वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के भारत आने की खबरों के बीच पाकिस्तानी मीडिया, अकैडमिशियन, बुद्धिजीवी और सोशल मीडिया यूजर्स काफी सक्रिय हो गए हैं। पाकिस्तानी मीडिया में खबरें चल रही हैं कि FATF की विजिट से भारत भयंकर मुश्किल में घिरने वाला है और FATF जल्द ही भारत को ब्लैक लिस्ट में डाल सकता है। हम अपनी इस रिपोर्ट में पाकिस्तानी मीडिया और सोशल मीडिया में FATF और भारत को लेकर प्रायोजित अभियान का एनालिसिस करने जा रहे हैं।
इस रिपोर्ट के प्रमुख बिन्दू निम्नलिखित हैं-
- क्या है FATF की लिस्ट?
- क़ायद-ए-आज़म यूनिवर्सिटी इस्लामाबाद में FATF संबंधित ईवेंट और भारत विरोधी नरेटिव
- FATF के बहाने पाकिस्तानी मीडिया का भ्रामक न्यूज और कॉपी पेस्ट पैटर्न
- पाकिस्तानी थिंक टैक के नरेटिव पर ट्विटर स्टॉर्म
- सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी यूजर्स का प्रोपेगेंडा और प्रभाव
- क्या है FATF की लिस्ट?–
FATF ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट होती है। ग्रे लिस्ट का अर्थ है कि FATF ने किसी देश को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबले करने की प्रगति की जांच करने के लिए निगरानी में रखा है। FATF ब्लैकलिस्ट उन देशों की पहचान करता है, जो मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद वित्तपोषण और प्रसार का मुकाबला करने के लिए गंभीर रणनीतिक कमियों वाले देश हैं। FATF उच्च जोखिम के रूप में पहचाने गए सभी देशों को बुलाता है और उनको उचित देखभाल के लिए प्रोत्साहित करता है। FATF की ग्रे और ब्लैक लिस्ट में होने की वजह से देशों को कई तरह के नुकसान का भी सामना करना पड़ता है। इस लिस्ट में होने पर देशों को विश्व बैंक, IMF और एशियाई विकास बैंक जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से आर्थिक मदद नहीं मिलती है।
- क़ायद-ए-आज़म यूनिवर्सिटी में FATF संबंधित ईवेंट और भारत विरोधी नरेटिवः
इस्लामाबाद की क़ायद-ए-आज़म यूनिवर्सिटी में 1 नवंबर को “अनवेलिंग द फ्यूचर-FATF इम्पैक्ट ऑन साउथ एशिया 2023” विषय पर एक सेमीनार का आयोजन किया गया। इस सेमीनार में स्पीकर के तौर पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार डॉ. वक़ार मसूद और प्रधानमंत्री के राजनीतिक सलाहकार डॉ. बाक़िर मलिक शामिल हुए। इनके अलावा पाकिस्तानी की राजनैतिक पार्टी पीएमएल-क्यू के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष कामरान सईद उस्मानी, पाकिस्तान की फेडरल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी के पूर्व चीफ फॉरेंसिक ऑफिसर डॉ. फतीह उद दीन महमूद और क़ायद-ए-आज़म यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ज़फ़र जसपाल शामिल हुए।
इस सेमीनार में कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के आरोप भारत पर लगाए गए। वकार मसूद ने आरोप लगाया कि भारत बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं, आपराधिक गतिविधियों और सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने में लिप्त है। इसके अलावा बाकिर मलिक ने भारत पर संदिग्ध वित्तीय गतिविधियों, नशीली दवाओं के व्यापार और अवैध हथियारों के प्रसार के आरोप लगाए। कामरान उस्मानी ने एफएटीएफ से भारत पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।
इन सबके बीच सवाल उठता है कि आखिर FATF भारत क्यों आ रहा है। तो जब हमने इसकी जांच की तो कुछ और ही बात सामने आई।
भारत क्यों आ रहा है FATF?
