भारत में आरक्षण एक संवेदनशील और ज्वलंत मुद्दा है। आरक्षण को लेकर तरह तरह के दावे भी किये जाते रहे हैं। इन्हीं में एक दावा और शामिल हो गया। सोशल मीडिया यूज़र्स द्वारा दावा किया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदेश दिया है कि धर्म बदलने वाले आदिवासियों, ईसाईयों का जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया जाएगा।
गोंडवाना दीपक क्रांति नामक फ़ेसबुक यूज़र ने कैप्शन,“छत्तीसगढ़ सीएम का बड़ा फैसला, धर्म बदलने वाले ईसाइयों को नही मिलेगा आरक्षण का लाभ” के साथ एक तस्वीर पोस्ट की है।
इस तस्वीर में, कार्यालय प्रखण्ड विकास पदाधिकारी के हवाले से लिखा है कि छत्तीसगढ़, बिहार, रांची : झारखंड में धर्मांतरण करने वाले आदिवासियों को जाति प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा। अब अनुसूचित जनजाति (एसटी) को केवल खतियान के आधार पर ही जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जायेगा। पहले आवेदक की जांच की जायेगी। उसके रीति-रिवाज, विवाह और उत्तराधिकार की प्रथा की जांच के बाद ही जाति प्रमाण पत्र जारी किया जायेगा। वास्तविक अनुसूचित जनजातियों में से रीति रिवाज, विवाह और उत्तराधिकार की प्रथा का पालन करने वाले को ही जाति प्रमाण पत्र के आधार पर आरक्षण का लाभ लेने योग्य माना जायेगा। ऐसे आदिवासी, जिन्होंने धर्म परिवर्तन कर ईसाइ या अन्य दूसरे धर्म को अपना लिया है, उन्हें जाति प्रमाण पत्र नहीं दिया जायेगा। यही नहीं, जिन्हें पूर्व में जाति प्रमाण पत्र दिया जा चुका है, जांच के बाद उसे निरस्त भी किया जायेगा। महाधिवक्ता से मिली सलाह के बाद मुख्यमंत्री ने कार्मिक विभाग को इससे संबंधित सर्कुलर जारी करने का आदेश दिया है।
इसी से मिलते जुलते दावे अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर यूज़र्स द्वारा किये गए हैं।
फ़ैक्ट चेक
वायरल दावे की बाबत DFRAC टीम ने अलग अलग की-वर्ड के माध्यम से गूगल पर सर्च किया मगर हमें कहीं भी किसी मीडिया हाउस द्वारा पब्लिश इस तरह की कोई न्यूज़ नहीं मिली। इसके बाद छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के आफ़िशियल ट्विटर हैंडल को स्क्रोल करने पर हमें उनका एक ट्वीट मिला, जिसमें उन्होंने लिखा है- “अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण हितों के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा 58 प्रतिशत आरक्षण को निरस्त किए जाने के खिलाफ हमने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। यह लड़ाई पूरी तल्लीनता, तन्मयता और ईमानदारी से लड़ी जायेगी। जय जोहार!”
