मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। आधुनिकता के इस दौर में सूचना का प्रवाह तेजी से फैलता है और लोगों पर बड़े पैमाने पर असर रखता है। इंटरनेट और डिजिटल माध्यमों के विकास के बाद से सूचना का क्षेत्र और ज्यादा व्यापक और प्रभावशील हो गया है। यह लोगों को सूचना देने के साथ-साथ उनके विचारों को भी प्रभावित करने की ताकत रखता है। हालांकि सोशल मीडिया के आगमन से फेक और भ्रामक न्यूज बड़ी चिंता का विषय बन गई।
इस विशेष रिपोर्ट में हम एक ऐसे फेक मीडिया संगठन का विश्लेषण लाए हैं, जो एक ऐसी उसकी भ्रामक और फेक न्यूज को उजागर करती है। यह फेक मीडिया आउटलेट बड़ी चालाकी से डिजिटल युग की कमजोरियों का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है। अपने द्वेषपूर्ण उद्देश्य के लिए लोगों के भरोसे को जीतकर, लोगों के दिमाग में घुसपैठ करके वह उनमें भ्रामक, फेक और विद्वेषपूर्ण कंटेंट को दिखा रहा है।
DFRAC की इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में हम ‘कोलकाता एक्सप्रेस’ नामक इस फेक मीडिया संस्थान की जांच-पड़ताल करेंगे।
यह व्यापक रिपोर्ट निम्नलिखित विषयों की गहनता से जांच की गई है।
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- यह रिपोर्ट खुलासा करती है कि कैसे एक गैर-प्रामाणिक वेबसाइट में केवल दो फेसबुक पेज हैं और कोई अन्य डोमेन नहीं है।
- यह रिपोर्ट अलग-अलग संदर्भों में फेक पहचान बनाने की अवधारणा पर प्रकाश डालती है।
- यह रिपोर्ट डोमेन रजिस्ट्रेशन की जटिल दुनिया पर ध्यान केंद्रित करते हुए, संदिग्ध विशेषताओं से जुड़े एक विशिष्ट डोमेन के मामले की जांच करता है।
- यह रिपोर्ट दुर्भावनापूर्ण साइट द्वारा मूल साइट से पोस्ट की गई सामग्री का खुलासा करेगी।
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कोलकाता एक्सप्रेस को देखने पर पहली नज़र में, किसी भी आम आदमी को यह लोकप्रिय भारतीय अखबार- ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ का हिस्सा लगेगा।
हमारी पड़ताल में सामने आया कि कोलकाता एक्सप्रेस नामक वेबसाइट को 18 जुलाई, 2021 को संयुक्त राज्य अमेरिका से मीडिया हाउस के नाम पर नहीं बल्कि ‘रॉबर्ट’ के नाम से बनाई गई है।
व्यवस्थित रूप से छिटपुट?
