्हें आर्थिक सहायता के माध्यम से और भी प्रभावशाली बनने का मौका मिलता है और उनके संदेशों का दायरा लगातार बढ़ता जाता है।
ii0- मेघ अपडेट्सः
मेघ अपडेट्स सोशल मीडिया के दोनों माध्यमों टेलीग्राम और एक्स पर काफी प्रभावशाली असर रखता है। इसके एक्स पर 4 लाख 51 हजार से ज्यादा फॉलोवर्स हैं, वहीं टेलीग्राम पर इसके 62800 सब्सक्राइबर्स हैं। हमनें TGStat.com पर इस अकाउंट के प्रभाव का विश्लेषण किया। इस यूजर का टेलीग्राम पर कितना असर इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस अकाउंट की हर पोस्ट पर करीब 12 हजार के आस-पास व्यूज होते हैं और प्रतिदिन यह यूजर 8 लाख व्यूज की सीमा तक पहुंच जाता है। DFRAC की वेबसाइट पर मेघ अपडेट्स द्वारा फैलाए गए फेक/भ्रामक सूचनाओं के फैक्ट चेक को इस लिंक (https://dfrac.org/en/?s=Megh+Updates) पर क्लिक करके देखा जा सकता है।
TGStat.com की वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक मेघ अपडेट्स की टेलीग्राम पोस्ट को रोजाना बड़ी मात्रा में शेयर किया जाता है। इसे वीडियो, फोटो या कंटेंट को एक ग्रुप से दूसरे ग्रुप में शेयर किया जाता है। यहां दिए गए ग्राफिक्स में पिछले 30 दिनों तक शेयर व्यूज और शेयर को देखा जा सकता है।
3-हेट कंटेंट का विश्लेषण और प्रभावः
हमने विश्लेषण के दौरान पाया कि इनमें से कई यूजर्स का एक समुदाय विशेष को निशाना बनाते हुए धार्मिक और सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा देने का प्रयास करते हैं। उदाहरण के तौर पर ‘सनातनी हिन्दू राकेश’ के पोस्ट्स अक्सर एक धर्म विशेष को लक्षित करते हैं और इस प्रकार की सामग्रियों को आगे बढ़ाते हैं, जो समाज में विभेद पैदा कर सकती हैं। इसके अलावा ‘हिन्दुस्तानी बीस्ट’ और ‘डॉ. अनिता व्लादिवोस्की’ जैसे यूजर्स अपनी सामग्री में बार-बार ऐसे मुद्दे उठाते हैं, जो धार्मिक असहिष्णुता और नफरत को बल प्रदान करते हैं। कंटेंट एनालिसिस से पता चला कि इन चैनल्स में मुस्लिम धर्म से संबंध रखने वाली व्यक्तियों से जुड़ी खबरों, किसी मुस्लिम द्वारा किए गए अपराध को पूरे धर्म से जोड़ने और उनके लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किए जाते हैं, जिसमें ‘मुल्ला’, ‘जिहादी’ और ‘कटुवा’ जैसे शब्द बार-बार इस्तेमाल किए जाते हैं। हमने अपने विश्लेषण में पाया कि इनके टेलीग्राम चैनल्स पर कुल 47,000 फोटो और 24,000 से अधिक वीडियो पोस्ट किए गए हैं।
कंटेंट विश्लेषण से निम्नलिखित प्रमुख अपमानजनक शब्द पाए गए हैं:
- मुल्ला: इन टेलीग्राम चैनल्स पर यह शब्द 400 से ज्यादा बार उपयोग किया गया है। इसका प्रयोग अक्सर मुस्लिमों के प्रति नकारात्मकता और असहिष्णुता को दर्शाने के लिए किया गया है।
- जिहादी: इन टेलीग्राम चैनल्स पर यह शब्द 1,500 अधिक बार प्रयोग हुआ है, जो कि सबसे अधिक उपयोग किया गया शब्द है। हमने पाया कि किसी भी अपराध की घटना में मुस्लिम शख्स का नाम सामने आने पर उसके लिए मुल्ला और जिहादी शब्द इस्तेमाल किए जाते हैं।
- कटुवा: इस शब्द का प्रयोग 50 से अधिक बार किया गया है। यह शब्द धार्मिक असहिष्णुता और अपमान का एक प्रमुख उदाहरण है।
मुस्लिमों के खिलाफ नफरतः
i)- अपमानित शब्द और अश्लील मजाकः
