सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल है। इस पोस्ट में दावा किया गया कि भारतीय सेना में 1965 तक मुस्लिम रेजिमेंट थी। लेकिन 3 प्रमुख घटनाएं हैं, जिन्होंने सेना से मुस्लिम रेजिमेंट को हटाने के लिए मजबूर किया। इस पोस्ट में दावा किया गया है कि 1965 के युद्ध में भारतीय मुस्लिम रेजिमेंट के 30,000 मुस्लिम सैनिकों ने पाकिस्तान से लड़ने से मना किया और पाकिस्तान का समर्थन करते हुए हथियारों सहित उनसे मिल गए थे। मुस्लिम सैनिकों की इस गद्दारी ने भारत को बड़ी मुसीबत में डाल दिया, क्योंकि उन्होंने उन पर भरोसा किया गया था। फिर लाल बहादुर शास्त्री ने मुस्लिम रेजिमेंट को खत्म कर दिया था।
इस दावे के साथ विनी नामक एक्स (ट्विटर) यूजर ने पोस्ट शेयर किया है।
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वहीं इससे पहले वर्ष 2020 में भी धर्मेंद्र कुमार सिंह चौहान और नीतीश चौधरी सहित कई यूजर्स ने पोस्ट शेयर किया था।
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फैक्ट चेकः
वायरल दावे की पड़ताल के लिए DFRAC की टीम ने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स सर्च किया। हमें भारतीय सेना के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन का 29 नवंबर 2017 को अंग्रेजी अखबार “टाइम्स ऑफ इंडिया” (@TOIIndiaNews) पर प्रकाशित एक लेख मिला। जिसमें बताया गया है कि भारतीय सेना में कभी भी कोई मुस्लिम रेजिमेंट नहीं थी। वहीं पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध में अब्दुल हमीद को उनकी वीरता और साहस के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
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इसके अलावा हमें डेक्कन हेराल्ड की 15 अक्टूबर 2020 को प्रकाशित एक न्यूज मिली। जिसमें भारतीय सेना के पूर्व अधिकारियों की एक चिट्ठी प्रकाशित की गई थी। इस चिट्ठी में सेना के अधिकारियों ने भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर मुस्लिम रेजिमेंट के बारे में शेयर किए जा रहे फेक न्यूज पर रोक लगाने की मांग की थी।
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निष्कर्षः
DFRAC के फैक्ट चेक से साफ है कि भारतीय सेना में कभी मुस्लिम रेजिमेंट नहीं थी और 1965 के युद्ध में परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद, वीर चक्र विजेता मेजर जकी और मेजर अब्दुल रफी खान भी शामिल थे। इसलिए सोशल मीडिया यूजर्स का दावा फेक है।