दाढ़ी-टोपी पहने मुस्लिम पहचान वाला एक शख्स अगर किसी भी प्रकार की गैर कानूनी घटना को अंजाम देता है, तो इस घटना के लिए वह अकेला ज़िम्मेदार नहीं होता है, बल्कि उस घटना के लिए पूरी कम्युनिटी को कसूरवार ठहराने की कोशिश होती है। या फिर अफ्रीकी नस्ल का कोई भी शख्स किसी भी अपराध में शामिल है, तो पूरी अफ्रीकी नस्ल के लोगों को अपराधी घोषित करने की कोशिश होती है। सोशल मीडिया पर आज कल ये एक ट्रेंड बनता जा रहा है।
इस तरह के प्रोपेगेंडा के लिए सोशल मीडिया पर कई हैंडल्स एक्टिव हैं। ये हैंडल्स खुद को इस प्रकार दिखाने की कोशिश करते हैं, जैसे वह कोई मीडिया संस्थान हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि मीडिया संस्थान की तरह दिखने वाले इन हैंडल्स की ना कोई वेबसाइट होती है, ना अखबार-मैगजीन होते हैं, टीवी-रेडियो चैनल होते हैं और ना ही इनका कोई आधिकारिक पता होता है। ऐसा ही एक हैंडल ‘डेली रिपोर्ट्स’ है, जो एक्स प्लेटफार्म पर यूजरनेम @dailyreportsx से संचालित हो रहा है। इस रिपोर्ट में हम इस हैंडल के प्रोपेगेंडा, फेक न्यूज, भ्रामक न्यूज और हेट स्पीच का विश्लेषण कर रहे हैं।
इस रिपोर्ट के मुख्य बिन्दू निम्नलिखित हैं-
- कौन है डेली रिपोर्ट्स?
- नस्ल के आधार पर हेट स्पीच
- धार्मिक नफरत और घृणा
- हेट फैलाने के लिए AI का दुरुपयोग
- फेक/भ्रामक न्यूज
- कौन है डेली रिपोर्ट्स?
डेली रिपोर्ट्स के एक्स प्लेटफार्म पर 42 हजार से ज्यादा फॉलोवर्स हैं और वह 2000 से ज्यादा लोगों को फॉलो करता है। इस अकाउंट को 2009 में बनाया गया था। यह अकाउंट दावा करता है कि वह यूरोप और अमेरिका में दैनिक आप्रवासी समाचार मुहैया कराता है। इस अकाउंट के बायो में लोकेशन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है, सिर्फ वर्ल्ड यानी दुनिया लिखा गया है।
2. नस्ल के आधार पर हेट स्पीच:
डेली रिपोर्ट्स अपने ज्यादातर ट्वीट में नस्लीय भेदभाव, धार्मिक भेदभाव, लोगों को उकसाकर अराजकता फैलाने और नस्लीय भेदभाव करते हुए सामूहिक लेवल पर बहिष्कार की अपील करता है। इसके नस्ल और धार्मिक आधार पर किए जा रहे पोस्ट और प्रोपेगेंडा का विस्तृत विश्लेषण किया जा रहा है।
- अफ्रीकी नस्ल के लोगों के खिलाफ हेट प्रोपेगेंडाः
नस्लीय भेदभाव नस्ल, त्वचा के रंग और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि सहित कई अन्य कारणों के आधार पर होता है। अफ्रीकी नस्ल के लोगों को बाहरी बताते हुए उनके खिलाफ नस्लीय भेदभाव करना पश्चिमी देशों की एक गहरी और जटिल समस्या रही है। इन देशों में नस्लीय भेदभाव का एक लंबा इतिहास रहा है। इन भेदभावों के खिलाफ मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने लंबी लड़ाई लड़ी थी। इस तरह का भेदभाव न केवल अफ्रीकी लोगों के खिलाफ अन्यायपूर्ण है, बल्कि यह समाज में विभाजन और नफरत को भी बढ़ावा देता है।
