सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया जा रहा है। इसमें देखा जा सकता है कि जेसीबी की मदद से कई धार्मिक स्थलों और मकानों को तोड़ा जा रहा है।
यूज़र्स वीडियो शेयर कर लिख रहे है कि- चुनाव संपन्न होते ही तमिलनाडु के कल्लाकुरिची में भगवान गणेश और अय्यप्पा स्वामी मंदिर को तोड़ दिया गया है।
आंध्र प्रदेश बीजेपी उपाध्यक्ष विष्णु वर्धन रेड्डी और एक अन्य यूज़र (@maabharti11) ने दावा किया कि- तमिलनाडु सरकार ने अवैध कब्ज़ा बताते हुए भारी विरोध के बावजूद मंदिर पर बुलडोज़र चलवा दिया।आसपास कई इमारतें हैं, लेकिन केवल मंदिर को ही निशाना बनाया गया।
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फ़ैक्ट-चेक:
DFRAC ने वायरल वीडियो की जांच की। इस दौरान हमें कुछ मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं।
एबीपी न्यूज़ द्वारा 3 जून 2024 को पब्लिश न्यूज़ के अनुसार- कुछ महीने पहले मद्रास हाई कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के कल्लाकुरिची में एक सिंचाई नहर पर अतिक्रमण कर बनाई गई दो मंदिरों समेत 36 इमारतों को हटाने का आदेश दिया था। नियमानुसार कोर्ट के आदेश पर अमल किया गया। 16 मई को इमारतों पर नोटिस चिपकाए गए और बिजली कनेक्शन काट दिए गए।
28 मई को लोक निर्माण विभाग ने एक चाय की दुकान और दो दवा की दुकानें हटा दी थीं। महज़ 10 दुकानों को नहीं तोड़ा गया था क्योंकि अतिक्रमणकारियों में से एक ने अदालत में मामला दायर किया था।
खबर के अनुसार- 2 जून को एक नोटिस चिपकाया गया कि गांधी रोड स्थित शक्ति विनयगर और धर्मशास्त्र मंदिर को हटाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि शक्ति विनयगर मंदिर धर्मार्थ विभाग के नियंत्रण में है।
धर्मार्थ विभाग के अधिकारियों ने मूर्तियों की ऊंचाई, चौड़ाई और वज़न की जांच की और उन्हें एक मिनी टेम्पो वाहन में लादकर बस स्टैंड के पास पुराने मरियम्मन मंदिर में ले गए।
इसके बाद 4 बोगलाइन मशीनों से मंदिर सहित अन्य इमारतों को तोड़ने का काम शुरू हुआ था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार- हिंदू मोर्चा, बीजेपी और स्थानीय जनता ने किया विरोध किया। पुलिस ने उनसे बातचीत की और उन्हें तितर-बितर कर दिया था।
निष्कर्ष:
DFRAC के इस फ़ैक्ट-चेक से स्पष्ट है कि तमिलनाडु के कल्लाकुरिची में मंदिर तोड़े जाने को लकर किया जा रहा दावा भ्रामक है क्योंकि नहर पर अवैध अतिक्रमण हटाने को लेकर चुनाव या तमिनाडू सरकार की भूमिका नहीं है। यह आदेश मदरास हाईकोर्ट ने दिया था।