FATF की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक भारत 2010 से FATF का सदस्य है। कोविड-19 महामारी की वजह से भारत के मूल्यांकन को नवंबर 2023 तक के लिए टाल दिया गया था। वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक- “आपसी मूल्यांकन के चौथे दौर में अभी तक भारत का मूल्यांकन नहीं किया गया है। COVID-19 महामारी और FATF की मूल्यांकन प्रक्रिया में रुकावट के कारण, भारत का पारस्परिक मूल्यांकन 2023 तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।” इस मूल्यांकन के बाद संभावित पूर्ण चर्चा जून 2024 में होगी।
- FATF के बहाने पाकिस्तानी मीडिया का भ्रामक न्यूज और कॉपी पेस्ट पैटर्नः
FATF के बहाने पाकिस्तानी मीडिया और सोशल मीडिया यूजर्स ने भारत के खिलाफ जमकर प्रोपेगेंडा किया है। कई खबरें ऐसी लिखी गईं कि भारत पर FATF प्रतिबंध लगाने के बारे में विचार कर रहा है। हालांकि अभी तक यही नहीं साफ हो पाया है कि FATF के सदस्य भारत में क्या कुछ जांच करने वाले हैं या कर रहे हैं और उनकी जांच की स्थिति क्या है? पाकिस्तानी मीडिया संस्थान ‘समा टीवी’, ‘हम न्यूज डॉट पीके’ और ‘पाकिस्तान टुडे’ ने खबर चलाई कि FATF को भारत में आतंकवाद को फंडिंग करने और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने की जानकारी मिली है, जिसके बाद भारत जल्द ही FATF की ब्लैक लिस्ट में शामिल हो सकता है।
- पाकिस्तानी थिंक टैक के नरेटिव पर ट्विटर स्टॉर्मः
FATF पर कई पाकिस्तानी थिंक टैंक ने नरेटिव बनाने की कोशिश की। उन्होंने FATF और भारत के मूल्यांकन को काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। एक पाकिस्तानी थिंक टैंक “सेंटर फॉर एयरोस्पेस एंड सिक्योरिटी स्टडीज” है। इसके बायो के मुताबिक यह थिंक टैंक एयरोस्पेस और सुरक्षा मुद्दों पर विचार और विश्लेषण प्रदान करता है। इसके फाउंडिंग डायरेक्टर डॉ. उस्मान डब्ल्यू. कोहन (@EconomistChohan) हैं। उस्मान ने एक दूसरी संस्था “इस्लामाबाद पोलिसी रिसर्च इंस्टीटयूट” से जुड़े डॉ. सलमान अनिल के साथ FATF और भारत पर चर्चा की है।
वहीं “सेंटर फॉर एयरोस्पेस एंड सिक्योरिटी स्टडीज” के एक्स हैंडल्स से कई ट्वीट किए गए हैं। जिसमें FATF से मांग की गई है कि FATF को भारत की एएमएल/सीएफटी की सख्ती से जांच करनी चाहिए। ये अलग-अलग मुद्दे नहीं हैं बल्कि खराब व्यवहार के लक्षण हैं, जो क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा को खतरे में डालते हैं।
इसके अलावा उस्मान और सलमान के बीच हुई चर्चा का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल है। वीडियो के साथ एक हैशटैग #FATFBias भी चलाया गया है। इस हैशटैग पर बड़ी संख्या में ट्वीट किए गए हैं। यहां मजेदार बात यह है कि इस हैशटैग से ट्वीट करने के लिए यूजर्स ने एक ग्राफिकल कंटेंट को एक जैसे कैप्शन के साथ पोस्ट किया है। कुछ यूजर्स तो इंटरव्यू के 1 मिनट के वीडियो को खूब शेयर कर रहे हैं। इनको देखने बाद ऐसा प्रतीत होता है कि यहां एक नेटवर्क काम कर रहा है, जिसका काम एक्स पर FATF वाले प्रोपेगेंडा वीडियो और ग्राफिकल कंटेंट को हैशटैग #FATFBias के साथ बड़ी संख्या में शेयर करना है।
यहां दिया जा रहा ग्राफ़िक उन अकाउंट्स को दिखाता है, जिन्होंने ज़्यादातर #FATFBias के हैशटैग पर ट्वीट किए थे। इसमें शामिल कुछ अकाउंट्स में @Slay_With_Kiran, @tahirbaloch110, @Aimilicious_, @ArbishSidiqui शामिल हैं, जो कि हैशटैग पर कई बार ट्वीट कर चुके हैं।
हमारी जांच में सामने आया कि हैशटैग #FATFBias के साथ सबसे पहला ट्वीट मारिया खान (@Mawriakhan) नामक अकाउंट से किया गया था। जिसके बाद कई यूजर्स ने इस हैशटैग के साथ बड़े पैमाने पर पोस्ट किया। हमने मारिया खान के अकाउंट की जांच की। हमारी जांच में सामने आया कि मारिया खान के अकाउंट की यूजरआईडी और यूजरनेम चेंज किया गया है। इससे पहले इस अकाउंट का नाम आबिया फातिमा और यूजर आईडी @Apki_zojaa था, जिसे नीचे दिए गए ग्राफिक में देखा जा सकता है।
- सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी यूजर्स का प्रोपेगेंडाः
इसके अलावा हमारी जांच में सामने आया कि 8 पाकिस्तानी सोशल मीडिया यूजर्स बड़े पैमाने पर पोस्ट शेयर कर रहे थे। इनमें से कई पत्रकार हैं और इनके ट्विटर पर बड़ी संख्या में फॉलोअर्स भी हैं। इन यूजर्स में अहमद खान ओरकजई, मुस्तन्सर, नाहिदा राजपूत, फिज्जा उरूज, असिम खान, नैना, गुमनाम और बकी बकोड़ी सहित कई यूजर्स हैं।