डेली रिपोर्ट्स ने कई पोस्ट में बड़े पैमाने पर अफ्रीकी नस्ल के लोगों को यूरोपिय देशों से निकाले जाने की बात लिखी है। हालांकि अफ्रीकी नस्ल के कई लोग यूरोपिय देशों के नागरिक हैं, लेकिन डेली रिपोर्ट अपने व्यक्तिगत दुर्भावना और भेदभाव वाली सोच का प्रदर्शन करते हुए सभी अफ्रीकी नस्ल के लोगों को बाहरी और अपराधी बताने की कोशिश करता है। वह सोशल मीडिया पर इस तरह का माहौल माहौल बनाता है कि यूरोप और पश्चिमी देशों में होने वाली राजनीतिक उठापठक और घटनाओं के लिए या तो अफ्रीकी नस्ल के लोग जिम्मेदार हैं या फिर इस्लाम के मानने वाले जिम्मेदार हैं। हम यहां डेली रिपोर्ट्स की कुछ नस्लीय भेदभाव वाली पोस्ट का स्क्रीनशॉट प्रदान कर रहे हैं।
3. धार्मिक नफरत और घृणाः
कानून की किताब में भले ही अपराध को किसी धर्म, संप्रदाय, नस्ल, जाति या जेंडर से नहीं जोड़ा गया हो, लेकिन इस हैंडल के लिए यूरोप और अमेरिका में होने वाले अपराध के लिए अपराधी से ज्यादा उसका धर्म या नस्ल ज़िम्मेदार होता है। इसलिए यह हैंडल किसी अपराधी के अपराध से ज्यादा उसके धर्म और नस्ल पर केंद्रित करते हुए पोस्ट शेयर करता है और इस प्रकार दिखाने की कोशिश करता है कि अपराधी का धर्म या नस्ल ही अपराध की मूल जड़ है।
डेली रिपोर्ट्स द्वारा “इस्लामोफोबिक” कंटेंट शेयर कर मुसलमानों के खिलाफ ऑनलाइन नफरत को बढ़ावा दिया जा रहा है। डेली रिपोर्ट्स के हैंडल से फैल रहे इस्लामोफोबिक कंटेंट का उद्देश्य मुसलमानों के खिलाफ नकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करना, उन्हें निशाना बनाना और उनके खिलाफ हिंसा या भेदभाव को प्रोत्साहित करना प्रतीत होता है। हम यहां कुछ इस्लामोफोबिक पोस्ट के स्क्रीनशॉट का कोलाज दे रहे हैं।
4. हेट फैलाने के लिए AI टूल्स का दुरुप्रयोगः
सोशल मीडिया पर एआई द्वारा बनाई गई फोटो और इमेजरी का नफरत फैलाने के लिए दुरुपयोग मौजूदा समय में काफी ज्यादा बढ़ गया है। एआई की एडवांस्ड तकनीक जिसमें विशेषकर डीपफेक और जनरेटिव मॉडल्स का प्रयोग करके आसानी से फेक तस्वीरें, डीपफेक वीडियो और अन्य डिजिटल कंटेंट तैयार किए जा रहे हैं। ये कंटेंट ना सिर्फ लोगों के बीच भ्रम फैलाते हैं, बल्कि सीधे तौर पर नफरत और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए भी इस्तेमाल किए जाते हैं। डेली रिपोर्ट्स भी एआई की एडवांस्ड तकनीक दुरुपयोग करके मुस्लिमों के खिलाफ नफरत और हिंसा को उकसावा देने की कोशिश कर रहा है। एआई द्वारा फैलाए जा हेट को हम दो प्रकार से देख सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं।
- मुस्लिमों का यूरोपियन लड़कियों से छेड़खानी का चित्रणः
डेली रिपोर्ट्स ने कई एआई जनरेटेड फोटो को शेयर किया है। इन एआई तस्वीरों में आम तौर पर यह दिखाया गया है कि मुस्लिम युवकों का एक ग्रुप बस, ट्रेन या अन्य जगहों पर घूम रही यूरोपियन लड़कियों से ना सिर्फ छेड़खानी कर रहा है, बल्कि उन पर हंस भी रहा है। इन तस्वीरों में यूरोपियन लड़कियों को रोते हुए दिखाया गया है।
ii. मुस्लिमों का हिंसक चित्रण या मुस्लिम के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देनाः