इसके बाद DFRAC टीम ने इस बारे कुछ और ख़ास की-वर्ड की मदद से गूगल पर सिंपल सर्च किया। आरक्षण के हवाले से DFRAC टीम बहुत सी रिपोर्ट्स मिलीं।
शीर्षक,“धर्म परिवर्तन करने वाले दलितों को आरक्षण मिलेगा या नहीं? सरकार ने लिया अहम फैसला” ज़ी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ द्वारा पब्लिश रिपोर्ट में बताया गया है कि इस्लाम और ईसाई धर्म अपनाने वाले दलितों को आरक्षण का लाभ मिलेगा या नहीं? इसकी जांच शुरू हो गई है। केंद्र सरकार ने पूर्व चीफ जस्टिस बालकृष्णन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया है, जो ईसाई या मुस्लिम धर्म अपनाने वाले दलितों की स्थिति की जांच करेगा और इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेगा।
रिपोर्ट के अनुसार- सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें इस्लाम या ईसाई धर्म अपनाने वाले दलितों को आरक्षण का लाभ देते रहने की मांग की गई है। याचिकाओं में अनुसूचित जाति की परिभाषा पर फिर से विचार करने की भी मांग भी की गई है। साथ ही हिंदू,सिख और बौद्ध धर्म के अलावा अन्य धर्मों के लोगों को भी अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग की गई है। दलित ईसाइयों की राष्ट्रीय परिषद एनसीडीसी ने भी दलित ईसाइयों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। 30 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी एक याचिका पर सुनवाई की थी।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 के अनुसार, अनुसूचित जाति का दर्जा केवल हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म का पालन करने वाले लोगों को दिया जा सकता है। मूल आदेश में सिर्फ हिंदुओं को एससी के रूप में रेखांकित किया गया था लेकिन 1956 में इसमें सिखों और 1990 में बौद्धों को भी अनुसूचित जाति में वर्गीकृत किया गया।
वेबसाइट द लल्लनटॉप द्वारा हेडलाइंस, “कोई व्यक्ति अगर धर्म बदल ले तो जाति तय कैसे होती है?” पब्लिश रिपोर्ट में हैदराबाद स्थित NALSAR लॉ यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर और इंडियन ऐकडेमिक एंड लीगल एक्सपर्ट फैज़ान मुस्तफा के हवाले से लिखा गया है कि- “दो तरह के मुद्दे उठे हैं। एक मुद्दा तो ये है कि कोई SC/ST है और उसने धर्म परिवर्तन कर लिया, तो वो फौरन अपना रिजर्वेशन का बेनेफिट खो देगा। शेड्यूल कास्ट 1950 का जो प्रेसिडेंशियल ऑर्डर है, उसके हिसाब से शेड्यूल कास्ट को रिजर्वेशन का लाभ पाने के लिए हिंदू होना जरूरी है। बाद में इसमें बौद्ध और सिख भी जोड़ दिए गए। दूसरा पहलू सुप्रीम कोर्ट से जुड़ा है, जिसका फैसला कहता है कि रीकंवर्जन पर व्यक्ति अपनी ऑरिजिनल कास्ट पा जाएगा।
फैज़ान मुस्तफा ने लल्लनटॉप से बात करते हुए आगे कहा, “आज की डेट में रिलिजन बेस्ड रिजर्वेशन जो है, वो है शेड्यूल कास्ट में। जबरदस्ती आप लोगों को हिंदू रहने पर मजबूर कर रहे हैं। जो दलित क्रिश्चियन हैं उनको रिजर्वेशन नहीं दे रहे हैं। वहीं शेड्यूल ट्राइब मुसलमान भी हो सकते हैं, हिंदू भी हो सकते हैं. लेकिन शेड्यूल कास्ट सिर्फ हिंदू हो सकते हैं।”
मीडिया रिपोर्ट् के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा गठित आयोग दो साल के भीतर अपनी रिपोर्ट देगा।
निष्कर्ष
DFRAC के इस फ़ैक्ट चेक से स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ सीएम द्वारा ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया है कि जो आदिवासी, ईसाई हिंदू धर्म छोड़, कोई अन्य धर्म अपनाएगा, उसका जाति प्रमाणपत्र रद्द कर दिया जाएगा या जाति प्रमाणपत्र नहीं जारी किया जाएगा, इसलिए सोशल मीडिया यूज़र्स द्वारा किया जा रहा दावा भ्रामक है।
दावा: छत्तीसगढ़ सीएम ने दिया हिन्दू धर्म छोड़ने वाले आदिवासियों, ईसाइयों का जाति प्रमाण पत्र रद्द करने का आदेश
दावाकर्ता: सोशल मीडिया यूज़र्स
फ़ैक्ट चेक: भ्रामक