ओसियन जैन नामक यूजर हैशटैग “#लड्डन_कबाड़ी” से पोस्ट शेयर करती है। इन पोस्ट में मुस्लिम समाज के प्रति एक अलग प्रकार की नफरत देखने को मिलती है और इस नफरत के लिए अश्लील व्यंग्यात्मक और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया जाता है। जैसे इन पोस्टों में मौलवी के लिए ‘झोलवी’ जैसे शब्द का प्रयोग किए जाते हैं, जो न केवल मुस्लिम समुदाय के धार्मिक भावनाओं का मजाक उड़ाता है, बल्कि उनके प्रति भद्दी और अपमानजनक टिप्पणी भी करता है। इसके अलावा मुस्लिम महिलाओं को लेकर भी अशोभनीय टिप्पणी की जाती है। यह यूजर ऐसे कंटेंट का प्रचार कर रही है जो सामाजिक मर्यादा और आपसी सौहार्द्र के मूल्यों का उल्लंघन करता है।
इस प्रकार के पोस्ट और टिप्पणियां समाज में अस्थिरता उत्पन्न करने के लिए प्रभावी मानी जा सकती हैं, क्योंकि वे न सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान पर चोट करती हैं, बल्कि अपमानित भी करती हैं। इस यूजर का उद्देश्य केवल मजाक करने तक सीमित होता प्रतीत नहीं होता है, क्योंकि इसके पोस्ट में एक समुदाय विशेष को नीचा दिखाना और उनके खिलाफ नफरत को बढ़ावा देना दिखाई पड़ता है।
ii)- धार्मिक किताबों और प्रतीकों का अपमानः
धार्मिक किताबों और प्रतीकों का अपमान कर नफरत फैलाने की प्रवृत्ति गंभीर सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याओं को जन्म दे रही है। धार्मिक आस्थाओं से जुड़े प्रतीकों, किताबों या धार्मिक मान्यताओं का अपमान केवल एक समुदाय की भावनाओं को आहत नहीं करता, बल्कि समाज में सांप्रदायिकता, हिंसा और अलगाव को बढ़ावा देता है। हमने अपने विश्लेषण के दौरान पाया कि टेलीग्राम चैनल्स पर कुछ यूजर्स द्वारा धार्मिक प्रतीकों और किताबों का अपमान करने के लिए फोटोशॉप्ड फोटो शेयर कर रहे थे।
4-नफरत के लिए AI का दुरुपयोगः
टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर एआई-जनित छवियों का नफरत फैलाने के लिए उपयोग एक गंभीर और चिंताजनक प्रवृत्ति बन गई है। यह तकनीक धार्मिक समुदायों के बीच भेदभाव और दुश्मनी बढ़ाने के उद्देश्य से कार्य कर रही है, जहां कुछ यूजर्स जानबूझकर बुर्काधारी मुस्लिम महिलाओं को भगवाधारी हिंदू युवकों के साथ कामुक और आपत्तिजनक स्थितियों में दिखाने वाली छवियों को प्रसारित कर रहे हैं।
इस प्रकार की छवियां न केवल मुस्लिम महिलाओं का असम्मान करती हैं, बल्कि धार्मिक प्रतीकों का भी अपमान करती हैं, जिससे समाज में सांप्रदायिक तनाव बढ़ता है। ऐसे चित्र, जिनमें किसी समुदाय विशेष के लोगों को अशोभनीय रूप से चित्रित किया जाता है, दर्शकों में भावनात्मक उत्तेजना पैदा कर सकते हैं, जो हिंसा और द्वेष को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, AI द्वारा निर्मित इन छवियों का यथार्थ जैसा दिखना इस समस्या को और गंभीर बना देता है, क्योंकि कई बार लोग इसे वास्तविक मान लेते हैं।
5- कंटेंट का शेयरिंग पैटर्नः
हमने विश्लेषण के दौरान पाया कि कई टेलीग्राम ग्रुप्स में एक ही प्रकार के मैसेज शेयर किए जा रहे थे। जिसमें एक समाजवादी पार्टी से जुड़े एक पोस्टर को शेयर करते हुए इस्लाम धर्म के खिलाफ अभद्र शब्दों का इस्तेमाल किया गया था। वहीं एक अन्य पोस्ट में हमने पाया कि दैनिक भास्कर के बहिष्कार से जुड़ी एक पोस्ट शेयर की जा रही थी।
6- फेक और भ्रामक न्यूजः
इस रिपोर्ट में हमने इन यूजर्स द्वारा फैलाए गए फेक न्यूज और भ्रामक सूचनाओं का विश्लेषण किया, जो नफरत और सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। टेलीग्राम और एक्स जैसे प्लेटफार्म्स पर ये यूजर्स ने ऐसी पोस्ट्स शेयर करते हैं, जो न केवल तथ्यहीन हैं, बल्कि समाज में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने के लिए जानबूझकर फैलाई गई है।
फेक/भ्रामक न्यूज-1-
