पैगंबर मुहम्मद (सल्ल) के अपमान के कृत्य को इस्लाम धर्म में सबसे घृणित कृत्य माना गया है। मुस्लिम देशों में इस कृत्य को ईश निंदा की उपमा दी गई। कई मुस्लिम देशों में इस कृत्य के लिए उम्र कैद से लेकर मौत की सज़ा तक का भी प्रावधान किया गया।
पैगंबर मुहम्मद (सल्ल) के खिलाफ की जाने वाली अनर्गल टिप्पणी विश्व की 1.8 बिलियन मुस्लिम आबादी को प्रभावित करती है। जो विश्व की कुल आबादी का चौथाई हिस्सा है। यानि पैगंबर मुहम्मद (सल्ल) के अपमान के विरोध में विश्व का हर चौथा व्यक्ति सीधे तौर पर प्रभावित होता है और अपनी प्रतिक्रिया देता है।
अंतराष्ट्रीय जगत में किसी मुद्दे पर इतने बड़े पैमाने पर अमूमन प्रतिक्रिया नहीं दिखाई देती। यही कारण है कि पैगंबर मुहम्मद (सल्ल) के अपमान का मुद्दा कई बार भू राजनीति (geopolitics) समीकरणों को पूरी तरह से बदल कर रख देता है।
हाल ही में इस सबंध में DFRAC ने ‘पैगंबर मुहम्मद की आड़ में भारत विरोधी एजेंडे का अंतर्राष्ट्रीय अभियान’ का खुलासा किया था। ये खुलासा अंतराष्ट्रीय संस्था الھیئة العالمیة لنصرة نبي الإسلام यानि इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन टु सपोर्ट द प्रॉफ़ेट ऑफ इस्लाम के बारे में था। जो पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) के सम्मान को लेकर एक वैश्विक अभियान चलाये हुए है।
इस रिपोर्ट में हम पहले ही बता चुके है कि कैसे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के द्वारा पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) पर दिये गए विवादित बयान के बाद भारत को निशाना बनाया गया था। अरब और खाड़ी देशों में भारत के बहिष्कार की मुहिम छेड़ दी गई थी।
रिपोर्ट के दूसरे भाग में हम इस वैश्विक अभियान के उन तीन प्रमुख लोगों के बारे में गहन पड़ताल कर रहे हैं जो पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) के सम्मान की आड़ में भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचा रहे है। इन सभी का सबंध मुस्लिम ब्रदरहुड से है। मुस्लिम ब्रदरहुड का उद्देश्य एक वैश्विक खिलाफत को लागू करना है। 1928 में स्कूली शिक्षक हसन अल-बन्ना द्वारा मिस्र में मुस्लिम ब्रदरहुड की स्थापना की गई थी।
मुस्लिम ब्रदरहुड की दुनिया भर में कई शाखाएँ हैं। जो कई उपनामों से काम करती हैं और अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए हिंसक तरीकों का उपयोग करती हैं। मुस्लिम ब्रदरहुड को अल-कायदा और आईएसआईएस जैसे आधुनिक आतंकी संगठनों का वैचारिक जनक माना जाता है। बहरीन, मिस्र, रूस, सऊदी अरब, सीरिया, और संयुक्त अरब अमीरात की सरकारों ने मुस्लिम ब्रदरहुड को एक आतंकवादी संगठन करार देते हुए प्रतिबंधित किया हुआ है।
1। डॉ अली अल-क़रादागी
शेख अली अल-क़रादागी कतर के नागरिक है। वह दोहा स्थित इंटरनेशनल यूनियन ऑफ़ मुस्लिम स्कॉलर्स (IUMS) के महासचिव है। वे मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़े है। अल-क़रादागी पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) के सम्मान की आड़ में भारत विरोधी अभियान का एक प्रमुख हिस्सा है। वह सिर्फ भारत के खिलाफ ही नहीं बल्कि हिंदुओं के खिलाफ भी नफरत फैलाते हुए पाये गए।
2। डॉ शेख मोहम्मद अल-सगीर