मीडिया आउटलेट के बारे में जानकारी इकट्ठा करने पर हमें सोशल मीडिया पर एक असामान्य बात सामने आई कि इसके केवल दो फेसबुक पेज ही हैं। पहला फेसबुक पेज 5 जून, 2020 को शालीन ज़या के नाम से बनाया गया था, जिसने अपने बायो में बताया है कि वह केरल की एक डांसर और एक्ट्रेस है।
(शालिन जया का सोशल मीडिया)
यह जानना भी दिलचस्प है कि आईडी का पता भारत में इंडियन एक्सप्रेस के हेड ऑफिस {यानी एक्सप्रेस बिल्डिंग, ब्लॉक बी1/बी, नोएडा, भारत, 201301} के रूप में ही दिया गया, साथ ही एक भारतीय और अमेरिकी नंबर भी दिया गया है। पेज के 19 हजार फॉलोअर्स हैं। पेज आज भी एक्टिव है और अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए पूरी मेहनत के साथ लगा हुआ है।
टाइमलाइन:
पेज की टाइमलाइन की इमेज नीचे दी गई है।
दूसरा फेसबुक पेज 9 अगस्त 2022 को बनाया गया था, जिसमें आखिरी पोस्ट 27 फरवरी 2023 की है।
(‘द कोलकाता एक्सप्रेस‘ का फेसबुक पेज)
इस फेक मीडिया से जुड़े लोगों ने इसके लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं, जिससे इसे वास्तविकता की तरह दिखाया जा सके। इस अकाउंट ने अपने लिए काम करने वाले पत्रकारों को एक साथ लाने में काम कर रहा है। जमशेद हुसैन, एमडी जियाउर रहमान, मोहम्मद राजू मिया और अनवर हुसैन इस मीडिया आउटलेट के लिए काम करने वाले कुछ पत्रकारों/संवाददाताओं में से हैं। इसके पीछे उद्देश्य था अधिक से अधिक प्रामाणिक लोगों को जोड़ना ताकि यह पेज ओरिजिनल और वास्तविक लगे।
अन्य पत्रकार जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर के-एक्सप्रेस पर एक्टिव होकर शेयर कर रहे हैं, उनमे ज़ुल्कारनैन सेर खान और रेपोन अंसारी हैं, जो एक अन्य मीडिया संस्थान कलेर कंथो में काम करते है। इसके अलावा एक्सप्रेस न्यूज इंडिया के अबू रेहान, नॉयन ग्रुप प्रा. लिमिटेड के संस्थापक नॉयन बांग्लादेशी, ढाका से ऑनलाइन समाचार पोर्टल Proyas.tv और ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट जाहिद उज्जमां भी शामिल हैं।
हमने कोलकाता एक्सप्रेस के लिए काम करने का दावा करने वाले पत्रकारों में से एक के पहचान पत्र का भी पता लगाया और एक ऑनलाइन बार-कोड रीडर से बार-कोड को स्कैन किया, लेकिन पहचान पत्र पर कोड डालने से हमें कोई खास जानकारी हासिल नहीं हुई।
(पत्रकार के पहचान पत्र से लिया गया बार-कोड फेक निकला)
इस फेक मीडिया संगठन का पत्रकारों के एक ग्रुप को जोड़ना उनके लिए पर्याप्त नहीं था। उन्होंने आगे अपने स्व-घोषित मीडिया संगठन में एक जॉब ओपनिंग पोस्ट की। उन्होंने 8 अगस्त, 2022 को एक नौकरी की रिक्ति पोस्ट की, जिसे 143 लोगों ने पोस्ट पर टिप्पणी की।
(जॉब ओपनिंग मीडिया आउटलेट द्वारा की गई पोस्ट)
हमने पाया कि बांग्लादेश के कई लोगों ने नौकरी पाने के लिए साइन अप किया था। आउटलेट ने भी टीम का स्वागत करने पर प्रसन्नता व्यक्त की। नियुक्ति पत्र भी दिए गए और टीमें बनाई गईं।
(सोशल मीडिया पोस्ट में विभिन्न व्याकरण संबंधी त्रुटियां शामिल थीं।)
इस अकाउंट से 1 जून, 2023 को नई दिल्ली में होने वाले उनके कोरेस्पोंडेंट कांफ्रेंस के बारे में पोस्ट की गई। यह घोषणा एक अस्वीकरण के साथ आई, जिसमें कहा गया था, “कांफ्रेंस को रद्द करने या स्थगित करने का अधिकार या उम्मीदवारों की भागीदारी अंततः कोलकाता एक्सप्रेस के पास है।”