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की तस्वीर के साथ एक क्वोट कार्ड शेयर किया गया था। अखिलेश की तस्वीर के साथ टेक्स्ट लिखा है, “ज्यादातर मुसलमान कम पढ़े लिखे होते हैं। नासमझी के कारण वे बलात्कार जैसी गलती कर देते हैं। वह कोई अपराध नहीं है।”
फैक्ट चेकः क्वोट कार्ड में अखिलेश यादव का फेक बयान शेयर किया गया है। अखिलेश यादव ने बलात्कार पर ऐसा कोई बयान नहीं दिया है।
फेक/भ्रामक न्यूज-2-
एक वीडियो को शेयर कर दावा किया गया है कि जयपुर में कांग्रेस का नया कार्यालय खुला तो मुहूर्त में सुंदरकांड और गणेश पूजा नहीं की गई, जबकि कलमा पढ़ा गया।
फैक्ट चेकः वायरल वीडियो कांग्रेस के कार्यालय के उद्घाटन का नहीं है। वायरल वर्ष 2023 में इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि और सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती कार्यक्रम में सर्व-धर्म सभा के आयोजन का है।
फेक/भ्रामक न्यूज-3-
एक वीडियो के साथ दावा है कि केरल में एक मुस्लिम मां ने अपने सगे बेटे के साथ शादी किया है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि महिला अपने बेटे को फूलों की माला पहना रही है। इस वीडियो पर टेक्स्ट लिखा है, “केरल में एक मुस्लिम महिला जीनत जहा जिसके शौहर का इंतकाल हो गया। उसके 3 बच्चे थे। उसने अपने सबसे बड़े बेटे से अपने ही घर में निकाह कर लिया।”
फैक्ट चेकः वायरल वीडियो केरल में मुस्लिम मां-बेटे की शादी का नहीं है। यह वीडियो पाकिस्तान का है, जहां रमजान के महीने में एक मां एतकाफ से वापस आने के बाद अपने बेटे का स्वागत कर रही है।
फेक/भ्रामक न्यूज-4-
बांग्लादेश के एक वीडियो के साथ दावा किया गया है कि हिन्दू शिक्षक से जबरदस्ती इस्तीफा लिया गया है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि युवकों का ग्रुप एक अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार करता है और उनसे जबदस्ती इस्तीफा पत्र पर हस्ताक्षर करवाता है।
फैक्ट चेकः जिस व्यक्ति से दुर्व्यवहार कर जबरदस्ती इस्तीफे पर हस्ताक्षर करवाया गया है वह हिन्दू नहीं हैं। बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार जिस अधिकारी से इस्तीफा लिया गया है, वह चपैनवाबगंज नगर पालिका के अधिशाषी अभियंता तौफीक इस्लाम हैं।
फेक/भ्रामक न्यूज-5-
बांग्लादेश में बाढ़ में फंसे एक हिंदू बच्चे की मदद के बाद उसके धर्मांतरण का दावा किया गया है। दावा है कि एक मौलवी एक हिन्दू बच्चे को सहायता देने से पहले पहले उसके कान में कलमा पढ़ता है, उसके बाद उसके गले में हिंदू पहचान यानी तुलसी की माला जबरजस्ती निकालता है, और उसे फेंक देता है।
फैक्ट चेकः वीडियो में दिख रहा व्यक्ति ने मुस्लिम बच्चे के गले से तावीज निकाला था। इसलिए हिन्दू बच्चे के गले से तुलसी की माला निकालने का दावा गलत है।
निष्कर्षः
टेलीग्राम और एक्स (पूर्व ट्विटर) पर कुछ प्रमुख यूजर्स संगठित तरीके से फेक, भ्रामक और हेट कंटेंट फैलाने में लगे हुए हैं। इन यूजर्स में मेघ अपडेट्स, ओसियन जैन, हिन्दुस्तानी बीस्ट, सनातनी हिन्दू राकेश, और डॉ. अनिता व्लादिवोस्की जैसे नाम शामिल हैं। इन सभी यूजर्स की रीच व्यापक है, और ये अपने दर्शकों को लगातार एक समुदाय विशेष के खिलाफ नफरत भरे विचार और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हैं। इन चैनल्स और अकाउंट्स में अपमानजनक शब्दों का बार-बार प्रयोग, सांप्रदायिक पोस्ट, और गलत जानकारी के माध्यम से नफरत को बढ़ावा देना आम है। साथ ही, ये अकाउंट्स ऐसे कंटेंट शेयर करते हैं जो सामुदायिक सद्भावना और एकता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं।