सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जिसमें देखा जा सकता है कि दो महिलाओं को जमीन आधी धंसी हुई हैं और कुछ लोग उन महिलाओं को बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं। एक यूजर ने इस वीडियो के साथ दावा किया, “मध्य प्रदेश में कुछ कांग्रेसियों ने दलित महिलाओं को जमीन में जिन्दा इसलिए गाड़ दिया क्योंकि उन्होंने कांग्रेस को वोट नहीं दिया था।”
वहीं फेसबुक पर कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो के साथ दावा किया है कि मध्य प्रदेश के रीवा में दो दलित महिलाओं ने अपने खेत में होकर रोड बनाने का विरोध किया तो दबंगो ने उन्हें ज़मीन में गाड़ दिया।
फैक्ट चेकः
DFRAC की टीम ने वायरल दावे की जांच के लिए गूगल पर कुछ कीवर्ड्स सर्च किया। हमें ‘MP Tak’ की एक रिपोर्ट मिली, जिसमें इस घटना को मध्य प्रदेश के रीवा जिले के हिनौता जोरौट गांव का बताया गया है। रिपोर्ट में उल्लेखित है, “निजी जमीन में दबंग जबरन सड़क बनाने के लिए मुरम डाल रहे थे। निर्माण कार्य में एक जेसीबी और दो हाईबा लगाए गए थे। इसका ममता पाण्डेय और आशा पाण्डेय सहित अन्य विरोध कर रहे थे। जैसे ही सड़क में मुरम डालने के लिए डंपर आगे बढ़ा, तो महिलाएं उसके पीछे खड़ी हो गईं। उसी दौरान डम्पर चालक ने मुरम से भरी ट्राली इन महिलाओं के ऊपर खोल दी और महिलाएं मुरम के नीचे दब गईं।”
वहीं ‘हिन्दुस्तान’ अखबार की रिपोर्ट में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विवेक लाल का बयान प्रकाशित किया गया है। “विवेक लाल ने बताया कि ममता पांडे और आशा पांडे नामक महिलाएं सड़क निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थीं और वे बजरी के नीचे आंशिक रूप से दब गईं। उन्होंने कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। एडीजी (कानून व्यवस्था) जयदीप प्रसाद ने बताया कि यह घटना एक परिवार के भीतर विवाद के कारण हुई। प्रसाद के मुताबिक, शिकायतकर्ता आशा पांडे ने बताया कि विवाद उनके रिश्तेदार गोकरण पांडे के साथ संयुक्त स्वामित्व वाली जमीन के एक टुकड़े से जुड़ा था और जब उस जमीन पर सड़क बनाई जा रही थी तो उन्होंने अपनी एक रिश्तेदार के साथ मिलकर इसका विरोध किया।”
वहीं मध्य प्रदेश पुलिस ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल @MPPoliceDeptt पर लिखा है, “एडीजी लॉ एंड ऑर्डर श्री जयदीप प्रसाद ने बताया कि शनिवार को रीवा जिले के मनगंवा थाने के ग्राम हिनोता कोठार में एक पारिवारिक जमीन विवाद में दो महिलाओं आशा पांडे और ममता पांडे पर मुरम गिरी थी। ये परिवार पांडे परिवार है इसमें कोई दलित महिला/पुरुष नहीं थे।”
निष्कर्षः
DFRAC के फैक्ट चेक से साफ है कि यह आशा पांडेय और गोकरण पांडेय के बीच पारिवारिक विवाद का मामला है। इसमें जातिवाद का एंगल नहीं है और ना ही कांग्रेस के नेताओं द्वारा वोट नहीं देने पर दलित महिलाओं को जमीन में जिंदा दफनाने का मामला है। इसलिए सोशल मीडिया यूजर्स का दावा भ्रामक है।