लेकिन हमारी टीम को उनके दस्तावेज़ में कई गलतियां मिली। ये स्पष्ट रूप से दिखाई देता है कि जल्दबाजी में वे वर्तनी (Grammer) को सुधारना और टेक्स्ट के लिए उसी फ़ॉन्ट का उपयोग करना भूल गए।
(आगामी कांफ्रेंस की सोशल मीडिया पोस्ट)
केवल इतना ही नहीं, बल्कि प्रामाणिकता प्रदान करने के प्रयास में, कंपनी ने ढाका से दिल्ली के लिए हवाई मार्ग तैयार किया गया।
(हवाई टिकट बुकिंग के नियम और शर्तें)
कांफ्रेंस से जुड़ी संपर्क जानकारी में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के सामान्य नंबर दिये हुए थे, जो उनके फेसबुक पेज पर भी थे। जांच के रूप में हमने कांफ्रेंस के लिए रजिस्ट्रेशन करने की कोशिश की, लेकिन आज तक कोई जवाब नहीं मिला।
वहीं हवाई टिकट बुकिंग के संबंध में दिए गए हेल्पलाइन नंबर की जांच की तो पाया कि वह भी फर्जी थे।
(कांफ्रेंस से संबंधित संपर्क जानकारी)
संदिग्ध डोमेन
वेबपेज के रजिस्ट्रेशन पते की गहन जांच करने के बाद खुलासा हुआ कि संदिग्ध डोमेन का रजिस्ट्रेशन भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक शहर नोएडा में किया गया। रजिस्ट्रेशन से जुड़े व्यक्ति की पहचान लैला अहमद रूना के रूप में हुई है।
गहराई से जांच किये जाने पर, हमने रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के दौरान प्रदान किए गए फोन नंबर की सावधानीपूर्वक जांच की, जिसने बाद में एक महत्वपूर्ण खोज का खुलासा किया। आश्चर्यजनक रूप से, उक्त फोन नंबर से जुड़े स्थान ने हमें दक्षिण एशियाई देश बांग्लादेश तक पहुंचाया। हालांकि इस पेचीदा रहस्योद्घाटन ने पेचीदा सवाल भी पैदा किया। जो पंजीकृत व्यक्ति लैला अहमद रूना के नोएडा उत्तर प्रदेश और बांग्लादेश के साथ संबंध की जटिल पहेली थी।
हमने आगे जांच की तो पाया कि तीन डोमेन कोलकाता एक्सप्रेस के सर्वर पर होस्ट किए गए हैं। अन्य दो हैं-cameleasy.com और somoyjournal.com। Cameleasy.com एक ई-कॉमर्स साइट है और somoyjournal.com बांग्लादेश का एक ऑनलाइन समाचार पत्र है।
यह ऑनलाइन मीडिया पोर्टल 8 अप्रैल 2019 को अब्दुल्ला अल महमूद के नाम से बनाया गया है।
सूचना युग या सूचना प्रबंधन युग?
पूरी तरह से खुद को प्रामाणिक साबित करने की कोशिशों के बावजूद जब हमने उनके मूल लेखों का पता लगाया तो उनकी ठगी पूरी तरह से सामने आ गई। लगभग सभी बांग्ला समाचार लेख जर्मनी की डीडब्ल्यू न्यूज, मीडिया और समाचार एजेंसी से हूबहू कॉपी किए गए हैं।
निष्कर्ष:
ये अकाउंट एक मीडिया आउटलेट की स्थापना के साथ शुरू हुआ, जिसने खुद को समाचार और सूचना के विश्वसनीय स्रोत के रूप में प्रस्तुत किया। शुरू में इसकी उपस्थिति, पेशेवर डिजाइन और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के दावों के लिए तैयार किया गया था। हालाँकि, जैसे-जैसे समय बीतता गया, इस मीडिया आउटलेट की विश्वसनीयता भी खत्म होने लगी।
पर्दे के पीछे, फेक मीडिया आउटलेट चलाने वाले व्यक्तियों के गुप्त उद्देश्य थे। उनका प्राथमिक लक्ष्य जनता को सूचित या शिक्षित करना नहीं था, बल्कि व्यक्तिगत लाभ के लिए कहानियों में हेरफेर करना और उन्हे नियंत्रित करना था। उन्होंने अपने स्वयं के एजेंडे के अनुरूप जनमत को आकार देने के इरादे से कहानियों को गढ़ने, तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने और झूठी सूचनाओं का प्रसार करने का एक सुविचारित अभियान शुरू किया।