डेली रिपोर्ट्स एआई जनरेटेड तस्वीरों का दुरुपयोग करके मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दे रहा है। इसने अपनी पोस्ट के जरिए दो प्रकार से नफरत दिखाया गया है। पहला- मुस्लिमों को हिंसक दिखाना और दूसरा- मुस्लिमों के प्रति हिंसा के लिए लोगों को उकसाना, जिसे यहां दिए गए ग्राफिक्स में देखा जा सकता है। इसके अलावा एक अन्य एआई फोटो में एफिल टॉवर को बुर्का पहना दिया गया है।
5. फेक/भ्रामक न्यूजः
डेली रिपोर्ट्स के हैंडल्स से ज्यादातर प्रोपेगेंडा, फेक न्यूज और भ्रामक सूचनाएं रहती हैं। हमारी टीम ने इस हैंडल की जांच के दौरान पाया कि यह यूजर समय-समय पर फेक और भ्रामक सूचनाए फैलाता रहा है। हम यहां कुछ फेक/भ्रामक सूचनाएं और उसका फैक्ट चेक दे रहे हैं-
फेक/भ्रामक सूचना-1-
डेली रिपोर्ट्स ने एक्स पर एक वीडियो शेयर किया है। जिसमें देखा जा सकता है कि एक पार्क में कुछ मुस्लिम नमाज़ पढ़ रहे हैं। डेली रिपोर्ट्स का दावा है कि लंदन में 500 से ज़्यादा मस्जिदें हैं, लेकिन मुसलमान 755 साल पुराने वेस्टमिंस्टर एबी चर्च के सामने नमाज़ पढ़ रहे हैं।
फैक्ट चेकः
DFRAC की टीम ने फैक्ट चेक में पाया कि शेयर किया गया वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं है। यह वीडियो साल 6 अक्टूबर 2012 का है, जिसे यूट्यूब पर ‘1960str’ नामक यूजर ने शेयर किया था। मुस्लिमों ने यहां नमाज विरोध स्वरुप पढ़ी थी।
डेली रिपोर्ट्स ने सड़क पर मुस्लिमों के नमाज अदा करने का एक वीडियो शेयर कर इसे फ्रांस के होने का दावा किया है।
फैक्ट चेकः
फैक्ट चेक में सामने आया कि यह वीडियो रूस का है, जब मास्को में ईद के दिन मुसलमानों ने नमाज अदा की थी।
फेक/भ्रामक सूचना-3-
डेली रिपोर्ट्स ने एक वीडियो को शेयर कर दावा किया कि फ्रांस में लेफ्ट की पार्टियों ने जीत का जश्न फिलिस्तीन के झंडे के साथ मनाया।
फैक्ट चेकः
यह वीडियो जून महीने में पेरिस में फिलिस्तीन के समर्थन हुए प्रदर्शन का है। इस वीडियो का जुलाई के महीने में आए फ्रांस के चुनाव नतीजों से कोई लेना-देना नहीं है।
फेक/भ्रामक सूचना-4-
डेली रिपोर्ट्स ने दावा किया कि ईरान में एक 15 वर्षीय लड़के को इसलिए मार दिया गया क्योंकि वह नमाज़ के समय संगीत सुन रहा था। यही शरिया कानून है।
फैक्ट चेकः
यह घटना हाल-फिलहाल की नहीं है। इस फोटो के साथ साल 2017 में प्रकाशित कई मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि यह घटना ईरान की नहीं बल्कि इराक की है।
निष्कर्षः
फेक मीडिया संस्थान “Daily Reports” जैसे प्लेटफॉर्म्स का अस्तित्व समाज के ताने-बाने के लिए एक गंभीर चुनौती बन रहा है। “Daily Reports” जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स का उभार ऑनलाइन हेट, सांप्रदायिकता, और फेक न्यूज़ के प्रसार में एक गंभीर खतरा भी बन गया है। ये हैंडल जानबूझकर झूठी और भ्रामक जानकारी फैलाता है, जिसका उद्देश्य समाज में ध्रुवीकरण को बढ़ावा देना, सांप्रदायिक तनाव को भड़काना, और अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ नफरत फैलाना शामिल है।