सोशल मीडिया पर एक वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि- कांग्रेस की सरकार में अब मन्दिरों को निशाना बनाना शुरू हो गया है।
वीडियो शेयर करने वाले यूज़र्स लिख रहे हैं कि- अधिकारी मंदिर की हुंडी का पैसा इकट्ठा करने के लिए मंदिर गए तो पुजारियों और भक्तों ने मांग की कि वे जाएं ओर चर्च और मस्जिद से दान/संग्रह प्राप्त करें।
फ़ैक्ट-चेक:
DFRAC टीम ने वायरल वीडियो के कुछ की-फ्रेम को रिवर्स सर्च किया। इस दौरान हमें Facebook पर 4 नवंबर 2015 को कैप्शन, ‘कोलारम्मा मंदिर’ साथ एक पोस्ट में मिला।
इसके बाद टीम ने संबंधित की-वर्ड की मदद से सर्च किया। हमें कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं।
Prajavani द्वारा 2015 में पब्लिश न्यूज़ के अनुसार- कोलार शहर के प्रसिद्ध कोलारम्मा मंदिर में चढ़ावा हुंडी स्थापित करने गए जिला कलेक्टर ने पुलिस सुरक्षा के साथ पुजारी समुदाय के कड़े विरोध के बावजूद, गर्भगृह के सामने हुंडी स्थापित की थी।
इससे नाराज़ पुजारियों ने पूजा कार्य बीच में ही स्थगित कर दिया था और गर्भगृह में ताला लगा दिया था। बाद में वह मंदिर के प्रवेश द्वार पर धरने पर बैठ गये और जिला प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
prajavani.ne & newindianexpress
26 जुलाई, 2020 की न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक में, लगभग 34,559 मंदिर मुजराई विभाग के दायरे में आते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार- पुजारियों ने कोलारम्मा मंदिर में आठ साल पहले दान इकट्ठा करने के लिए सरकार द्वारा रखी गई हुंडी को हटा दिया था। ऐसे दान पर राज्य द्वारा कर लगाया जाता है। पुजारियों ने हुंडी को हटवाने के लिए हाई कोर्ट में अपील की थी लेकिन वे केस हार गए और जिला प्रशासन ने हुंडी को दोबारा स्थापित कर दिया। जब सरकारी अधिकारी हुंडी रखने के लिए मंदिर पहुंचे तो पुजारियों के साथ उनकी बहस हो गई।
पुजारियों का कहना था कि-‘हमारे पास आठ पुजारी हैं जो इस पेशे पर निर्भर हैं। यदि अधिकारी हुंडी स्थापित करते हैं तो हमें अपने जीवन को बनाए रखने के लिए क्या करना चाहिए? हम बच्चों का पालन-पोषण कैसे करें?’
निष्कर्ष:
DFRAC के इस Fact Check से स्पष्ट है कि वायरल वीडियो 2015 का है, इसमें कोलारम्मा मंदिर के पुजारी, कोर्ट के आदेशानुसार हुंडी रखने वाले सरकारी अधिकारियों का विरोध कर रहे थे। इसलिए, सोशल मीडिया यूज़र्स द्वारा इसे हाल की घटना बताना, भ्रामक है।