जम्मू-कश्मीर के इरफान मेहराज खुद को एक पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता रूप में उल्लेखित करते हैं। उन्होंने कई मीडिया संस्थानों के लिए लेख लिखे हैं। उनके @X बायो के अनुसार वह TCN से जुड़े रहे हैं। हालांकि इरफान को NIA ने टेरर फंडिंग से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया था।
कौन हैं इरफान मेहराज?
इरफान मेहराज के लिंक्डइन प्रोफाइल में दी गई जानकारी के अनुसार वह साल 2013 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। वह कई मीडिया संस्थानों और NGO जैसे- कश्मीर रीडर, राइजिंग कश्मीर, JKCCS, वंदे मैगजीन और TCN में काम कर चुके हैं। यहां JKCCS को जानना जरूरी है, क्योंकि JKCCS और इसके संयोजक खुर्रम परवेज से जुड़े होने पर इरफान के खिलाफ NIA ने कार्रवाई की थी।
क्या है JKCCS?
JKCCS यानी जम्मू कश्मीर कोइलेशन ऑफ सिविल सोसायटी नामक एक संस्था है। इसके संयोजक खुर्रम परवेज हैं। JKCCS पर टेरर फंडिंग के आरोप लगे थे, जिसके बाद इसके संयोजक खुर्रम परवेज को NIA द्वारा साल 2021 में गिरफ्तार किया गया था। NIA की प्रेस रिलीज के अनुसार इरफान मेहराज JKCCS में काम करते थे और उनके खुर्रम परवेज से नजदीकी संबंध थे। NIA ने यह भी बताया था कि कश्मीर घाटी की कुछ संस्थाओं का कनेक्शन लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों से भी जुड़ गया था, जिसकी भारतीय जांच एजेंसी द्वारा जांच की जा रही है।
जब इरफान मेहराज को NIA द्वारा गिरफ्तार किया गया था, उस वक्त वह TCN जुड़े थे। इरफान की गिरफ्तारी के बाद TCN ने एक बयान जारी करते हुए इरफान को एडिटोरियल कॉन्ट्रीब्यूटर बताया था और कहा था कि इरफान की कथित गतिविधि उनके TCN से जुड़े होने से पहले की हैं। हालांकि यहां एक विरोधाभास दिखता है, क्योंकि इरफान द्वारा लिंक्डइन प्रोफाइल पर दी गई जानकारी के मुताबिक वह अप्रैल 2020 में TCN से जुड़े थे, जबकि टेरर फंडिंग का मामला अक्टूबर 2020 में दर्ज किया गया था।
बहरहाल हमने इरफान मेहराज के एक्स अकाउंट पर कुछ पुराने ट्विट्स देखें, जिसमें उन्होंने कई ट्वीट्स में JKCCS और खुर्रम परवेज का जिक्र किया था। यहां कुछ ट्वीट्स का स्क्रीनशॉट दिया जा रहा है।
कश्मीर पर इरफान मेहराज के ट्वीट्सः
इरफान मेहराज ने साल 2010 के एक ट्वीट में ट्विटर पर Ritika Darira नामक यूजर को मेंशन करते हुए कश्मीर पर लिखा था- “@ritikadarira केवल तभी जब भारत और पाकिस्तान अपने आधिकारिक रुख से पीछे हटें और कश्मीरियों को अपनी किस्मत का फैसला करने का मौका दें।” (हिन्दी अनुवाद)
वहीं एक फेसबुक पोस्ट में उन्होंने एक लेख की कुछ लाइनों को शेयर किया था, जिसमें 80,000 से ज्यादा कश्मीरियों के मारे जाने और 10,000 कश्मीरियों के गायब होने का भ्रामक दावा किया गया था। हमने इस संदर्भ में गूगल पर कुछ कीवर्ड्स सर्च किया तो, हमें हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट मिली। जिसके अनुसार पिछले 27 वर्षों में 41000 लोगों की मौत हुई है। जिसमें 14,000 नागरिक, 5,000 सुरक्षाकर्मी और 22,000 उग्रवादी शामिल हैं।
Source- HT
वहीं आगे की जांच करने पर हमें PIB की एक प्रेस रिलीज मिली, जिसमें केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह का एक बयान दिया गया है। इस बयान में अमित शाह ने कहा कि “जम्मू और कश्मीर में 45 हज़ार लोगों की मृत्यु की ज़िम्मेदार धारा 370 थी, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने उखाड़ कर फेंक दिया। धारा 370 के हटने से अलगाववाद समाप्त हुआ है और आतंकवाद में बहुत कमी आई है।”
Source- PIB
निष्कर्षः
कश्मीर में पत्रकारिता की आड़ में कई संगठन एजेंडा चलाते हैं। DFRAC की टीम ने ऐसे कई पाकिस्तान से संचालित ट्विटर हैंडल्स और फेक मीडिया संस्थानों का भांडाफोड़ किया है, जो पत्रकारिता के नाम पर कश्मीर पर प्रोपेगेंडा चलाते थे। वहीं इरफान और JKCCS पर लगे टेरर फंडिंग के आरोप भी कश्मीर में पत्रकारिता पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।