
सोशल मीडिया पर कुछ यूज़र्स द्वारा दावा किया जा रहा है कि 90 के दशक में जब कश्मीर में हालात बिगड़े और दंगों में हिंदुओं को जान-माल का नुक़सान पहुंचने लगा और वे पलायन पर मजबूर हो गए तो उस समय केंद्र में कम्यूनिस्ट समर्थित विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) की सरकार थी।
चक्रधारी नामक यूज़र ने ट्वीट किया, जिसे हुबहू यहां पर लिखा जा रहा है- “कश्मिर के हिन्दुओं का सामूहिक नरसंहार करनेवाले मुस्लिम जिहादी थे, और पुरा प्लोट कोम्युनिस्टों के सपोटँ वाली वीपी सिंह की सरकार ने रचा था! जिहादीयों की तरह ही कोम्युनिस्ट्स भी हिन्दु धर्म और भारतीय संस्कृति का घोर विरोधी है! कोम्युनिस्ट्स राजनिती पर प्रतिबंध लगाये सरकार!”
वहीं इसी से मिलता-जुलता दावा पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ नामक यूज़र ने किया, “भारत की सत्ता व पार्टी पर सवाल उठता है कि भारत का गृहमंत्री मुस्लिम को क्यों नहीं बनाया जाता है क्योंकि वीपी सिंह की सरकार में 8 नवंबर 1989 को मुफ्ती मोहम्मद सईद को भारत का गृहमंत्री बनाया गया और 19जनवरी 1889 को 5 लाख कश्मीरी हिंदुओं को काट दिया गया और 3 लाख हिंदू लड़की का रेप हुआ।”
इसी बहुत से अन्य यूज़र्स ने भी यही दावा किया है।
फ़ैक्ट चेक
पहले ट्वीट में चक्रधर नामक यूज़र के दावे का फ़ैक्ट चेक करने के लिए हमने गूगल पर कुछ ख़ास की-वर्ड की मदद से एक सिंपल सर्च किया। हमें वीपी सिंह सरकार के हवाले से अलग अलग मीडिया हाउसेज़ द्वारा पब्लिश कई रिपोर्ट्स मिलीं।
बीबीसी हिंदी द्वारा पब्लिश एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 1989 के लोकसभा चुनाव में जनता दल को 144 सीटें मिलीं। उसने वामपंथियों और भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से सरकार बनाने का फ़ैसला किया।
25 जून 1931 को डईया राजघराना, राजा माण्डा (कोरांव के निकट, माण्डा इलाहाबाद) उत्तर प्रदेश में जन्मे विश्वनाथ प्रताप (वीपी) सिंह भारत गणराज्य के दसवें प्रधानमंत्री थे और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। एक साल से भी कम, 2 दिसम्बर 1989 से 10 नवम्बर 1990 तक का उनका कार्यकाल कई पूर्णकालिक प्रधानमंत्रियों से अधिक अहमियत रखने वाला साबित हुआ।
वो गैर-कांग्रेसवाद के जोड़तोड़ वाले राजनीतिक दौर में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे। उन्होंने अधिक दबाव और विरोध के बावजूद अपने कार्यकाल में मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू कर पिछड़ों को आरक्षण का अधिकार प्रदान किया था।
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ इस दावे-“भारत का गृहमंत्री मुस्लिम को इसलिए नहीं बनाया जाता क्योंकि वीपी सिंह की सरकार में 8 नवंबर1989 को मुफ्ती मोहम्मद सईद को भारत का गृहमंत्री बनाया गया और 19 जनवरी 1889 को 5 लाख कश्मीरी हिंदुओं को काट दिया गया और 3 लाख हिंदू लड़की का रेप हुआ।” की पड़ताल करने के लिए हमने इंटरनेट पर कुछ की-वर्ड सर्च किए।
इस दौरान हमने पाया कि मुफ्ती मोहम्मद सईद के 8 नवंबर 1989 को गृहमंत्री बनने का दावा गलत है, क्योंकि सईद ने 2 दिसंबर 1989 को गृहमंत्री बने थे। दरअसल बीजेपी के समर्थन से वीपी सिंह की सरकार 2 दिसम्बर 1989 को बनी थी, जो 10 नवम्बर 1990 को बीजेपी के समर्थन वापस लेते ही गिर गई थी। बीजेपी ने अपना समर्थन तब वापस लिया जब बिहार में लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में चल रही सरकार ने लालकृष्ण आडवाणी का रथ रोककर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
कश्मीर के हवाले से DFRAC ने एक विस्तारपूर्ण एक रिपोर्ट ‘द कश्मीर फाइल्स, फेक v/s फैक्ट’ किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार इकोनॉमिक टाइम्स के लेख के अनुसार, कश्मीर पंडित संगठन ने दावा किया कि 1990 में पलायन के दौरान कम से कम 399 पंडित मारे गए और बाद के 20 वर्षों में 650 मारे गए।
वहीं पीपी कपूर द्वारा RTI के जरिए मांगे गए जवाब में ख़ुद भारत सरकार ने बताया है कि 1.5 लाख लोगों ने कश्मीर से पलायन किया था और उनमें से 88 प्रतिशत हिंदू थे जो घाटी में हुई हिंसा और ख़तरे के कारण वहां से पलायन कर गए थे।
वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सरकारी आंकड़ों में 219 की संख्या का हवाला दिया गया है।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, 219 कश्मीरी पंडित मारे गए और पंडितों के 24000 परिवार घाटी से पलायन कर गए। कश्मीर घाटी छोड़ने वाले केवल 1.5 लाख प्रवासियों के रिकॉर्ड हैं। हालांकि उनमें 88% हिंदू थे, लेकिन ऐसा कोई डेटा 5 लाख की बड़ी संख्या से मेल नहीं खाता।
निष्कर्ष
DFRAC के इस फ़ैक्ट चेक से स्पष्ट है कि वीपी सिंह की सरकार को न सिर्फ़ वाम दलों (कम्यूनिस्टों) का समर्थन प्राप्त था बल्कि बीजेपी का समर्थन भी उसे हासिल था, दूसरे द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, 219 कश्मीरी पंडित मारे गए जबकि 1.5 लाख हिंदुओं ने पलायल किया था, इसलिए सोशल मीडिया यूज़र्स द्वारा किया जा रहा दावा बेबुनियाद और भ्रामक है।
दावा: कश्मीरी हिंदुओं का पलायन “कम्यूनिस्ट समर्थित” वीपी सिंह सरकार के दौर में हुआ
दावाकर्रता: सोशल मीडिया यूज़र्स
फ़ैक्ट चेक: भ्रामक