सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है। इस वीडियो को शेयर करने वाले यूजर्स का दावा है कि बांग्लादेश में पहली बार हिंदुत्ववादी भीड़ ने धार्मिक जुलूसों में हथियारों का प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन 19 अप्रैल को ढाका के राजबारी जिले के बलियाकांडी में हजारों की संख्या में हिंदुत्ववादी भीड़ ने तलवारें लहराते हुए हिंदू उत्सव में भाग लिया।
इस वीडियो को शेयर करते हुए The Muslim नामक यूजर ने लिखा- “बांग्लादेश में पहली बार हिंदुत्ववादी भीड़ ने धार्मिक जुलूसों में हथियार का प्रदर्शन किया । 19 अप्रैल को, ढाका के राजबारी जिले के बलियाकांडी में हजारों की संख्या में हिंदुत्ववादी भीड़ ने तलवारें लहराते हुए हिंदू उत्सव में भाग लिया।”
इस वीडियो को एक अन्य यूजर द्वारा अरबी भाषा में कैप्शन के साथ पोस्ट किया गया है, जिसका हिन्दी अनुवाद है- “जब हम पवित्र हिंदू साम्राज्य के बारे में बात करते हैं जिसके लिए हिंदू प्रयास करते हैं, तो कुछ लोग इस पर विश्वास नहीं कर सकते हैं और इसे खारिज कर सकते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि वे सौ वर्षों से धीरे-धीरे अपने सपने को प्राप्त कर रहे हैं। भारत पर कब्ज़ा करने और उसके लोकतंत्र को नष्ट करने के बाद, उन्होंने बांग्लादेश पर कब्ज़ा कर लिया और यहाँ हम उन्हें एक इस्लामी देश में तलवारों के साथ नाचते और चरमपंथी नारे लगाते हुए देखते हैं!”
फैक्ट चेकः
DFRAC की टीम ने वायरल वीडियो के की-फ्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च किया। हमें यह वीडियो “বরিশাল ভোলার সেরা নিউজ পএিকা” नामक यूट्यूब चैनल अपलोड मिला। इस वीडियो में बंगाली भाषा में वायस ओवर और एक शख्स की बंगाली भाषा में बाइट है।
हमारी टीम ने विशेषज्ञ की मदद से बंगाली भाषा का हिन्दी में ट्रांसलेट किया। यह वीडियो बांग्लादेश के जमालपुर में देवी काली की श्मशान पूजा के दौरान का वीडियो है। यह पूजा हर साल आयोजित की जाती है, जो रात में 12 बजे से भोर के 4 बजे तक होती है। वीडियो में बाइट देने वाले शख्स ने बताया कि इस पूजा के लिए पुलिस-प्रशासन से परमिशन ली गई थी। पूजा के दौरान वहां व्यवस्था भी चाक-चौबंद थी।
निष्कर्षः
DFRAC के फैक्ट चेक से स्पष्ट है कि वायरल हो रहा वीडियो देवी काली की श्मशान में होने वाली पूजा का है, जो बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय द्वारा हर साल मनाया जाता है। इसलिए हथियारों की प्रदर्शनी का सोशल मीडिया यूजर्स का दावा भ्रामक है।