सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है। जिसमें देखा जा सकता है कि कोर्ट की कार्यवाही के दौरान जज एक अधिवक्ता पर गुस्सा हो जाते हैं। वीडियो में अधिवक्ता को फटकार लगाते हुए जज कहते हैं, “और ज़रा भी उल्टी सीधी बहस की, यहीं से जेल भेज दूंगा, सारी वकालत खत्म हो जायेगी”। इस वीडियो को यूजर्स सांप्रदायिक ऐंगल देकर शेयर कर रहे हैं।
@OfficialAmitSh4 नामक एक यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “बागेश्वर बाबा की कथा पर रोक। जबलपुर हाईकोर्ट में बाबा बागेश्वर कि कथा पर रोक लगाने कि जनहित याचिका दायर कि। अधिवक्ता जिहादी गयासुद्दीन ने कहा कि इस तरह के धार्मिक आयोजन से आदिवासी समुदाय कि भावनायें आहत होती हैं, धन्यवाद माननीय न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल जी।”
इसके अलावा अन्य यूजर ने भी वीडियो शेयर कर इसी तरह के दावे किये, जिसे यहां, यहां, यहां और यहां क्लिक करके देखा जा सकता है।
फैक्ट चेक
DFRAC टीम ने वायरल वीडियो की पड़ताल के लिए संबंधित कीवर्ड सर्च किये। हमें edtimes की 26 मई 2023 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 20 मई को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में मध्य प्रदेश आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष दिनेश धुर्वे द्वारा दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही थी, जिसमें अनुरोध किया गया था कि बालाघाट जिले के भादुकोटा गांव में 23 और 24 मई को बाबा बागेश्वर धाम द्वारा आयोजित होने वाले कार्यक्रम पर रोक लगाई जाए।
याचिका मे कहा गया था कि इस कार्यक्रम से क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों के सार्वजनिक हित पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति डीके पालीवाल की खंडपीठ ने पहली याचिका पर सुनवाई की।
22 मई को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर पीठ में एक अन्य जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें फिर से दावा किया गया कि धार्मिक आयोजन से आदिवासी समुदायों की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी।
न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल एक बार फिर सुनवाई के लिए बेंच पर थे। कोर्ट की कार्यवाही के दौरान जस्टिस विवेक अग्रवाल ने जनहित याचिका दाखिल करने वाले वकील जीएस उद्दे का सही आचरण नहीं करने पर फटकार लगाई।
इसके अलावा आगे की जांच करने पर हमें Lallantop के यूट्यूब चैनल पर 23 मई 2023 को अपलोड जस्टिस विवेक अग्रवाल और अधिवक्ता जीएस उद्दे के बीच बहस का वीडियो मिला। इसमें 2 मिनट 42 सेकेंड पर जस्टिस विवेक अग्रवाल ने अधिवक्ता से नाम पूछा, जिसके जवाब में अधिवक्ता ने जीएस उद्दे बताया।
निष्कर्ष
DFRAC के फैक्ट चेक से स्पष्ट है कि यूजर्स द्वारा अधिवक्ता का नाम गयासुद्दीन बताकर भ्रामक दावा किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जस्टिस विवेक अग्रवाल के नाम पूछने पर अधिवक्ता ने अपना नाम जीएस उद्दे बताया था।