प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर सोशल मीडिया पर एक खबर वायरल हो रही है। जिसके कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नोबेल शांति पुरस्कार के सबसे बड़े दावेदार है। क्योंकि वह युद्ध रोकने वाले भरोसेमंद नेता हैं और दुनिया में शांति स्थापित कर सकते हैं। नोबेल पैनल के सदस्य एस्ले तोजे के अनुसार, पीएम मोदी ने यूक्रेन संकट में रूस को परमाणु हथियारों का उपयोग करने के खिलाफ चेतावनी दी है।
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शिवम त्यागी नामक एक वेरिफाइड यूजर ने अपने ट्वीट में लिखा कि- प्रधान मंत्री मोदी 2024 के चुनाव से पहले NOBEL PEACE PRICE के सबसे बड़े दावेदार हैं। वह दुनिया में शांति का सबसे विश्वसनीय चेहरा होने के साथ युद्ध रोकने में सबसे भरोसेमंद नेता भी हैं। केवल मोदी ही दुनिया में शांति स्थापित कर सकते हैं। अस्ले तोजे, नोबेल पैनल के सदस्य, ने कहा कि प्रधान मंत्री मोदी ने यूक्रेन संकट में एक सकारात्मक नोट पर रूस को परमाणु हथियारों का उपयोग करने के खिलाफ चेतावनी दी है। दुनिया के किसी भी जिम्मेदार नेता को यह संदेश देना चाहिए और जब यह भारत जैसे शक्तिशाली देश से आता है तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। मोदी अब कुछ वर्षों से प्रधान मंत्री रहे हैं और इस दुनिया के सबसे बड़े राजनेताओं में से एक हैं। यह देखना दिलचस्प है कि हिंदुस्तान रिकॉर्ड समय में एक विकासशील देश से इस दुनिया की प्राथमिक अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने का समय आ गया है। भारत को गंभीरता से लिया जाता है और जब भारत बोलता है, तो यह एक दोस्ताना आवाज़ और बिना किसी खतरे के होता है।
फैक्ट चेक:
वायरल दावे की जांच के लिए DFRAC टीम ने सबसे पहले पीएम मोदी के नोबेल शांति पुरस्कार की दावेदारी से जुड़ी खबर को सर्च किया। इस दौरान हमें हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट मिली। जिसमे बताया गया कि न्यूज़ एजेंसी ANI को दिए एक इंटरव्यू में एस्ले तोजे ने शांति पुरस्कार के लिए पीएम मोदी को ‘सबसे बड़े दावेदार’ के रूप में फैल रही खबर को फेक बताया।
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए, तोजे ने कहा कि वह भारत में सम्मानित समिति के उप नेता के रूप में नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय शांति और समझ के निदेशक के रूप में और इंडिया सेंटर फाउंडेशन (आईसीएफ) के मित्र के रूप में आए। उन्होंने जोर देकर कहा कि “फेक समाचार ट्वीट कियां गया था, हमें इसे फेक समाचार ही मानना चाहिए।”
इसके अलावा हमें एबीपी न्यूज़ को दिया हुआ उनका एक इंटरव्यू मिला। जिसमें वह कह रहे है कि वह किसी भी नामांकन का खुलासा नहीं कर सकते क्योंकि वह गोपनीयता से बंधे हुए हैं। हालाँकि, उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि समिति को अधिक भारतीय नामांकन मिल रहे हैं।
इसके अलावा हमने नोबेल पुरस्कार की आधिकारिक वेबसाइट को भी देखा। जहां साफ तौर पर बताया गया कि 50 साल बीत जाने तक न तो नामांकित व्यक्तियों और न ही नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित व्यक्तियों के नामों का खुलासा किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
DFRAC के फैक्ट चेक से स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2024 के चुनाव से पहले नोबेल शांति पुरस्कार के सबसे बड़े दावेदार होने का दावा फेक है।