सोशल मीडिया पर FATF के भारत विजिट पर इन 8 पाकिस्तानी यूजर्स ने जमकर पोस्ट शेयर किए। इन सभी पोस्ट पर एक ही ग्राफिकल कंटेंट था और पोस्ट का कंटेंट भी कॉपी-पेस्ट किया गया था। जिसे यहां दिए कोलाज में आप देख सकते हैं।
हमारी जांच में इन यूजर्स द्वारा एक थ्रेड के कॉपी-पेस्ट किए जाने का पैटर्न भी सामने आया है। 5 थ्रेड वाले इस पोस्ट में एक जैसे ग्राफिक्स, पोस्टर्स और कंटेंट शेयर किए गए हैं। इसे देखने का बाद ऐसा प्रतीत होता है कि इन यूजर्स को ये थ्रेड मुहैया कराए गए थे, जिससे बाद इन्होंने सिर्फ कॉपी-पेस्ट किया है। नीचे दिए कोलाज में आप थ्रेड को देख सकते हैं।
नीचे दिया गया ग्राफिक इन 8 ट्विटर हैंडल्स के फॉलोवर्स की संख्या और FATF तथा भारत पर किए गए ट्वीट्स के व्यूज को दर्शाता है। इन यूजर्स के फॉलोवर्स की संख्या को जोड़ दें तो यह 1 लाख तक पहुंचती है और व्यूज की संख्या 3.65 लाख है।
हमारी टीम ने जब इन 8 यूजर्स की गहनता से जांच की तो पाया ये यूजर्स लगातार भारत विरोधी अभियानों और पाकिस्तान के समर्थ में ट्वीट करते रहते हैं। इनके द्वारा इससे पहले चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर पर न्यूज शेयर की गई थी। यहां भी पोस्ट में कॉपी-पेस्ट पैटर्न देखा गया था।
इन 8 यूजर्स के अलावा भी कई ऐसे यूजर्स हैं, जिन्होंने FATF को लेकर भारत के खिलाफ जमकर झूठ फैलाया था। इन पोस्टों में भी कॉमन बात यह है कि इनके ट्वीट्स भी कॉपी-पेस्ट पैटर्न पर थे, जो यह प्रदर्शित करते हैं कि इन्हें ट्विट्स उपलब्ध करवाए गए थे। इनके ट्वीट्स का कोलाज यहां दिया जा रहा है।
गूगल पर FATF India का सर्चः
जब हमने गूगल पर की-वर्ड FATF India सर्च करने के ट्रेंड की जांच की, तो हमारी जांच में सामने आया कि इस की-वर्ड से सबसे ज्यादा सर्च पाकिस्तान में किए गए थे। इसके भारत, यूएई, सउदी अरब और कनाडा का नंबर आता है।
जब हमने गूगल पर की-वर्ड FATF India सर्च करने के ट्रेंड की जांच की, तो हमारी जांच में सामने आया कि इस की-वर्ड से सबसे ज्यादा सर्च पाकिस्तान में किए गए थे। इसके भारत, यूएई, सउदी अरब और कनाडा का नंबर आता है।
भारत पर प्रोपेगेंडा के लिए फैलाया भ्रामक वीडियो!
FATF और भारत पर प्रोपेगेंडा के लिए कई पाकिस्तानी वेरीफाइड हैंडल्स और पत्रकारों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 2 वीडियो शेयर किए थे। पहला वीडियो 6 नवंबर को रात 09:02 बजे शाह (@Shahzaibb5_) नामक यूजर ने अपलोड किया गया था, जिसे बाद में ज्यादा फॉलोवर्स वाले यूजर्स और पत्रकारों ने शेयर किया था।
बाद में दूसरा वीडियो भी शेयर किया गया। इस वीडियो को सबसे पहले ट्विटर पर गुलाम अब्बास शाह ने शेयर किया था, जो @BOLNetwork , @TV9Bharatvarsh पूर्व में @aaj_urdu @ExpressNewsPK @indiatvnews , @newsonepk से जुड़े एक पत्रकार हैं।
हमने इन हैंडलों द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो पर दर्शकों की संख्या का विश्लेषण किया और देखा कि कुल दर्शकों की संख्या एक लाख से ज्यादा थी।
यहां दिया जा रहा वर्डक्लाउड उन शब्दों को प्रदर्शित करता है, जिनका उपयोग हैशटैग #FATFBias पर प्रमुखता से किया गया था।
निष्कर्षः
FATF के भारत के मूल्यांकन को लेकर अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है। FATF की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी कहती है कि कोविड-19 की वजह से भारत का मूल्यांकन नवंबर 2023 के लिए के लिए टाल दिया गया था और इस मूल्यांकन के बाद संभावित पूर्ण चर्चा जून 2024 में होगी। लेकिन इसके बहाने पाकिस्तानी मीडिया और सोशल मीडिया पर सक्रिय रुप से प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है। हमारी जांच में पाया गया है कि FATF और भारत को लेकर लगभग सभी पोस्ट और कई मीडिया रिपोर्ट्स में कॉपी-पेस्ट पैटर्न देखा गया है। एक तरफ जहां हेडलाइंस और न्यूज कंटेंट एक जैसे थे, तो वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर फोटो और वीडियो के अलावा थ्रेड में शेयर किए ग्राफिक्स और पोस्टर्स भी कॉपी पेस्ट किए गए थे। इन चीजों को देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि मीडिया में चलाई गईं खबरें और सोशल मीडिया अभियान प्रायोजित था।