डॉ शेख मोहम्मद अल-सगीर ने मुस्लिम ब्रदरहुड समर्थक मुहम्मद मुर्सी की सरकार में धार्मिक बंदोबस्ती मंत्री के सलाहकार के रूप कार्य किया है। अल-सगीर का मुस्लिम ब्रदरहुड के हिंसक तत्वों से संबंध रहा हैं। उन्होने आईएसआईएस और अलकायदा के प्रमुख आतंकी अब्देल रहमान का भी खुलेआम समर्थन किया था। जिस पर 1993 में पहले वर्ल्ड ट्रेड सेंटर बम विस्फोट की साजिश में मदद करने का आरोप था । जिसमें छह लोग मारे गए थे और 1,042 घायल हुए थे। अल-सगीर को अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में अब्देल रहमान को “मुजाहिद” या पवित्र योद्धा कहते हुए देखा-सुना जा सकता है । उन्होंने कहा कि मुसलमानों ने अपने सबसे प्रमुख विद्वानों में से एक को खो दिया।
अल-सगीर भारत विरोधी अभियान का एक प्रमुख हिस्सा है। उन्होने न केवल भारत बल्कि हिंदुओं के भी बहिष्कार का अभियान चलाया हुआ है। वे मुस्लिम देशों के साथ भारत के सबंधों के भी विरोध में है।
डॉ अल-सगीर ने न केवल भारत बल्कि फ्रांस विरोधी अभियान चलाया। उन्होने ट्विटर पर भारत विरोधी और फ्रेंच विरोधी कई हैशटैग पर ट्वीट किये। उनमें से कुछ में भारतीय राजदूतों को निष्कासित करना, फ्रांसीसी उत्पादों का बहिष्कार करना शामिल है। जिसे नीचे ग्राफ में देखा जा सकता है।
डॉ अल-सगीर ने भारत विरोध में सबसे ज्यादा ट्वीट हिन्दू मजदूरों का निष्कासन (Expulsion_of_Hindu_labour) पर सबसे अधिक ट्वीट किये। ईस हैशटैग पर डॉ अल-सगीर ने द्वारा कुल 190 ट्वीट किए गए।
डॉ अल-सगीर द्वारा किए गए कुल ट्वीट्स का 12.3% और 7.14% क्रमशः फ्रांस और भारत पर हैं। अकाउंट से यूसुफ अल करदावी (जिनकी मुस्लिम ब्रदरहुड के बौद्धिक संबंधों में प्रमुख भूमिका है) के बारे में भी बात की गई है और उन पर हैशटैग भी चलाया गया है।
3। शेख अल-दादो
मॉरिटानिया में इस्लामी आंदोलन मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड के विचार से काफी प्रभावित रहा है। मॉरिटानिया की राजनीतिक और धार्मिक हलकों में मुस्लिम ब्रदरहुड का सीधा दखल है। शेख मुहम्मद अल-हसन अल-दादो अल-शंकिती मॉरिटानियन के प्रमुख इस्लामिक विद्वान है। वे मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़े है। मुस्लिम ब्रदरहुड की वेबसाइट पर उनकी कई बयान प्रकाशित है।
वे मुस्लिम विद्वानों के अंतर्राष्ट्रीय संघ के सदस्य भी हैं। ट्विटर पर भारत के खिलाफ जारी घृणास्पद अभियान में वे काफी सक्रिय है। उनके द्वारा मॉरिटानियन सहित दुनिया भर के मुसलमानों से भारत के बहिष्कार की अपील की जा चुकी है।
वे खाड़ी देशों से भारतीय हिंदुओं को निकालने का भी आह्वान कर चुके है। उन्होने एक टेलीविज़न कार्यक्रम में हिंदुओं के खिलाफ भी आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
नीचे दिया गया ग्राफ शेख दादो के ट्वीट्स की टाइमलाइन बताती है कि अकाउंट मार्च 2012 में बनाया गया था। शुरुआत में इस अकाउंट से कई बार ट्वीट किए गए हैं। सबसे ज्यादा ट्वीट 30 मई, 2017 को किए गए थे, जिसमें एक दिन में लगभग 50 ट्वीट किए गए थे। बाद में टाइमलाइन काफी स्थिर हो गई।
इसके अलावा शेख दादो ने वर्ष 2018 में सबसे अधिक 21.7% ट्वीट किए हैं, इसके बाद उन्होने वर्ष 2020 और 2019 में सबसे ज्यादा ट्वीट किये। नीचे उनके ट्वीट का ग्राफ देखा जा सकता है।
निष्कर्ष:
दुनिया भर के मुस्लिमों के लिए पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) का सम्मान एक भावनात्मक मुद्दा रहा है। मुस्लिम ब्रदरहुड पैगंबर के सम्मान की आढ़ में अपना अजेंडा चला रहा है। मुस्लिम ब्रदरहुड के निशाने पर भारत है। अरब और खाड़ी देशों में कार्यरत भारतीय हिंदुओं के खिलाफ जारी दुष्प्रचार के अभियान के पीछे मुस्लिम ब्रदरहुड है। जो अपने कथित उलेमाओं के सहारे इस अभियान को अंजाम दे रहा है।